Jharkhand Politics: 2024 की राजनीतिक परीक्षा में कौन पास कौन फेल, शुरू हो गया जोर आजमाइश का खेल
Jharkhand Politics तीन राज्यों में भाजपा की जीत के बाद हेमंत सोरेन को अपनी कुर्सी का खतरा लगने लगा है। इस वजह से ही आपकी योजना आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम पर जोर दिया जा रहा है। हेमंत यह मान रहे हैं कि 2024 का चुनाव चुनौतीपूर्ण हाेगा। पार्टी के सिपाहियों को समझाया कि गांव जाओ वहां विपक्ष नहीं है। वहां अपनी ताकत बनाओ।
By Ravish SinhaEdited By: Aysha SheikhUpdated: Mon, 11 Dec 2023 05:01 PM (IST)
आरसी सिन्हा, देवघर। भाजपा का तीन राज्य में भगवा लहराने के बाद झारखंड में सत्ताधारी दल की बेचैनी स्वाभाविक है। भाजपा की तैयारी लोकसभा चुनाव में झारखंड की 14 सीटों को जीतकर अपनी दो सीट बढ़ाने की है। और विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने की है।
भाजपा ने संताल परगना के राजमहल सीट पर पूरी ताकत लगा दिया है। सत्ताधारी दल का प्रमुख झामुमो भाजपा के इस मंशा को पूरा होने नहीं देना चाहता है। भाजपा की इस रणनीति को देखकर ही मुख्यमंत्री लगातार अपने राजनीतिक कर्मक्षेत्र बरहेट में दौरा कर वोटरों को समेट रहे हैं।
भाजपा की चुनावी तैयारी
भाजपा ने तो पहले से ही चुनावी तैयारी कर दी है। संगठन तो 365 दिन चुनावी मोड में रहकर तैयारी करता है। प्रधानमंत्री का गारंटी वाला वाहन संकल्प यात्रा के नाम घूम रहा है। मोदी कहते भी हैं कि इस गारंटी वाली गाड़ी से उन लोगों को खोजने निकले हैं जिनको अब तक योजनाओं का लाभ नहीं मिला है।मोदी के गरीब, महिला, युवा और किसान जाति के नारा और उस दिशा में किया गया प्रयास ही तीन राज्यों में भरोसा दिलाया है। उसी राह पर भाजपा झारखंड में चल रही है। प्रधानमंत्री ने दिसंबर के पहले और दूसरे पखवारे में झारखंड के लोगों को भरोसा ही नहीं दिलाया, बल्कि आदिवासियों के हित में काम करने का भरोसा भी जताया।
कांग्रेस धीरज साहू प्रकरण के बाद बैकफुट पर
संताल परगना में जब मुख्यमंत्री का बरहेट में कार्यक्रम तय हुआ तो उसी दिन भाजपा ने आदिवासी का बड़ा चेहरा बाबूलाल मरांडी से मुख्यमंत्री के चुनावी क्षेत्र में बाइक रैली कराकर काउंटर किया। भाजपा और झामुमो के बीच सीधी लड़ाई चुनाव मैदान में हो गयी है।कांग्रेस धीरज साहू प्रकरण के बाद बैकफुट पर आती दिख रही है। इससे पहले तीन राज्यों के चुनाव परिणाम ने हताश किया है। यदि उन राज्यों के परिणाम कांग्रेस के पक्ष में होते तो उसका असर झारखंड पर दिखता। आज की तारीख में सूबे में भाजपा-झामुमो ही आमने-सामने है।
पिछले दिनों देवघर में कार्यकर्ता सम्मेलन में झामुमो ने 2024 को चुनावी वर्ष मानते हुए राजनीतिक परीक्षा में पास होने का संकल्प लिया। नया साल का नया विहान जब होगा तो कार्यकर्ता साल के पहले दिन का जश्न नहीं मनाएंगे। उनको चुनावी घुट्टी पिलायी गयी कि उनका जश्न दिसंबर में मनेगा। यानि संकेत साफ था कि दिसंबर में जब विधानसभा चुनाव का परिणाम आएगा तब 2019 की तरह खुशियां बांटेंगे।मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एक तरफ आत्मविश्वास से लबरेज थे तो दूसरी तरफ उनके चेहरे पर यह बात साफ झलक रही थी कि 2019 की तरह 2024 आसान नहीं है। कार्यकर्ताओं को इस बात से वाकिफ कराया और अधिक ताकत लगाने को ललकारा। कार्यकर्ता जब बंद कमरे से बाहर निकले तो सबके सब एक ही बात कर रहे थे कि पूरी ताकत से लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव तक मैदान में रहना होगा।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।