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कुपोषण से जंग में मडुवा बनेगा हथियार

मडुवा को एक बार फिर से मुख्य आहार में शामिल करने जरूरत है। यह इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ कुपोषण से लड़ने में काफी कारगर है। झारखंड में इसकी खेती के लिए अनुकूल माहौल है। धान के अलावा मडुवा को भी यहां खेती का विकल्प बनाया जाना चाहिए। कार्य योजना के तहत विभिन्न आयामों पर शोध किया जाएगा ताकि इसकी लोकप्रियता फिर से वापस लौट सके। शोध के पीछे एक बड़ा उद्देश्य यह भी है। डॉ.हर्षिता बिष्ट गृह विज्ञानी केवीके देवघ

By JagranEdited By: Updated: Sat, 25 Jul 2020 04:12 PM (IST)
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कुपोषण से जंग में मडुवा बनेगा हथियार

जागरण संवाददाता, देवघर:

कुपोषण से निजात के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के गृह विज्ञानी ने मडुवा को मुकम्मल हथियार बनाने का निर्णय लिया है। बच्चों के खाद्य में मडुवा एक विकल्प बने इस पर यहां शोध की तैयारी है। इसके लिए यहां गृह विज्ञानी डॉ. हर्षिता बिष्ट ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को अपने शोध योजना का प्रस्ताव भेज चुकी हैं। डॉ. हर्षिता 2020-21 के वार्षिक कार्य योजना के तहत मडुवा के विभिन्न उपयोगिताओं पर शोध करेंगी।

ये है शोध प्रस्ताव के प्रमुख बिदु :

डॉ. हर्षिता के कहा कि वे अपने शोध में इसे बच्चों के आहार का विकल्प बनाने की पहल करेंगी। इसके लिए खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को चिह्नित कर तयशुदा पारामीटर पर उनके पहले की शारीरिक स्थिति और फिर खाद्य के तौर पर कुछ दिनों तक मडुवा से तैयार आहार देने के बाद की शारीरिक स्थितियों का आकलन किया जाएगा और इसमें होने वाले परिवर्तन को सामने लाया जाएगा। इसके अतिरिक्त महिलाओं के बीच इसके स्वाद पर भी शोध किया जाएगा। इसके लिए दस बिदुओं पर महिलाओं से अलग-अलग जानकारी लेकर मडुवा के स्वाद को परखा जाएगा। शोध का तीसरा बिदु इससे तैयार खाद्य और इसके स्टोरेज की विधि है। शोध में यह देखा जाएगा कि मडुवा से तैयार खाद्य सामाग्रियां अधिक से अधिक दिनों तक गुणवत्ता के साथ कैसे रखा जा सकता है।

मडुवा में पाया जाता है भरपूर पोषक तत्व :

मडुवा में कार्बोहाइड्रेट एवं उच्च कोटि का प्रोटीन पाया जाता है। प्रति 100 ग्राम मडुआ में 7.3 ग्राम प्रोटीन, 1.3 ग्राम वसा, 72 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 2.7 ग्राम खनिज, 3.44 ग्राम कैल्सियम, 3.6 ग्राम रेशा एवं 328 किलो कैलोरी पाया जाता है। इस अनाज में अमीनो अम्ल भी पाया जाता है।

धान के अलावा मडुवा को भी यहां खेती का विकल्प बनाया जाना चाहिए। कार्य योजना के तहत विभिन्न आयामों पर शोध किया जाएगा ताकि इसकी लोकप्रियता फिर से वापस लौट सके। - डॉ. हर्षिता बिष्ट, गृह विज्ञानी, केवीके देवघर

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