Jharkhand News: 'यहां चलती मास्टर साहब की मर्जी... ' देवघर में बदहाल शिक्षा-व्यवस्था की खुली पोल; ग्रामीणों ने लगाए ये आरोप
झारखंड के देवघर में शिक्षा-व्यवस्था बदहाल है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि यहां के कई स्कूलों में समय से पहले विद्यालय बंद कर दिए जाते हैं। साथ ही बच्चे अपनी मस्ती में रहते हैं और गुरुजी अपने समूह में लगे रहते हैं। इतना ही नहीं कहीं-कहीं तो स्कूलों में शौचालय की व्यवस्था सही नहीं है। खाना मेन्यू के अनुसार नहीं दिए जाते हैं।
अनुज भोक्ता, सारठ (देवघर)। शिक्षा व्यवस्था का हाल काफी दयनीय है। शिक्षक अपने मन से जब मन तब स्कूल बंद कर दे रहे हैं। एमडीएम के मेन्यू को भी बदल देते हैं। विद्यालय में शौचालय का हाल भी बद से बदतर है।
बुधवार को दो बजे जमुवासोल पंचायत के उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय भुइंयाडीह का जागरण की टीम ने जायजा लिया तो विद्यालय में ताला बंद मिला। स्कूल में ना तो शिक्षक थे और ना ही बच्चे।
ग्रामीण से पूछने पर बताया कि स्कूल में एक शिक्षक आए थे। करीब डेढ़ बजे ही स्कूल बंद करके चले गए। सरकारी गाइड लाइन के मुताबिक, तीन बजे तक विद्यालय में पठन-पाठन होना है, लेकिन यहां तो डेढ़ घंटा पहले ही स्कूल बंद कर दिया गया। आज स्कूल में पठन-पाठन में हो रही अनियमितता में बीआरपी बहुत बड़ा रोड़ा है।
गोबिंदपुर स्कूल में मिले केवल 28 बच्चे
मध्य विद्यालय गोबिंदपुर में 175 में मात्र 28 बच्चे उपस्थित फुलचुवां पंचायत के राजकीयकृत मध्य विद्यालय गोबिंदपुर में भी अव्यवस्था का आलम देखा गया। करीब डेढ़ बजे विद्यालय पहुंचे। विद्यालय में 28 बच्चे मौजूद थे, जबकि शिक्षक से पूछने पर बताया कि एक से लेकर आठवीं तक में 175 बच्चे नामांकित हैं।
उपस्थित 28 बच्चे में कुछ बच्चे बेंच डेस्क पर बैठे थे तो कुछ बच्चे विद्यालय में बैठकर गेम खेल रहे थे। दो शिक्षक अपने में मशगूल दिखे।
मेन्यू के अनुसार नहीं मिलता भोजन
बच्चों ने पूछने पर बताया कि भोजन में दाल, चावल और सब्जी खिलाया गया, जबकि प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजनांतर्गत बुधवार के दिन मडुवा का हलवा या फिर लड्डू दिया जाना है।
सप्ताह में तीन दिन मोरिंगा का पत्ता दिया जाना है। इसके लिए विभाग के सचिव ने सभी जिला शिक्षा अधीक्षक को अक्टूबर माह में ही पत्र भेज दिया है। लेकिन इसका अनुपालन स्कूलों में नहीं हो रहा है।
आठ शिक्षक में मात्र दो शिक्षक पदस्थापित
विद्यालय की स्थापना वर्ष 1960 में हुई है। विद्यालय में आठ शिक्षक का पद स्वीकृत है। लेकिन पिछले दस साल से विद्यालय में मात्र दो शिक्षक हैं। प्रभारी प्रधानाध्यापक बच्चू दास ने बताया कि वे वर्ष 2107 से स्कूल में हैं। उसके पहले से ही स्कूल में दो ही शिक्षक हैं। शिक्षक कम रहने से कक्षावार पढ़ाई नहीं होती है।
शौचालय उपयोग के लायक नहीं
विद्यालय में तीन शौचालय बना है, लेकिन एक भी उपयोगी नहीं है। एक का दरवाजा टूटा था और दो में ताला जड़ा था। बच्चों ने कहा कि शौच लगने पर बगल के जोरिया में जाना पड़ता है।
शिक्षक ने बताया कि विद्यालय विकास मद में 50 हजार रुपये खाते में आया है, लेकिन अभी तक खर्च नहीं किए हैं। बेंच डेस्क की कमी बताई गईं। चाहरदीवारी नहीं रहने के चलते अक्सर विद्यालय में चोरी होती है।
आज बच्चे कम आये हैं। शिक्षक की कमी है। विद्यालय में मोरिंगा का पत्ता लगाएं हैं। तैयार होने के बाद बच्चों को दिया जाएगा। मडुवा का लड्डू व हलवा बाजार में नहीं मिलने से परेशानी हो रही है।- बच्चू दास, प्रभारी प्रधानाध्यापक
निर्धारित समय से पहले विद्यालय बंद करना गलत है। शिक्षक से स्पष्टीकरण पूछा जाएगा। सीआरपी से भी जवाब मांगा जाएगा। शिक्षक की कमी कई विद्यालयों में है उसका निदान जिला स्तर से किया जाना है। हलवा का लड्डू सभी स्कूलों में शुरु कराया जाएगा।- रोबिन चन्द्र मंडल, बीईईओ सारठ
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