Sawan 2024: वैद्यनाथ धाम में रिकॉर्ड 1 लाख कांवड़ियों के किया जलाभिषेक, बासुकीनाथ में भी 50 हजार भक्तों ने किए दर्शन
Sawan 2024 द्वादश ज्योतिर्लिंग में से एक बाबा बैद्यनाथ के दरबार में सावन के महीने में भक्तों का जो मेला लगता है वह दुनिया के किसी भी ज्योतिर्लिंग में नहीं दिखता है। इस बार भी सावन के पहले सोमवार को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। पहली सोमवारी के मौके पर एक लाख से आधिक कांवरिया भक्तों ने जलाभिषेक किया।
जागरण संवाददाता, देवघर। झारखंड के देवघर में स्थित वैद्यनाथ धाम में सावन की पहली सोमवारी के मौके पर एक लाख से आधिक कांवड़िया भक्तों ने जलाभिषेक किया। इसके साथ ही देवघर में एक महीने तक चलने वाला श्रावणी मेला शुरू हो गया है।
देवघर के पास में ही स्थित बासुकीनाथ धाम में भी सोमवार शाम तक 50 हजार से अधिक भक्तों ने दर्शन-पूजन किया है। देवघर में जलाभिषेक करने के बाद भगवान बासुकी को भी जल चढ़ाने की परंपरा है।
सावन महीने में श्रद्धालु भागलपुर के अजगैबीनाथ में उत्तरवाहिनी गंगा से जल उठाकर 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा तय करते हुए देवघर में बाबा वैद्यनाथ को जल चढ़ाते हैं।
पूरे कांवड़िया पथ में बोल बम और हर-हर महादेव के घोष गूंज रहे हैं। केसरिया रंग के वस्त्र पहने कांवड़िया कांधे पर कांवर लेकर जयकारों के साथ चलते हुए पूरे वातावरण में श्रद्धा का रस घोल रहे हैं।अजगैबीनाथ से बाबाधाम तक की कांवर यात्रा अद्भुत है। देवघर में सुबह मंदिर का पट खुलते ही सरदार पंडा गुलाब नंद ओझा ने बाबा की प्रात:कालीन पूजा की। इसके बाद आम भक्तों के लिए पट खोल दिया गया। चाक-चौबंद सुरक्षा के बीच भक्तों ने अरघा के जरिये भोलेनाथ को जलार्पण किया।
बारिश भी नहीं रोक पाई कदम
दिनभर हल्की वर्षा भी होती रही, लेकिन श्रद्धालुओं पर इसका कोई असर नहीं देखा गया। सावन शुरू होते ही बाबा नगरी में हर ओर केसरिया वस्त्र पहने और कांधे पर गंगाजल बंधा कांवर लेकर चलते कांवड़िया नजर आने लगे हैं। बाबा नगरी में बोल बम और हर-हर महादेव के जयघोष दिन-रात गूंज रहे हैं।सावन की पहली सोमवारी के अवसर पर कांवरियों के जलार्पण, भीड़ व कतार नियंत्रण, निगरानी तथा सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए थे। वहीं कांवरियों की सुविधा के लिए भी प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं। सोमवार सुबह से ही जलार्पण के लिए कांवरियों का तांता लगा रहा।
सोमवार को जल चढ़ाने के लिए बड़ी संख्या में कांवड़िया दो दिन पहले ही सुल्तानगंज से जल लेकर पैदल चल पड़े थे। इनमें ज्यादातर देवघर पहुंचने के बाद रविवार रात से ही कतार में लग गए थे।
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