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Sawan 2024: बेहद निराली है चिताभूमि के बैद्यनाथ धाम की कथा, देश में सबसे श्रेष्ठ है यहां का ज्योतिर्लिंग

सावन के महीना का आज से आरंभ हो गया है। सावन मास के शुरू होते ही भोले बाबा के प्राचीन मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। इसी कड़ी में चिताभूमि के बैद्यनाथ धाम की भी चर्चा हो रही है। माना जाता है कि बैद्यनाथ धाम का ज्योतिर्लिंग देश का सबसे श्रेष्ठ ज्योतिर्लिंग है। शिव महापुराण में बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को सर्वश्रेष्ठ ज्योतिर्लिंग कहा गया है।

By Ravish Sinha Edited By: Rajat Mourya Updated: Mon, 22 Jul 2024 11:37 AM (IST)
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भारत वर्ष का आध्यात्मिक और धार्मिक केंद्र बैद्यनाथ धाम।

आरसी सिन्हा, देवघर। चिताभूमि के बैद्यनाथ की कथा निराली है। महिमा विराट है। आदि शंकराचार्य ने लिखा है कि जो पूर्वोत्तर दिशा में चिताभूमि के भीतर सदा ही गिरिजा के साथ वास करते हैं, देवता और असुर जिनके चरण कमलों की आराधना करते हैं उन श्री बैद्यनाथ को प्रणाम करता हूं। चंद्रचूड़ामणि पीठ में लिखा है कि बैद्यनाथधाम में शिव-शक्ति का आलय और देवालय है, इसलिए कहा जाता है कि यहां शिव-शक्ति एक साथ विराजमान हैं।

बैद्यनाथधाम भारत वर्ष का आध्यात्मिक और धार्मिक केंद्र रहा है। शिव महापुराण में बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग को 'सर्वश्रेष्ठ ज्योतिर्लिंग' कहा गया है। शिव पुराण में बैद्यनाथ के विषय में चर्चा की गयी है। शिव ने अमोघ दृष्टि से वैद्य की भांति रावण के मस्तकों को जोड़ दिया था। बैद्यनाथेश्वर कहलाने के पीछे यही रहस्य है।

भारतवर्ष में कितने ज्योतिर्लिंग हैं?

भारतवर्ष में शिव के बारह ज्योतिर्लिंग हैं। जो द्वादश ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। सौराष्ट्र में सोमनाथ, श्रीशैल पर्वत पर मल्लिकार्जुन, उज्जैन में महाकाल, नर्मदा तट पर स्थित अमरेश्वर में ओंकारेश्वर, हिमालय पर केदारनाथ, काशी में विश्वनाथ, गोमती तट पर त्रयम्बकेश्वर, चिताभूमि में बैद्यनाथ, दारूका वन में नागेश्वर, सेतुबंध में रामेश्वर और इलातीर्थ के शिवालय में घृष्णेश्वर। शिव पुराण के अध्याय 38 में वैद्यनाथं चिताभूमौ का उल्लेख किया गया है।

बृहत्स्तोत्ररत्नाकार में श्लोक है- पूर्वात्तर प्रज्वलिकानिधाने, सदा वसंत गिरजासमेतम्। सुरासुराराधितपादपद्यं श्रीवैद्यनाथं तमहं नमामि।। प्रज्वलिका निधान का आशय है चिताभूमि में वैद्यनाथ स्थापित हैं। शिव रहस्य के पंचमांश में द्वादश ज्योतिर्लिंग माहात्मय है। जिसमें वैद्यनाथ की महिमा कही गयी है। जो मनुष्य एक बार भी विल्वपत्र से पूजन कर लिंग विग्रह का दर्शन कर लेता है। वह मुक्ति पाता है।

आज से शुरू होगा श्रावणी मेला

देश के द्वादश ज्योतिर्लिंग में एक बाबा बैद्यनाथ की नगरी देवघर में विश्व का सबसे लंबी अवधि का मेला श्रावणी मेला 22 जुलाई से आरंभ हो गया है। एक महीने का मेला 19 अगस्त को विराम लेगा। 21 जुलाई को बिहार-झारखंड की सीमा दुम्मा में इसका विधिवत उद्घाटन हो गया। दुम्मा से बाबा मंदिर तक कांवरिया पथ में चकाचौंध बिजली का इंतजाम है। एक महीना तक दिन-रात का फर्क नहीं होता।

देवतुल्य भक्तों को तकलीफ नहीं होने दी जाएगी। गंगा का बालू कांवरिया पथ पर बिछा दिया गया है। इस साल खास यह कि कांवड़ियां पथ में जिन स्थानों पर अत्यधिक बारिश के बाद पथ धंस जाता था अथवा कीचरयुक्त हो जाता था। वहां पहले ग्रेड वन रोड बनाया गया। उसके बाद उस पर छाई और बालू बिछाया गया है। मतलब बिल्कुल मखमली अहसास।

भीड़ नियंत्रण के लिए AI का सहारा लेगी पुलिस

श्रावणी मेला 2024 में भीड़ नियंत्रण प्रबंधन तकनीक आधारित होगा। पुलिस की विशेषज्ञ टीम तैयार है। क्राउड कंट्रोल मैनेजमेंट के लिए एआइ का उपयोग किया जा रहा है, ताकि रियल टाइम पर भीड़ की जानकारी देवघर प्रशासन को हो। भीड़ नियंत्रण के लिए तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। इससे यह पता करने में सहूलियत होगी कि भीड़ कहां एकत्रित है। कितना फ्लो है और वह कब तक झारखंड की सीमा में प्रवेश कर जाएंगे।

श्रावणी मेला का दायरा बिहार के अजगैवीनाथ से झारखंड के बाबा बैद्यनाथ धाम देवघर और बासुकीनाथ धाम तक होता है। भक्तों को सुलभ व सुरक्षित जलार्पण के लिए अरघा से जलार्पण की व्यवस्था है। कोई वीआईपी दर्शन नहीं होगा। शीघ्रदर्शनम की सुविधा बहाल रहेगी। मेला में शीघ्रदर्शनम शुल्क पांच सौ रुपया से बढ़ाकर छह सौ रुपया कर दिया गया है।

अजगैवीनाथ से बाबाधाम तक के 108 किमी की यात्रा में बिहार और झारखंड के अधिकारी समन्वय बनाकर भक्तों को सहूलियत देते हैं। अंतरराज्यीय बैठक में सारा निर्णय हो चुका है। भीड़ नियंत्रण प्रबंधन को पहले से बेहतर किया गया है। प्रशासनिक टीम पूरी तरह सजग रहेगी। सुविधा और सुरक्षा बेहतर होगा।

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