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बोले राज्‍यपाल- जब‍ रूस और जापान अपनी भाषा में सारे काम करते हैं तो भारत में हिंदी का यह हाल क्‍यों!

झारखंड के राज्‍यपाल रमेश बैस शनिवार को देवघर पहुंचे। यहां उन्‍होंने कहा कि राष्ट्र हमारे लिए सर्वोपरि है। राष्ट्र और राष्ट्रभाषा के प्रति प्रेम जगाना होगा क्योंकि हिंदी अभी भी राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी है। अभी भी राजभाषा है। अब इंजीनियरिंग और मेडिकल में भी हिंदी में पढ़ाई होगी।

By Jagran NewsEdited By: Deepak Kumar PandeyUpdated: Sun, 20 Nov 2022 12:30 AM (IST)
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राज्‍यपाल एक दिवसीय दौरे पर देवघर पहुंचे थे।
जागरण संवाददाता, देवघर: झारखंड के राज्‍यपाल रमेश बैस शनिवार को देवघर पहुंचे। यहां उन्‍होंने कहा कि राष्ट्र हमारे लिए सर्वोपरि है। राष्ट्र और राष्ट्रभाषा के प्रति प्रेम जगाना होगा, क्योंकि हिंदी अभी भी राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी है। अभी भी राजभाषा है। अब इंजीनियरिंग और मेडिकल में भी हिंदी में पढ़ाई होगी। पुस्तकें उपलब्ध कराई जा रही हैं। राष्ट्र और राष्ट्रभाषा के प्रति सजग रहना होगा। देश होगा तो हम हैं।

राज्‍यपाल एक दिवसीय दौरे पर देवघर पहुंचे थे। उन्‍होंने हिंदी विद्यापीठ बीएड काॅलेज परिसर में इग्‍नू अध्ययन केंद्र का शुभारंभ किया। तक्षशिला विद्यापीठ के सभागार में आयोजित समारोह का दीप प्रज्वलित कर उद्घाटन करने के बाद राज्यपाल ने हिन्दी और राष्ट्रभाषा की वर्तमान स्थिति पर चर्चा की तो दूसरी ओर शिक्षा और शिक्षा के विकास में इग्‍नू की चर्चा की। उन्‍होंने कहा कि यह विश्‍व का सबसे बड़ा विश्‍वविद्यालय है। इसमें प्रवेश करने की उम्र सीमा भी नहीं है। इस विश्‍वविद्यालय से सुदूर क्षेत्र में रहने वालों को लाभ हो रहा है। यहां नियमित रूप से शैक्षणिक संस्थान है।

राज्यपाल ने कहा कि ऑनलाइन मार्गदर्शन के लिए प्रयास करना चाहिए। राष्ट्रभाषा का विकास उस तरह नहीं हुआ, जो 75 साल में होना चाहिए। यह एकमात्र देश है, जहां राष्ट्रभाषा के लिए अलग समिति बनी हुई है, जो यह देखती है कि किस प्रदेश में कितना फीसद काम हिंदी में हुआ है। और देखें तो केवल तामिलनाडु में सौ फीसद काम हुआ है। रूस, जापान सभी अपनी भाषा में काम कर रहे हैं तो भारत हिंदी में काम क्यों नहीं कर सकता है। कहा कि अब उसकी शुरुआत हो रही है। राज्‍यपाल ने कहा कि झारखंड में प्रतिभाएं हैं, जरूरत है उसे बेहतर करने की।

इससे पहले राज्यपाल ने हिंदी विद्यापीठ परिसर में विद्यापीठ के आदि कुलाधिपति देशरत्न डा राजेंद्र प्रसाद की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इस समय उनके साथ विद्यापीठ के व्यवस्थापक कृष्णानंद झा मौजूद थे। तक्षशिला विद्यापीठ के सभागार में राज्यपाल ने इग्‍नू अध्ययन केंद्र का शुभारंभ किया। कृष्णानंद झा ने राज्‍यपाल को मोमेंटो व बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का प्रतीक चिह्न भेंट किया।

विश्व गुरु की दहलीज पर भारत : विधायक

मौके पर विधायक नारायण दास ने कहा कि भारत आज विश्व गुरु बनने की दहलीज पर खड़ा है। बाबा से कामना किया कि राज्यपाल को देश की सेवा करने का अवसर दें। विधायक ने कृष्णानंद झा को शिक्षा, शोध व प्रशिक्षण का पर्याय बताया, क्योंकि तक्षशिला के साथ साथ कई शिक्षण संस्थान का कार्य किया है। पूर्व मुख्यमंत्री पंडित विनोदानंद झा की चर्चा करते कहा कि राजनीतिक कार्य के कारण उन्‍होंने अखिल भारतीय राजनीति में खुद को स्थापित किया।

एक अलग क्रांति शिक्षा जगत में होगी : केएन झा

तक्षशिला के एमडी व हिंदी विद्यापीठ के व्यवस्थापक कृष्णानंद झा ने स्वागत संबोधन में हिंदी विद्यापीठ के स्वतंत्रता आंदोलन में किए गए योगदान को याद दिलाया। पहला प्रेस था, जिसे अंग्रेजों ने बंद करा दिया। आजाद भारत के बाद विद्यापीठ के आदि कुलाधिपति डाॅ. राजेंद्र प्रसाद हुए। यहां कई और महापुरुष आए। राज्यपाल की प्रशंसा करते कहा कि इनके आने से शिक्षा में एक नई दिशा मिली है। झारखंड में शैक्षणिक माहौल बदलेगा, क्योंकि इनका शिक्षा के प्रति विशेष लगाव है। विवि में भी एक माहौल बना है। एक अलग क्रांति शिक्षा जगत में होगी।

इग्नू के क्षेत्रीय निदेशक डाॅ. अरविंद मनोज कुमार ने इग्नू अध्ययन केंद्र से मिलने वाली शैक्षणिक सुविधा को विस्तार से बताया और कहा कि इग्नू में निरंतर छात्रों की संख्या बढ़ती जा रही है। कई नए कोर्स शुरू किए गए हैं जो संताल परगना के लिए भी उपयोगी हैं। विद्यापीठ की कुलपति डाॅ. प्रमोदिनी हांसदा ने इग्नू के मकसद, शैक्षणिक माहौल पर विस्तार से चर्चा की और अतिथियों के प्रति आभार जताया। इग्नू के सहायक क्षेत्रीय निदेशक डाॅ. सरोज मिश्र ने महामहिम को एक प्रतीक चिन्ह भेंट कर स्वागत किया। राष्ट्रगान से कार्यक्रम का आरंभ और समापन हुआ। कार्यक्रम में उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री, एसपी सुभाष चंद्र जाट, प्राचार्य तक्षशिला विद्यापीठ डाॅ. योगिता वाजपेयी मुख्य रूप से थे। बच्चों ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया।

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