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तीन महीने के लंबे शोध के बाद इंजीनियर्स ने दिए ऐसे आइडियाज कि IIT ISM ने आगे के लिए खोले रास्‍ते

नरेश वशिष्ठ सेंटर फाॅर टिंकरिंग एंड इनोवेशन (एनवीसीटीआइ) आइआइटी आइएसएम ने सोमवार को द विंटर चैलेंज 1.0 का परिणाम जारी कर दिया। एनवीसीटीआइ सभागार में पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन कर विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। नवाचार चुनौतियों के क्षेत्र में पूर्वी भारत का यह सबसे बड़ा इनोवेशन चैलेंज था।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Updated: Tue, 06 Sep 2022 10:50 AM (IST)
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टीम ने इलेक्ट्राॅनिक्स और इंफाॅर्मेशन तकनीक का उपयोग करके कागजों के लीकेज को सुरक्षा प्रदान करने का आइडिया दिया।

जागरण संवाददाता, धनबाद: नरेश वशिष्ठ सेंटर फाॅर टिंकरिंग एंड इनोवेशन (एनवीसीटीआइ) आइआइटी आइएसएम ने सोमवार को द विंटर चैलेंज 1.0 का अंतिम परिणाम जारी कर दिया। एनवीसीटीआइ सभागार में पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन कर विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। नवाचार चुनौतियों के क्षेत्र में पूर्वी भारत का यह सबसे बड़ा इनोवेशन चैलेंज था। टीम रिवोल्यूशनिस्ट विंटर चैलेंज 1.0 प्रतियोगिता की चैंपियन बनी। इसमें आइआइटी आइएसएम धनबाद, एनआइटी राउरकेला और एनआइटी अरुणाचल प्रदेश के चार छात्र शामिल थे। इस टीम ने इलेक्ट्राॅनिक्स और इंफाॅर्मेशन तकनीक का उपयोग करके कागजों के लीकेज को सुरक्षा प्रदान करने का आइडिया दिया।

एनवीसीटीआइ के एचओसी सह एसोसिएट डीन प्रो. अजीत कुमार ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देना और युवा सोच को उनके कल्पनाशील विचारों को वास्तविकता में लाने के लिए एक मंच प्रदान करना था। इसी वर्ष जनवरी में इसकी शुरुआत हुई थी। तीन महीने की लंबी चुनौती के बीच विजेताओं की घोषणा की गई। अंतिम डेमो के बाद पांच शीर्ष टीमों का चयन किया गया। चैंपियन को प्रमाण पत्र, स्मृति चिह्न के साथ 25 हजार रुपये का नगद पुरस्कार मिला। प्रथम रनरअप को 15 हजार और तृतीय स्थान को दस हजार रुपये का नकद पुरस्कार दिया गया। पैनल ने सभी पांच टीमों को उनके विचारों पर आगे काम करने के लिए आमंत्रित किया है। एनवीसीटीआइ जगह और फंड भी मुहैया कराएगा।

जूरी में आइआइटी आइएसएम प्रो अमितेश कुमार एसोसिएट प्रोफेसर इलेक्ट्रानिक्स इंजीनियरिंग विभाग, प्रो ताराचड अमगोथ एसोसिएट प्रोफेसर सीएसई विभाग, डा. आकांक्षा सिन्हा मैनजर इनोवेशन एसीआइसी आइआइटी आइएसएम, रसायन विज्ञान और रासायनिक जीव विज्ञान विभाग से प्रो नीलाद्री पात्रा और प्रो जीसी नायक शामिल थे। इस अवसर पर डीन आइआइई प्रो. पंकज मिश्रा और एनवीसीटीआइ के एचओसी प्रो अजीत कुमार भी एनवीसीटीआइ पैनल में शामिल थे।

इनोवेशन चैलेंज के विजेता

टीम रिवोल्यूशनिस्ट : एस हर्षदा, प्रतीक दास, सुषम कुमार प्रधान एवं चंद्रशेखर त्रिपाठी (आइआइटी आइएसएम धनबाद, एनआइटी राउरकेला और एनआइटी अरुणाचल प्रदेश)। टीम ने इलेक्ट्रानिक्स और इंफार्मेशन तकनीक का उपयोग करके कागजों के लीकेज को सुरक्षा प्रदान करने का आइडिया दिया।

ई-इनोवेट : दीया घोष, जादवपुर विश्वविद्यालय। प्रथम रनरअप बनीं। दीया ने एक मल्टी-टास्किंग फ्लाईव्हील कृषि किट के लिए एक प्रोटोटाइप प्रस्तुत किया।

कोड क्यू : तरुण श्रीवास्तव, अंश टंडन, भव्य अग्रवाल एवं प्रखर प्रताप (आइआइटी आइएसएम धनबाद)। तीसरा स्थान प्राप्त किया। आइआइटी आइएसएम धनबाद की टीम कोडक्यू ने जनगणना प्रक्रिया पहले से अधिक सरल कुशल बनाने के लिए एक जनगणना एप बनाया।

क्यूरियस माइनर्स : केशव लखोटिया, शिवानी राकेश एवं प्रणामिका दास। चतुर्थ स्थान प्राप्त किया। खदान पंपों के समग्र जीवन को बढ़ाने, संचालन और वेयरहाउस आटोमेशन के लिए लागत कम करने पर काम किया।

टीम हसलर : आशुतोष सिंह, आयुष गुप्ता, ध्रुव शाह एवं अरुणिम बसक। पांचवां स्थान प्राप्त किया। खदान पंपों के समग्र जीवन को बढ़ाने, संचालन और वेयरहाउस आटोमेशन के लिए लागत कम करने पर काम किया।

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