BCCL ने रच दिया इतिहास, 52 साल बाद घाटे से निकली कंपनी; अब करोड़ों का हो रहा है मुनाफा
बीसीसीएल संचित घाट को विलुप्त कर मुनाफे में रही है। 52 साल दौरान तीन से चार बार बीसीसीएल को लंबे अंतराल तक बीआइएफआर में ही जाना पड़ा था। साल 2012 में बीसीसीएल बीआइएफआर से बाहर निकली थी और इसके बाद बीसीसीएल को मिनी रत्न का दर्ज मिला था। मौजूदा समय में बीसीसीएल में करीब 33 हजार कोयला श्रमिक है और कंपनी की कुल पूंजी करीब 47 सौ करोड़ है।
आशीष अंबष्ठ, धनबाद। मिनी रत्न कंपनी बीसीसीएल के श्रमिकों के लिए अच्छी खबर है। राष्ट्रीयकरण के बाद से संचित घाटा की मार झेल रही कंपनी मुनाफे में आ गई है। कंपनी को इससे बाहर निकलने में 52 साल का लंबा सफर तय करना पड़ा। बुधवार को कोयला भवन में हुई अडिट कमेटी की बैठक के बाद यह जानकारी सामने आई। हालांकि बीसीसीएल कोल इंडिया से हरी झंडी मिलने के बाद सार्वजनिक करेगी।
BCCL की कुल पूंजी इस वक्त करीब 47 सौ करोड़
बीसीसीएल 2017-18 में 2546.82 करोड़ संचित घाटा में थी, जो इस साल में करीब 909 करोड़ तक पहुंच गई थी। चालू वित्तीय वर्ष तीसरी तिमाही के अंत तक कंपनी उससे पाठ कर पूरी तरह से मुनाफे में आई गई है। बीसीसीएल की कुल पूंजी मौजूदा समय में करीब 47 सौ करोड़ है।चालू वित्तीय वर्ष के अंत तक कंपनी बेहतर स्थिति में पहुंच जाएगी। उत्पादन व डिस्पैच लक्ष्य के करीब पहुंच गई है। 41 मिलियन टन कोयला उत्पादन लक्ष्य तय है। कंपनी को वाश कोल से बेहतर परिणाम मिल रहा है। जिसका असर कंपनी पर दिख रहा है। मौजूदा समय में बीसीसीएल में करीब 33 हजार कोयला श्रमिक है।
वर्ष | संचित घाटा |
2017-18 | 2546.82 करोड़ |
2018-19 | 2123.20 करोड़ |
2019-20 | 359.34 करोड़ |
2020-21 | 1568.19 करोड़ |
2021-22 | 1383.19 करोड़ |
2022-23 | 908.23 करोड़ |
वर्ष | टर्न ओवर |
2017-18 | 10493.56 करोड़ |
2018-19 | 12899.98 करोड़ |
2019-20 | 12224.47 करोड़ |
2020-21 | 8521.62 करोड़ |
2021-22 |
बीसीसीएल काफी लंबे समय के बाद मुनाफे में आई है। संचित घाटा को भी पाठ लिया है। यह सभी का कड़ी मेहनत का परिणाम है। तीन माह चालू वित्तीय वर्ष का शेष बचा है। कंपनी काफी बेहतर करेगी। जिसका असर दिखेगा। श्रमिकों से अपिल है कि उत्पादन लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में टीम वर्क के साथ काम करें। कंपनी बेहतर करेगी तो इसका परिणाम भी हर तरफ दिखेगा- समीरन दत्ता, सीएमडी बीसीसीएल।
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