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BCCL कोयला खनन की कंपनी नहीं बल्कि अब कोयला निकलवाने वाला ठेकेदार बन गया

भारत कोकिंग कोल लिमिटेड अब कोयला खनन करने वाली कंपनी नहीं बल्कि अब कोयला निकालवाने वाला ठेकेदार बन गया है। बीसीसीएल का ऑडिट कमिटी द्वारा 10620 श्रमिकों को सर प्लस घोषित कर दूसरी कंपनी में स्थानांतरण की योजना बनाना दुर्भाग्यपूर्ण।

By Atul SinghEdited By: Updated: Fri, 17 Sep 2021 05:16 PM (IST)
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बीसीसीएल का ऑडिट कमिटी द्वारा 10620 श्रमिकों को सर प्लस घोषित कर, दूसरी कंपनी में स्थानांतरण की योजना बनाना दुर्भाग्यपूर्ण।
जागरण संवाददाता, धनबाद: भारत कोकिंग कोल लिमिटेड अब कोयला खनन करने वाली कंपनी नहीं बल्कि अब कोयला निकालवाने वाला ठेकेदार बन गया है। बीसीसीएल का ऑडिट कमिटी द्वारा 10620 श्रमिकों को सर प्लस घोषित कर, दूसरी कंपनी में स्थानांतरण की योजना बनाना दुर्भाग्यपूर्ण। यह बातें सिमेवा केंद्रीय महासचिव सुरेंद्र सिंह ने कहा। कहा कि भारत कोकिंग कोल लिमिटेड में कभी डेढ़ लाख से ज्यादा मेन पावर था और उसे काम करते-करते आज करीब 42000 मैन पावर रह गया उसमें से भी फिलहाल करीब 10620 मैन पावर कंपनीअधिक बता रही है।

भारत कोकिंग कोल लिमिटेड का कभी भी दृष्टिकोण अपने मैन पावर को सही ढंग से उपयोग की ओर नहीं रहा है बलिक बराबर केवल मैन पावर कम करने की योजना बनाते रही है हर बार फर्जी मैन पावर बजट बनाकर लोगों को गुमराह करना इसका एक कुशल योजना रहा है।

बीसीसीएल को अपने मैन पावर कम करने के बजाए मैन पावर का सही उपयोग पर ध्यान देना चाहि।

विचारनीय विषय है कि कभी भी कंपनी के द्वारा मैन पावर बजट वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में नहीं बनाया गया हर साल आधा से अधिक वित्तीय साल बीत जाने के बाद अपने मैन पावर बजट बनाते रही है। जिससे स्पष्ट होता है कि इनका कभी भी दृष्टिकोण श्रमिकों का सही उपयोग के लिए नहीं रहा वलित कैसे श्रमिकों को उद्योग से भगाया जाए एवम कम से कम सुविधाएं प्रदान की जाए, इसी आधार को मानकर मैन पावर बजट बनाए जाते रहा है ।

सिंह ने कहा कि श्रमिकों के लिए यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति रहा है की कंपनी अघोषित रूप से निजी करण की ओर बढ़ रही है श्रमिकों की संख्या कम कर रही हैं और श्रमिकों का ट्रेड यूनियन जमात इस बात को नहीं समझ पा रहे हैं।

कोल माइंस इंजीनियरिंग वर्कर्स एसोसिएशन की मांग करते हैं कि भारत कोकिंग कोल लिमिटेड श्रमिकों को सर प्लस करने के बजाए उसका सही उपयोग करें भूमिगत या खुली खदान खोलें।

एक तरफ रोज नए नए पेच खोलकर ठेकेदारों को दे रही हैं ,तो फिर अपने श्रमिकों सही उपयोग के लिए बही खदान खुद क्यों नहीं चला सकती है।

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