भय को जीतने वाले भगवान काल भैरव की जयंती सात को
काल भैरव हिन्दुओं के एक देवता हैं जो शिव के अवतार हैं। जिन्हें हिंदुओं धर्म के लोग पूजते है। हिंदू धर्म में भैरव को दंडपाणि भी कहा जाता है। जैसा कि वह पापियों को दंड देने के लिए एक छड़ी या डंडा रखते हैं। जिसका वाहन कुत्ता है।
By Atul SinghEdited By: Updated: Sat, 05 Dec 2020 11:41 AM (IST)
जासं, धनबादः काल भैरव भगवान शिव के अवतार हैं। हिंदू धर्म में भैरव को दंडपाणि भी कहा जाता है। वह पापियों को दंड देने के लिए एक छड़ी या डंडा रखते हैं। उनका वाहन कुत्ता है।
मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन सात दिसंबर सोमवार को काल भैरव जयंती या कालभैरव अष्टमी मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन काल भैरव का जन्म हुआ था। पतराकुल्ही काली मंदिर के पुजारी शाको हरि बताते है कि काल भैरव यानि भय पर जीत हासिल करने वाला। अगर जिसका आपके भीतर किसी बात का भय है तो काल भैरव के नाम लेते ही आपका डर गायब हो जाता है।हिंदू धर्म में काल भैरव की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन इनकी पूजा से न केवल इनकी ही नहीं बल्कि भगवान शिव की भी कृपा प्राप्त हाेती है। जो भक्त इनका विधिवत पूजन करता है उसे सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त होती है।
भूत, प्रेत और उपरी बाधा जैसी समस्या के लिए काल भैरव का पूजन किया जाता है। इस दिन काले कुत्ते को दूध पिलाने की परंपरा है। इससे काल भैरव का आर्शीवाद प्राप्त होता है। काल भैरव को दंड देने वाले देवता भी कहा जाता है। इसलिए उनका हथियार दंड है। इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करने का भी विशेष महत्व है।
कालभैरव की पूजा व समय
मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि सात दिसंबर को शाम 6.47 से आठ दिसंबर को शाम 5.17 बजे तक रहेगी। इस दिन शिव के पांचवे रुद्र अवतार माने जाने वाले कालभैरव की पूजा-अर्चना साधक विधि-विधान से करते हैं। तंत्र साधना के देवता काल भैरव की पूजा रात में की जाती है। इसलिए अष्टमी में प्रदोष व्यापनी तिथि का विशेष महत्व होता है। यह दिन तंत्र साधना के लिए उपयुक्त माना गया है।
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