'...और चंद घंटों में मिट गया बाबरी का अस्तित्व' BJP नेता ने सुनाई राम मंदिर आंदोलन के रोंगटे खड़े कर देने वाले पल की कहानी
Ayodhya Ram Mandir अयोध्या में विवादित ढांचे को कारसेवकों ने किस तरह से ध्वस्त किया यह मंजर आज भी वरिष्ठ भाजपा नेता सत्येंद्र कुमार की आंखों में जीवंत है। चंद घंटों में ही ढांचा गिर गया था इससे रामभक्तों में खुशी तो थी ही भगदड़ भी मच गई। सब यही कह रहे थे कि हमने लक्ष्य साध लिया गया। बात दो दिसंबर 1992 की है।
जागरण संवाददाता, धनबाद। अयोध्या में विवादित ढांचे को कारसेवकों ने किस तरह से ध्वस्त किया, यह मंजर आज भी वरिष्ठ भाजपा नेता सत्येंद्र कुमार की आंखों में जीवंत है। चंद घंटों में ही ढांचा गिर गया था, इससे रामभक्तों में खुशी तो थी ही, भगदड़ भी मच गई। सब यही कह रहे थे कि हमने लक्ष्य साध लिया गया। बात दो दिसंबर 1992 की है।
हीरापुर के अग्रसेन भवन में गुप्त बैठक हुई। अध्यक्षता प्रो. निर्मल कुमार चटर्जी कर रहे थे। तय हुआ कि अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी एवं मुरली मनोहर जोशी के आह्वान पर कारसेवा के लिए अयोध्या जाना है। पांच दिसंबर की रात साढ़े नौ बजे धनबाद से करीब तीन हजार कारसेवक लुधियाना एक्सप्रेस से अयोध्या चले।
अयोध्या में हो रही थी भाजपा के बड़े नेताओं की सभा
इनमें हम, प्रो. निर्मल चटर्जी, अरुण कुमार झा, ब्रजराज सिंह, हरीश जोशी, राजकुमार अग्रवाल, अशोक कुमार सिंह, बीरेंद्र सिंह, बोकारो के राजेंद्र महतो, बाघमारा के अशोक मिश्र आदि थे। अयोध्या में भाजपा के बड़े नेताओं की सभा हो रही थी। कारसेवक जयश्री राम का घोष कर विवादित ढांचे की ओर बढ़े।
अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी एवं मुरली मनोहर जोशी मंच से कार सेवकों को विवादित ढांचे की ओर बढ़ने से रोकते रहे, पर कारसेवक कहां मानने वाले थे। चंद घंटों में विवादित ढांचा का अस्तित्व मिट गया। इसके बाद भगदड़ मच गई। सभी को परिसर खाली करने का आदेश माइक से अधिकारी देते रहे। सभी रेलवे स्टेशन की ओर चल पड़े।
ट्रेन पर हमला होने का था खतरा
जिसको जो ट्रेन मिली, उसी पर सवार होकर निकल रहा था। हमें सीधे धनबाद के लिए ट्रेन मिल गई। रास्ते में ट्रेन पर हमला होने का खतरा था। हम लोग ट्रेन का शीशा बंद कर किसी तरह आगे बढ़ते रहे। धनबाद से पहले वासेपुर के पास ट्रेन पर पथराव हुआ। पर हम लोग सुरक्षित धनबाद पहुंच गए।
तत्कालीन बिहार सरकार के आदेश पर प्रशिक्षु आएएस आशीष झा ने राम मंदिर के आंदोलनकारियों की गिरफ्तारी शुरू कर दी। सबसे पहले प्रो. निर्मल कुमार चटर्जी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। इसके बाद मिश्रित भवन के समक्ष राम मंदिर के लिए सभा को संबोधित करने के दौरान हमें गिरफ्तार कर लिया गया।
दूसरे दिन अरुण कुमार झा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। फिर कुमार अर्जुन सिंह भी पकड़े गए। ब्रजराज सिंह ने बाद में उपायुक्त कार्यालय पर नारेबाजी कर गिरफ्तारी दी।
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