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Jharkhand News: कोलकाता में महिला चिकित्सक के साथ दरिंदगी का मामला, जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से चरमराई मेडिकल सेवा

Jharkhand News Hindi कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी के विरोध में एसएनएमएमसीएच के जूनियर डॉक्टर भूख हड़ताल पर बैठे। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने उनका समर्थन किया। हड़ताल के कारण लगभग 1000 मरीज बिना इलाज लौट गए। अस्थाई काउंटर बनाकर कुछ मरीजों का इलाज किया गया। जूनियर डॉक्टरों की मांग है कि डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।

By Jagran News Edited By: Mukul Kumar Updated: Wed, 16 Oct 2024 04:20 PM (IST)
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

जागरण संवाददाता, धनबाद। कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ दरिंदगी के मामले पर जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन और दी फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर एसएनएमएमसीएच में जूनियर डॉक्टर भूख हड़ताल पर बैठे। सुबह से ही जूनियर डॉक्टरों ने ओपीडी के मुख्य गेट को बंद कर दिया। ओपीडी के बाहर जूनियर डॉक्टर भूख हड़ताल पर बैठ गए।

इनके समर्थन में सीनियर रेजिडेंट और अन्य चिकित्सक पहुंचे। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी अपना नैतिक समर्थन दिया।

प्रदेश अध्यक्ष डॉ. एके सिंह भूख हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों के पास पहुंचे। उन्होंने कहा कि कोलकाता की घटना बेहद निंदनीय है। अभी तक इसका खुलासा नहीं हो पाया है। सीबीआई की जांच भी समझ से परे हैं।

उन्होंने कहा कोलकाता में 170 घंटे से ज्यादा वहां के डॉक्टर भूख हड़ताल पर बैठे हैं। ऐसे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन को देशभर में नैतिक समर्थन दे रहा है।

मौके पर डॉ सीएस सुमन, डॉ. राकेश इंदर, डॉ. अबीर चक्रवर्ती समेत आईएमए के कई पदाधिकारी भी पहुंचे। भूख हड़ताल सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक है।

प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर

हड़ताल से मरीज हुए बेहाल, बिना इलाज कारण 1000 मरीज लौटे

जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के वजह से सुबह 6 बजे ही ओपीडी का गेट बंद कर दिया गया। रजिस्ट्रेशन काउंटर को भी ताला लगा दिया गया।

ऐसे में बिना इलाज करए ही रजिस्ट्रेशन काउंटर से लगभग 1000 मरीज वापस लौट गए। सबसे ज्यादा परेशानी दूर दराज से आने वाले मरीजों को हुई। सामान्य दिनों में यहां एक दिन में 1300 से 1400 मरीज ओपीडी आते हैं।

मेडिकल कॉलेज के पास अस्थाई बना काउंटर

  • जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल को देखते हुए मेडिकल कॉलेज के पास और अस्थाई काउंटर बनाया गया।
  • लगभग 200 मरीजों को मैन्युअल कागज बनाया गया।
  • कई मरीजों को इमरजेंसी में डॉक्टर के पास भेजा गया।
  • जूनियर डॉक्टर के बहाने कई सीनियर डॉक्टर भी
  • ओपीडी में नहीं आए।
  • हाजिरी बनाकर सीनियर डॉक्टर भी चले गए।

क्या कहते हैं मरीज

गिरिडीह के बिरनी से उषा देवी पर के इलाज करने के लिए मेडिकल कालेज पहुंची। उसने कहा कि पर में एक्स-रे करना था। लेकिन यहां पर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। काफी पैसे लगाकर यहां पहुंची थी, कि फ्री में जांच होगी। लेकिन डॉक्टर ही नहीं बैठे।

पेट में दर्द होती रही, डॉक्टर ने देखा नहीं

गोविंदपुर के भितिया की रहने वाली सोविया महताइन को पेट में दर्द होने पर ओपीडी लाया गया था। लेकिन यहां आने के बाद पता चला कि डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। काफी देर ओपीडी में बैठने के बाद वापस घर लौट कर चली गई।

पेट में जख्म का नहीं हुआ इलाज

गोविंदपुर की रहने वाली अनीता माझी मंगलवार की सुबह 10 ओपीडी काउंटर पर पहुंची। लेकिन यहां पर काउंटर बंद था। दोपहर 2 बजे तक काउंटर पर बैठी रही। मीडिया की पहल पर उसे रजिस्ट्रेशन के लिए मेडिकल कालेज के इमरजेंसी भेजा गया।

वैकल्पिक के तौर पर अलग से काउंटर की व्यवस्था की गई। कई मरीजों को मेडिकल कालेज स्थित अस्थाई काउंटर पर भेजा गया है। जूनियर डॉक्टर एक दिवसीय भूख हड़ताल पर हैं।- डॉ. एसके चौरसिया, अधीक्षक, मेडिकल कॉलेज

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