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महेंद्र प्रसाद सिंह का बलिदान दिवस: 18 साल में भी सीबीआइ साबित नहीं कर सकी, किसने की थी महेंद्र सिंह की हत्या

बगोदर के विधायक महेंद्र प्रसाद सिंह का शहादत दिवस आज विविध कार्यक्रमों के माध्‍यम से मनाया जाएगा। 16 जनवरी 2005 को गिरिडीह जिले में आयोजित एक चुनावी सभा के दौरान गोली मारकर उनकी हत्‍या कर दी गई थी और हत्‍यारों को सीबीआइ आत तक नहीं पकड़ सकी है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Mon, 16 Jan 2023 09:59 AM (IST)
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बगोदर से विधायक महेंद्र प्रसाद सिंह का आज बलिदान दिवस
दिलीप सिन्हा, धनबाद। देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआइ 18 साल बाद भी अदालत में यह साबित नहीं कर सकी है कि बगोदर के विधायक महेंद्र प्रसाद सिंह की हत्या किसने की थी। साबित करना छोड़िए, 18 साल में सीबीआइ इस कांड के 75 में से मात्र 24 गवाहों की ही गवाही दिला सकी है। यहां तक की इस कांड के अनुसंधानकर्ता ने भी अदालत में गवाही नहीं दी है। किसी चश्मदीद को भी सीबीआइ पेश नहीं कर सकी है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि 75 गवाहों को अदालत में गवाही दिलाने में सीबीआइ को अभी और कितना समय लग सकता है।

लोगों को इंतजार महेंद्र सिंह के हत्‍यारों को सजा मिलने का

महेंद्र सिंह के बलिदान दिवस पर सोमवार को गिरिडीह जिले के बगोदर में उनके हजारों समर्थकों का जुटान होगा। बड़ी जनसभा होगी। इस सभा में शामिल होने वाले लोगों को आज भी इंतजार रहेगा कि कब महेंद्र सिंह के हत्यारों को सीबीआइ सजा दिलाएगी।

चुनावी सभा के दौरान गोली मारकर की गई थी नेता की हत्‍या

16 जनवरी 2005 को गिरिडीह जिले के सरिया थाना अंतर्गत दुर्गी धवैया में चुनावी सभा के दौरान भाकपा माले विधायक महेंद्र सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। माले के विरोध के बाद सरकार ने इस हत्याकांड की सीबीआइ जांच की सिफारिश की थी। इसके बाद सीबीआइ लखनऊ क्राइम ब्रांच ने 27 फरवरी 2005 को प्राथमिकी दर्ज कर इसकी जांच शुरू की थी। सीबीआइ धनबाद की विशेष अदालत में दो चार्जशीट दे चुकी है। धनबाद की विशेष अदालत में सीबीआइ ने पहली चार्जशीट 22 दिसंबर 2009 एवं दूसरी चार्जशीट 7 जनवरी 2010 को दाखिल किया था। सीबीआइ ने महेंद्र सिंह की हत्या को नक्सली कार्रवाई माना।

गवाहों ने अभियुक्‍तों को नहीं पहचाना 

19 सितंबर 2011 को सीबीआइ की विशेष अदालत में आरोप गठन के बाद ट्रायल शुरू हुआ। फिलहाल गवाही चल रही है। गवाही के साथ-साथ प्रति परीक्षण भी चल रहा है। चार्जशीट में अभियुक्त बनाए गए माओवादी कमांडर गिरिडीह के रमेश मंडल उर्फ साकिन दा, कुणाल कौशल एवं रामचंद्र महतो में से किसी को गवाहों ने पहचाना नहीं है। तीन अभियुक्तों में से एक रामचंद्र महतो की मौत हो चुकी है, जबकि कुणाल कौशल जमानत पर बाहर है। गिरिडीह जेल में विभिन्न मामलों में बंद नक्सली रमेश मंडल ने जमानत के लिए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

पार्टी ने लगाया सत्ता में बैठे लोगों पर आरोप

इस वाक्‍ये पर भाकपा माले के राज्‍य सचिव मनोज भक्‍त ने कहा, विधायक महेंद्र प्रसाद सिंह की हत्या राजनीतिक हत्या थी। उस वक्त सत्ता में बैठे लोगों के इशारे पर उनकी हत्या हुई थी। माले शुरू से ही यह बात कह रही है। इस पर ध्यान नहीं दिया गया। सीबीआइ ने क्या और कैसे अनुसंधान किया, यह नहीं कह सकते।

रमेश मंडल के अधिवक्‍ता ने सफाई में कही ये बात

इधर, आरोपित रमेश मंडल के अधिवक्ता डीके पाठक ने कहा, सीबीआइ अभी तक मात्र 24 गवाहों की गवाही दिला सकी है। आइओ की भी गवाही नहीं हुई है। आरोपित बनाए गए लोगों की किसी गवाह ने पहचान नहीं की है। फोटो के आधार पर तीन लोगों को आरोपित बना दिया गया।

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