दो साल से बंद हो गई बच्चों की नर्सरी
कोविड-19 की दोनों लहर का सबसे अधिक असर बच्चों की पढ़ाई पर हुआ है। दो साल से प्ले स्कूल बंद हैं ऐसे में अब बच्चों को सीधे एलकेजी व यूकेजी में नामांकन लेना पड़ेगा जिससे उनकी परेशानी और बढ़ेगी।
By JagranEdited By: Updated: Wed, 19 May 2021 06:15 AM (IST)
आशीष सिंह, धनबाद
कोविड-19 की दोनों लहर का सबसे अधिक असर बच्चों की पढ़ाई पर हुआ है। जो बच्चे पहले से ही स्कूलों में नामांकित हैं, किसी तरह उनकी ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है। जिन्हें इस समय प्ले स्कूल में होना चाहिए था ऐसे बच्चे अपने घरों में बैठे हैं। अभिभावक भी स्कूल खुलने का इंतजार कर रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि वर्ष 2018 में जन्म लेने वाले 7800 यानी लगभग आठ हजार बच्चे प्ले स्कूल में कदम नहीं रख पाएंगे। यह आंकड़ा नगर निगम से जारी जन्म प्रमाणपत्र का है। यह इससे भी कहीं अधिक हो सकता है। कारण कई प्ले स्कूल बिना जन्म प्रमाणपत्र के भी एडमिशन दे देते हैं। यदि आज की तिथि में स्कूल खुलते हैं तो इनका दाखिला सीधे सीबीएसई या आइसीएसई स्कूलों में एलकेजी-यूकेजी या पहली कक्षा में होगा। इसका बड़ा कारण यह है कि इन बच्चों की उम्र चार वर्ष से अधिक हो जाएगी। प्ले स्कूलों में दाखिला ढाई से साढ़े तीन वर्ष तक के बच्चों का होता है। बड़े स्कूल साढ़े तीन से साढ़े चार वर्ष की उम्र के बच्चों का दाखिला एलकेजी-यूकेजी में करते हैं। इस वर्ष भी प्ले स्कूल न खुले तो 2019 में जन्म लेने वाले साढ़े सात हजार बच्चे भी प्ले स्कूल की पढ़ाई से होंगे वंचित। इस वर्ष स्कूल खुलते हैं तो प्ले स्कूल की पढ़ाई किए बिना सीधे बड़े स्कूलों में पहुंचने वाले बच्चों पर स्कूल को छह से आठ माह की अतिरिक्त मेहनत करनी होगी। कारण प्ले स्कूल में बच्चे अक्षर ज्ञान और पढ़ने-लिखने की हैबिट विकसित करते हैं, लेकिन लगातार दो सत्र से प्ले स्कूल बंद हैं। तीन से चार माह बच्चों को बेसिक शिक्षा देने में ही बीत जाएगा। शिक्षाविदों का मानना है कि कोविड की वजह से एक बार फिर से 80 के दशक में पहुंच गए हैं, जब बच्चा सीधे पहली कक्षा में पढ़ने जाता था। इससे अभिभावकों पर जिम्मेदारी बढ़ गई है। बच्चों को बड़े स्कूलों के माहौल में ढालने के लिए तैयार करने में अब अभिभावकों को पहले से कहीं अधिक मशक्कत करनी होगी। ---------------------------
बंद होने की कगार पर प्ले स्कूल जिले में लगभग 400 प्ले स्कूल हैं। सीबीएसई-आइसीएसई स्कूलों की तो ऑनलाइन पढ़ाई भी हो रही है, लेकिन प्ले स्कूल पूरी तरह से बंद हैं। लगातार दो सत्र से प्ले स्कूलों में एक भी एडिमशन नहीं हुआ। ऐसे कई प्ले स्कूल हैं जिनकी एक से अधिक ब्रांच थी। ऐसे स्कूलों ने भी अपनी ब्रांच बंद कर दी है।
-------------------------- केस स्टडी - एक हैप्पी चाइल्ड नर्सरी स्थिति : संचालक अमरेंद्र सिंह बताते हैं कि 17 मार्च 2020 से स्कूल बंद है। अपना भवन होने के बावजूद हर महीने तीन से चार लाख रुपये घर से जा रहा है। बिजली, मेंटनेंस, 12 शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों को वेतन दिया जा रहा है। बच्चों को ऑनलाइन वीडियो बनाकर भेजा जा रहा है। हर वर्ष 30 से 40 एडिमशन होता था, दो सत्र से एक भी नहीं हुआ। जो बच्चे बचे भी हैं तो 50 फीसद अभिभावक फीस ही नहीं दे रहे हैं। ---------------------------- केस स्टडी - दो नारायणी किड्ज झाड़ूडीह-हाउसिग कॉलोनी स्थिति : संचालिका सुमन जालान बताती हैं कि 20 सालों की मेहनत अब धीरे-धीरे बिखर रही है। तीन ब्रांच थी। तीनों ही किराए पर। धनसार ब्रांच एक साल तक बंद करके किराया दिया। काफी घाटा होने लगा तो इस वर्ष मार्च में धनसार ब्रांच को बंद करना पड़ा। यहां का पूरा सेटअप लाखों का था, यह पड़े-पड़े बर्बाद हो रहा है। झाड़ूडीह और हाउसिग कॉलोनी ब्रांच की स्थिति भी ठीक नहीं है। देखिए कब तक चला पाते हैं। ------------------------------- केस स्टडी - तीन जिगल बेल प्ले स्कूल कब्रिस्तान रोड जोड़ाफाटक स्थिति : संचालिका दिशा गुप्ता बताती हैं कि हालत बहुत खराब है। दो सत्र से स्कूल बंद है। स्टाफ और शिक्षकों की सैलरी नहीं दे पा रहा हैं। अपना खर्च ही बहुत मुश्किल से चल रहा है। दो वर्षों से एक रुपये की भी आमदनी नहीं हुई। छह हजार रुपये हर महीने घर से खर्च हो रहा है। ऐसी ही स्थिति कुछ महीने और रही तो स्कूल बंद करना पड़ जाएगा। ---------------------------- कुछ प्रमुख स्कूल हुए बंद - हेलो किड्स, बारामुड़ी : पिछले वर्ष तक 46 बच्चे और पांच शिक्षक। - बचपन प्ले स्कूल, धैया : 35 बच्चे और पांच शिक्षक। - किडज केयर प्ले स्कूल, कोऑपरेटिव कॉलोनी : 40 बच्चे, तीन शिक्षक।
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