बरसात में जर्जर बिरसा पुल पर चलना हुआ खतरनाक, दुर्घटना को दे रहा आमंत्रण Dhanbad News
सुदामडीह मोहलबनी स्थित दामोदर नदी पर झरिया से बोकारो जिला को जोड़ने वाली लाइफ लाइन बिरसा पुल। आज अपने बदहाली पर आंसू बहा रही है। प्रतिदिन सैकड़ो भारी वाहनों चार पहिया व दोपहिया वाहनों के कारण पुल पर दबाव बढ़ गया है।
By Atul SinghEdited By: Updated: Sat, 19 Jun 2021 05:41 PM (IST)
चासनाला, राहुल मिश्रा : सुदामडीह मोहलबनी स्थित दामोदर नदी पर झरिया से बोकारो जिला को जोड़ने वाली लाइफ लाइन बिरसा पुल। आज अपने बदहाली पर आंसू बहा रही है। प्रतिदिन सैकड़ो भारी वाहनों, चार पहिया व दोपहिया वाहनों के कारण पुल पर दबाव बढ़ गया है। वहीं सरकार व जिला प्रशासन की उदासीनता के कारण बिरसा पुल काफी जर्जर हो चुका है। पुल की सड़कों पर दर्जनों स्थानों पर गड्ढे व काली परत उखड़ने के कारण लोहे के छड़ भी बाहर निकल आएं हैं। पुल के दोनों किनारों पर पानी निकासी को बनाए गए छिद्र भी बालू व मिट्टी जमाव के कारण बंद हो गए हैं। जिससे लगातार हो रही बारिश में पुल पर भारी जल जमाव हो गया है। जिससे पुल पर बने गड्ढे में पानी भर जाने से जानलेवा बन गई है। पुल पर लाइट की व्यवस्था तक नही है। जिससे पूरा पुल पर अंधेरा छाया रहता है। इससे दो पहिया व राहगीर दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। पुल के दोनों तरफ की रेलिंग भी पूरी तरह जर्जर होकर टूट कर गिरने लगी है। अगर समय रहते पुल की मरम्मती की दिशा में जनप्रतिनिधियों व जिला प्रशासन ने ध्यान नही दिया तो स्थिति और भी भयावह हो सकती है।
धनबाद जिले को बोकारो सहित झारखंड व पश्चिम बंगाल से जोड़ने वाली धनबाद तेलमोच्चो पुल क्षतिग्रस्त होने पर जिला प्रशासन ने बिरसा पुल को ही उसका विकल्प बनाया था। वर्ष 2018 - 19 में झरिया के तत्कालीन विधायक संजीव सिंह ने पुल के जर्जर होने पर संज्ञान लेते हुए विभाग व सरकार को पत्राचार कर अविलंब मरम्मती की मांग की थी। जिसके बाद पुल की मरम्मती हुई थी। लेकिन स्थिति फिर जस की तस हो गई है।
वर्ष 1980 में बिहार सरकार के कार्यकाल के दौरान करीब 90 लाख रुपये की लागत से बिरसा पुल का निर्माण किया गया था। पुल का उद्घाटन राजनीति के संत, मजदूर मशीहा व तत्कालीन सांसद कामरेड एके राय ने किया था। पुल के बनने से लोगों को बोकारो आने जाने में काफी सुविधा मिली। वहीं धनबाद, झरिया व सिंदरी को झारखंड के बोकारो, टाटा, जमशेदपुर, रांची, पश्चिम बंगाल के संथालडीह, आद्रा, रघुनाथपुर, बांकुड़ा, उड़ीसा, वेल्लोर व दक्षिण भारत के अन्य जिलों व राज्य को भी यह पुल जोड़ती है।
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