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Indian Railways: कोरोना काल में बदल गया धक्कम पेल चेहरा, रियायती टिकटों पर चुपचाप कैंची चली

Indian Railways Face कोरोना काल में सबसे बड़ा बदलाव रेलवे की वेटिंग टिकटों को लेकर हुआ। रेलवे ने वेटिंग टिकट के साथ सफर पर पूरी तरह रोक लगा दी। टिकट वेटिंग रहा तो ट्रेन में सफर करना तो दूर स्टेशन के अंदर जाकर ट्रेन को देख भी नहीं सकते हैं।

By MritunjayEdited By: Published: Wed, 13 Jan 2021 10:39 AM (IST)Updated: Wed, 13 Jan 2021 12:12 PM (IST)
सफर में रेलम-पेल भीड़ की परंपरा खत्म को रेलवे ने खत्म कर डाला ( फाइल फोटो)।

धनबाद [ तापस बनर्जी ]। कोरोना काल ने जनरल डिब्बों में धक्का-मुक्की वाली दशकों पुरानी परंपरा को बदल डाला है। जनरल डिब्बों में भी सफर तभी कर सकते हैं जब जेब में कंफर्म टिकट है। स्लीपर और एसी में भी सिर्फ कंफर्म टिकट वालों को ही ग्रीन सिग्नल मिल रहा है। चलो अच्छी बात है। जनरल वाले धक्का-मुक्की से बच गए और रिजर्वेशन वालों को सीट शेयर करने से झंझट से मुक्ति मिल गई। भारतीय रेलवे में बदलाव की यह सिर्फ एक बानगी भर है। कोरोना काल में रेलवे का चेहरा पूरी तरह से बदल गया है। हां, यह अलग बात है कि यह चेहरा किसी को अच्छा लग रहा है तो किसी को खराब। आइए, रेलवे में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव को जानते हैं।  

नहीं करा सकते टिकट का मॉडिफिकेशन

रेलवे अपने यात्रियों को यात्रा तिथि बदलने के लिए मॉडिफिकेशन की सुविधा देती थी। उदाहरण के तौर पर अगर आपने धनबाद से पटना के लिए गंगा-दामोदर एक्सप्रेस में 20 जनवरी टिकट बुक कराया है और 20 के बजाय आप 19 या 21 को जाना चाहते हैं, तो टिकट को मॉडिफाई करा सकते हैं। ट्रेन, श्रेणी, गंतव्य और यात्री समान रहे तो टिकट मॉडिफाई हो जाएगा। इससे टिकट रद नहीं कराने होंगे और स्लीपर में प्रति टिकट केवल 20 रुपये अतिरिक्त चुकाकर नई तिथि के लिए टिकट मिल जाएगा। रद कराने पर कंफर्म टिकट के लिए स्लीपर में प्रति टिकट 120 रुपये तक शुल्क चुकाने पड़ते हैं। मगर, कोरोना काल में रेलवे ने यात्रियों की यह खास सुविधा बंद कर दी है। यात्रा तिथि में फेरबदल होने पर टिकट रद कराने के सिवाय दूसरा कोई विकल्प नहीं है।

कनेक्टिंग ट्रेन का टिकट मिलना बंद

पहले धनबाद से सीधी ट्रेन न भी हो क्लस्टर टिकट मिल जाता था। यात्री अगर कन्याकुमारी जाना चाहते हैं तो धनबाद से कन्याकुमारी तक का टिकट साथ बन जाता था। एक साथ टिकट जारी होने से किराए में काफी बचत हो जाती थी। यात्री चाहें तो धनबाद से चेन्नई चले गए और वहां से कन्याकुमारी के लिए कनेक्टिंग ट्रेन में सवार होकर पहुंच गए। अब इस सुविधा पर रोक लग चुकी है। जहां तक सीधी ट्रेन है टिकट भी वहीं तक मिलेगा। आगे के सफर के लिए ट्रेन बदलने पर उसका भी पूरा किराया चुकाकर यात्रा करनी होगी।

किराया बढ़ाकर तत्काल कोटे पर भी लगा दी रोक

सामान्य कोटे की सीटें भर जाने पर तत्काल कोटा ही विकल्प रहता है। पर यात्रियों से इस खास सुविधा को भी कई ट्रेनों से छीन लिया गया है। गंगा-दामोदर जैसी महत्वपूर्ण ट्रेन को स्पेशल के तौर पर चलाकर किराया बढ़ा दिया गया और तत्काल कोटे पर रोक लगा दी गई। यही हाल वनांचल एक्सप्रेस, मौर्य एक्सप्रेस, रक्सौल-हैदराबाद साप्ताहिक एक्सप्रेस का है। रक्सौल-हैदराबाद एक्सप्रेस का न सिर्फ किराया बढ़ा बल्कि आरक्षण अवधि 120 से कम कर 10 दिन कर दिया गया। 

सीनियर सिटीजन से लेकर पत्रकारों तक का रियायत बंद

कोरोना काल ने रेलवे में मिलने वाली तमाम रियायतों पर कैंची चला दी। 60 साल के पुरुष को मिलने वाली सभी श्रेणियों के किराए में 40 फीसद रियायत और 58 साल की महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत रियायत पर रोक लग गई है। यहां तक कि पत्रकारों को ट्रेनों में मिलने वाली छूट पर भी पाबंदी है। खिलाडि़यों और कलाकारों की रियायत पर भी कैंची चल गई है। 

वेटिंग टिकट पर सफर छोड़िए, ट्रेन देखना भी मना है

कोरोना काल में सबसे बड़ा बदलाव रेलवे की वेटिंग टिकटों को लेकर हुआ। रेलवे ने वेटिंग टिकट के साथ सफर पर पूरी तरह रोक लगा दी। टिकट वेटिंग रहा तो ट्रेन में सफर करना तो दूर स्टेशन के अंदर जाकर ट्रेन को देख भी नहीं सकते हैं। हालांकि रेलवे की इस व्यवस्था को यात्रियों ने सही कदम बताया। उनका मानना है कि इससे कंफर्म सीट वाले यात्रियों को सफर में परेशानी नहीं होगी। पर वेटिंग वालों के लिए अतिरिक्त ट्रेन चलाने की सिफारिश करने से भी पीछे नहीं हैं। 

जनरल में धक्का-मुक्की बंद, आराम से बैठकर सफर की मिली आजादी

प्लेटफॉर्म पर ट्रेन आते ही जनरल डिब्बे में चढ़ने के लिए होनेवाली धक्का-मुक्की को कोरोना ने एकदम से बंद करा दिया। आराम से टिकट बुक कराइए और जनरल कोच में भी आराम से बैठकर जाइए। कुछ चुनींदा ट्रेनों में बहाल सेकेंड सीटिंग की व्यवस्था रेलवे के लिए नया सिस्टम बन गई।


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