एकला चलो की नीति छोड़ माले ने खुद को किया मजबूत, कभी थी JMM-RJD और कांग्रेस की विरोधी; इस वजह से गठबंधन में हुई शामिल
Jharkhand Politics कभी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर झामुमो राजद व कांग्रेस की विरोधी पार्टी अब झारखंड-बिहार में सहयोगी है। एकला चलो की नीति छोड़ माले ने खुद को मजबूत किया। रणनीति बदलकर झामुमो-राजद और कांग्रेस के गठबंधन में शामिल होने के बाद से पार्टी की किस्मत का सितारा चमक उठा। झारखंड में इस बार माले के हिस्से में कोडरमा लोकसभा सीट आई है।
दिलीप सिन्हा, धनबाद। भाकपा माले भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस, राजद और झामुमो की प्रबल विरोधी थी। इसलिए एकला चलो की नीति अपना रखी थी। चुनाव में अकेले आगे बढ़ने के इस सिद्धांत कुछ खास फायदा नहीं मिल रहा था। आखिरकार माले ने रणनीति बदली और झामुमो-राजद और कांग्रेस के गठबंधन में शामिल हो गई। इसके बाद इसका सितारा चमक उठा।
कोडरमा सीट से माले को मिला मौका
पिछले चुनाव में गठबंधन से चुनाव लड़ने पर पहली बार इस दल के 12 विधायक बिहार विधानसभा पहुंचने में सफल रहे थे। उससे पहले इस पार्टी के मात्र तीन विधायक थे। इस लोकसभा चुनाव में भी आइएनडीआइए (तब की संप्रग) के साथ मिलकर पार्टी बिहार में तीन और झारखंड में एक सीट लेने में सफल रही।
झारखंड में इस बार माले के हिस्से में कोडरमा लोकसभा सीट आई है। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में वहां पार्टी जमानत तक नहीं बचा सकी थी। फिर भी इस सीट पर माले को फिर मौका दिया गया। झामुमो और राजद का मजबूती से साथ देकर ही माले ने गठबंधन में विश्वसनीयता बनाई।
देश में जो स्थिति है, उसे देखते हुए वाम एकता से इतर व्यापक एकता की जरूरत थी। इसी कारण भाकपा माले आइएनडीआइए में शामिल हुई। हम बिहार में तीन और झारखंड में एक लोकसभा सीट से लड़ रहे हैं। बंगाल, ओडिशा और आंध्रप्रदेश की एक-एक सीट पर भी लड़ रहे हैं - दीपंकर भट्टाचार्य, महासचिव भाकपा माले।
हेमंत-तेजस्वी से मिलकर रिश्ता किया मजबूत
माले ने पिछले लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव से पहले अपनी रणनीति बदल ली थी। राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य झारखंड में झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन एवं बिहार में राजद के कार्यकारी अध्यक्ष तेजस्वी यादव से मिलकर नए रिश्ते की शुरुआत की।विधानसभा चुनाव में माले के विनोद सिंह बगोदर से जीते थे। चुनाव के बाद पहली बार माले खुलकर हेमंत सरकार के साथ आई। विनोद सिंह हर संकट में झामुमो-कांग्रेस-राजद सरकार के साथ खड़े रहे।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भारत यात्रा के दौरान पूर्वी टुंडी में रात्रि विश्राम किया था तो उनसे मिलने विनोद सिंह भी वहां पहुंचे थे।भाकपा माले के पोलित ब्यूरो के सदस्य व राज्य सचिव मनोज कुमार भक्त कहते हैं कि महागठबंधन में शामिल होने का पहला प्रयोग बिहार में पिछले विधानसभा चुनाव में हुआ था जो काफी सफल रहा था। इसका काफी लाभ मिला।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।