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Lok Sabha Chunav Result : चुनाव में दल-बदलुओं की नहीं गली दाल, सीता-गीता से लेकर सूची में इन दिग्गजों के भी नाम

Jharkhand Lok Sabha Chunav Result झारखंड में लाेकसभा चुनाव के परिणामों ने दल बदलने वाले नेताओं के सामने मुश्किल खड़ी कर दी है। खासतौर पर हार का स्वाद चखने वाले ऐसे नेता अब अपने भविष्य को लेकर मंथन करने के क्रम में हैं। एक तो दल बदलने से लाभ नहीं मिला। वहीं अब पुरानी पार्टी में लौटने की गुंजाइश भी समाप्त है।

By Abhishek Poddar Edited By: Yogesh Sahu Updated: Thu, 06 Jun 2024 12:01 PM (IST)
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Chunav Result : चुनाव में दल-बदलुओं की नहीं गली दाल, सीता-गीता से लेकर सूची में इन दिग्गजों के भी नाम
अभिषेक पोद्दार, धनबाद। Jharkhand Lok Sabha Chunav Result : झारखंड में दल-बदल का इतिहास काफी पुराना है। राज्य के कई नेता, विधायक दो-तीन बार पाला बदल चुके हैं। इसी कारण भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का दर्जा नहीं मिल पाया था।

इस लोकसभा चुनाव में भी कई नेताओं ने पार्टी बदली। इसमें से कई को लोकसभा चुनाव के लिए टिकट मिला तो कइयों को मायूसी। हालांकि, दल-बदलकर टिकट पाने में सफल रहनेवाले नेताओं ने पार्टियों को निराश किया।

इस लोकसभा चुनाव में सीता सोरेन, गीता कोड़ा, जेपी पटेल, ताला मरांडी ने दूसरी पार्टी ज्वाइन की। लेकिन ये जीत नहीं पाए। ऐसे में अब फिर यह अपने नए दल में रहेंगे या किसी दूसरी पार्टी की तरफ कदम बढ़ाएंगे, यह तो आनेवाला समय ही बताएगा। आइए जानते हैं दल बदलने वाले इन प्रत्याशियों का इस चुनाव में क्या हाल हुआ।

  • जेपी पटेल (JP Patel) : टुंडी विधायक मथुरा प्रसाद महतो के दामाद जेपी पटेल पहले झामुमो में थे। बाद में भाजपा में शामिल हो गए। चुनाव से कुछ माह पहले कांग्रेस में शामिल हुए और हजारीबाग से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा। इन्हें भाजपा प्रत्याशी मनीष जयसवाल ने 2,76,686 मतों से हराया। मनीष को 6,54,613 और जेपी पटेल को 3,77,927 वोट मिले।
  • ताला मरांडी (Tala Marandi): ताला मरांडी पहले भाजपा में थे। विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट नहीं मिलने पर आजसू में शामिल हो गए। इसके बाद भाजपा में शामिल हुए और राजमहल सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन इन्हें हार का सामना करना पड़ा। इन्हें झामुमो के विजय हांसदा ने 1,78,264 मतों से हराया। ताला मरांडी को 4,35,107 तो विजय को 6,13,371 मत मिले।
  • गीता कोड़ा (Geeta Koda) : राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता ने सबसे पहले जय सामंता पार्टी से चुनाव लड़ा था और विधायक भी बनी थीं। इसके बाद पिछले लोकसभा में कांग्रेस के टिकट पर सिंहभूम से सांसद बनीं। इस बार पाला बदलकर उन्होंने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा। इन्हें झामुमो की जोबा मांझी ने 1,68,402 मतों से हराया। गीता को 3,51,762 तो जोबा मांझी को 5,20,164 मत मिले।
  • सीता सोरेन (Sita Soren) : झामुमो नेता स्व. दुर्गा सोरेन व पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन जामा से झामुमो विधायक थीं। पारिवारिक मनमुटाव के कारण चुनाव से पहले भाजपा की सदस्यता ली और दुमका लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। उन्हें झामुमो के नलिन सोरेन ने 22,527 मतों से हराया। सीता को 5,24,843 तो नलिन को 5,47,370 मत मिले। सीता सोरेन के कारण दुमका से भाजपा को प्रत्याशी बदलना तक पड़ा था।

टिकट नहीं मिलने पर रामटहल की घर वापसी

इन चारों के अलावा रांची के पूर्व सांसद टिकट की आस में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे, लेकिन उन्हें रांची से टिकट नहीं मिला।

उनकी जगह सुबोधकांत सहाय (Subodh kant Sahay) की बेटी को टिकट मिला, हालांकि वह भी चुनाव हार गईं। इसके बाद रामटहल चौधरी ने कांग्रेस छोड़कर फिर से भाजपा का दामन थाम लिया।

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