Rajesh Kumar Singh: दृष्टिबाधितों के लिए रोल मॉडल बने बोकारो डीसी, इनकी कार्यशैली से रूबरू हो रहे बेगूसराय के एसी
2007 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी राजेश कुमार सिंह दृष्टिबाधित हैं। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने पिछले साल जब उन्हें बोकारो का उपायुक्त बनाया तो वे देशभर में सुर्खियों में छा गए। उन्हें दिव्यांग अपना रोल मॉडल मानते हैं।
By MritunjayEdited By: Updated: Wed, 27 Jan 2021 03:25 PM (IST)
बोकारो, जेएनएन। लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती...। बेगूसराय बिहार के दृष्टिबाधित असिस्टेंट कलक्टर स्पर्श गुप्ता ने इस ध्येय वाक्य को अपने जीवन में उतारा। उन्होंने परिस्थितियों से कभी हार नहीं मानी और संघर्ष के बीच कड़ी मेहनत से जीवन में सफलता की राह तय की। वे भारतीय प्रशासनिक सेवा में आने के बाद शासन-प्रशासन के दाैरान भविष्य में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। इस सिलसिले में देश के पहले दृष्टिबाधित जिलाधिकारी बोकारो के उपायुक्त राजेश कुमार सिंह के कार्यकलापों से रूबरू होने के लिए इन दिनों बिहार से बोकारो आए हुए हैं।
देश के पहले दृष्टिबाधित जिलाधिकारी राजेश कुमार सिंह 2007 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी राजेश कुमार सिंह दृष्टिबाधित हैं। झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने पिछले साल जब उन्हें बोकारो का उपायुक्त बनाया तो वे देशभर में सुर्खियों में छा गए। उन्हें दिव्यांग अपना रोल मॉडल मानते हैं। उनकी कहानियों को पढ़कर प्रेरणा लेते हैं। अब बिहार कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी स्मर्श गुप्ता भी राजेश कुमार सिंह से कुछ सीखना चाहते हैं।
ग्लूकोमा के कारण चली गई आंख की रोशनी बुलंदशहर उत्तर प्रदेश निवासी स्पर्श गुप्ता ने कहा कि ग्लूकोमा के कारण आंख की रौशनी चली गई। माता-पिता ने काफी सहयोग किया। जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। निर्मला गवर्नमेंट स्कूल बुलंदशहर से मैट्रिक, आरके पुरम दिल्ली से इंटरमीडिएट एवं नेशनल लॉ कालेज बैगलुरु से एलएलबी की परीक्षा उत्तीर्ण की। जीवन में डट कर चुनौतियों का सामना किया। लक्ष्य साध कर कठिन परिश्रम किया। इसका सकारात्मक नतीजा सामने आया। ओएनजीसी में असिस्टेंट लीगल एडवाइजर की नौकरी की। इसके बाद सिविल की परीक्षा में सफल रहा। इस परीक्षा में अखिल भारतीय स्तर पर 562 वां स्थान मिला। कहा कि जुलाई में बोकारो के उपायुक्त राजेश सिंह के विषय में पता चला। तब मन में यह जिज्ञासा हुई कि आखिर वे इतने बड़े जिले में काम किस प्रकार करते हैं। इसलिए इनकी कार्यशैली की जानकारी लेने यहां चला आया। एक सप्ताह तक इनके सानिध्य में रह कर इनकी कार्यशैली से संबंधित जानकारी हासिल करुंगा।
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