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Jharkhand News: ...तो कन्या पूजन के लिए नहीं मिलेंगी बेटियां! झारखंड के इस जिले में लगातार घट रहा लिंगानुपात

धनबाद में बच्चों के लिंगानुपात में भारी गिरावट दर्ज की गई है। स्वास्थ्य विभाग और विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार धनबाद प्रखंड में 1000 बेटों की तुलना में केवल 703 बेटियों का जन्म हो रहा है। यह स्थिति आने वाले समय में कन्या पूजन के लिए बेटियों की कमी का कारण बन सकती है। इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

By Jagran News Edited By: Rajat Mourya Updated: Thu, 10 Oct 2024 05:13 PM (IST)
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बेटियों की घटती संख्या धनबाद में कन्या पूजन के लिए परेशानी

मोहन गोप, धनबाद। दुर्गा उपासना में आदिशक्ति महामाया की आराधना हो रही है। नवमी में कन्या पूजन का विधान है। हर घरों में कलश स्थापना के साथ पूजा हो रही है। नौ कन्या को पूजने के लिए तैयारी हो रही है, लेकिन कई ऐसे जगह हैं, जहां पर नौ कन्या को जुटाना मुश्किल हो रहा है।

दरअसल, स्वास्थ्य विभाग और विश्व स्वास्थ्य संगठन के ताजा आंकड़ों के अनुसार, धनबाद प्रखंड में जीरो से 5 वर्ष के बच्चों के लिंगानुपात में भारी गिरावट दर्ज हुई है। स्थिति यह है कि धनबाद बच्चों के लिंगानुपात में रेड जोन में चला गया है। 1000 बेटों की तुलना में यहां मात्र 703 बेटियों का जन्म हो रहा है। ऐसे में आने वाले समय में नौ कन्या का पूजन मैं भी परेशानी हो सकती है। लगातार बेटियों की गिरती संख्या आने वाले समय में चुनौती पैदा कर सकती है।

विभिन्न स्रोतों से जुटाए गए हैं आंकड़ें

विश्व स्वास्थ्य संगठन और स्वास्थ्य विभाग में जन्म के समय बच्चे और बच्चियों का यह आंकड़ा विभिन्न सरकारी संस्थान और निजी अस्पतालों से लिया। यह आंकड़ा 2024 के हैं। विभिन्न स्वास्थ्य केंद्र में हो रहे प्रसव के दौरान इसकी रिपोर्टिंग की गई। वहीं निजी अस्पतालों से भी आंकड़े जुटाए गए।

जहां 8 वर्षों तक चला अभियान, वहां यह हालात

धनबाद में शुरू से लिंगानुपात के मामले में रिपोर्ट खराब रही। इसलिए केंद्र सरकार ने देश भर में ऐसे 100 जिलों का चुनाव किया जहां पर लिंगानुपात की स्थिति खराब है। वर्ष 16 17 में यहां पर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत की गई। इसमें कन्या भ्रूण हत्या रोकने पीसीसी नीति एक्ट की कढ़ाई करने समय अन्य अभियान चलाए गए। लेकिन नतीजा सुनने दिख रहा है।

बैक डोर से चल रहा भ्रूण जांच का खेल

धनबाद में करीब 80 अल्ट्रासाउंड जांच घर हैं, जो स्वास्थ्य विभाग में रजिस्टर्ड है। लेकिन कई ऐसे जांच घर हैं, जहां पिछले दरवाजे से भ्रूण जांच की जा रही है। हालांकि बाहर बोर्ड में इन जांच घरों में भी भ्रूण जांच कानूनी अपराध है का बोर्ड दिख जाता है। मेडिकल सूत्र बताते हैं कि कुछ ऐसे में जांच घर हैं। जहां भ्रूण जांच के लिए ही खोले गये हैं, हालांकि इसमें सभी का कमीशन जाता है।

मेरी दो बेटियां, दोनों पर गर्व

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर एके सिंह बताते हैं कि मेरी दो बेटियां हैं। दोनों बेटियां अपने जीवन के सफलतम स्थान पर है। मुझे कभी भी बेटों की कमी नहीं खली। डॉक्टर सिंह बताते हैं बेटी और बेटियों में अंतर करना गलत है। लोगों को जागरूक होना पड़ेगा। संगठन की ओर से भी अक्सर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं।

समाज की सोच को बदलना जरूरी

कोल इंडिया से रिटायर सीनियर काउंसलर डॉ कृष्णr एम वोलेर कहती हैं, समाज की सोच को बदलना जरूरी है। लोग बेटों की चाह में बेटियों को कोख में ही मार रहे हैं। हम लोगों के पास कई ऐसे भी मामले आते हैं जहां जबरन गर्भपात के लिए कहा जाता है। ऐसे में घर के सदस्यों के लिए काउंसलिंग बेहद जरूरी है। प्रशासन और विभाग को भी इस पर कड़ा रुख अपनाना चाहिए। बेटियों के प्रति न्याय जरूरी है। तभी समाज में बराबरी की भागीदारी हो सकती है।

समय पर नहीं मिलती कन्याएं

भूली के रहने वाले पुरोहित विनोद पंडित बताते हैं कि कन्या पूजन का विधि विधान है, लेकिन अब नौ कन्याओं को जुटाने में कई जगह परेशानी होती है। ऐसी स्थिति में पहले ही 9 कन्याओं को ढूंढकर रख लेते हैं। जहां यजमान बुलाते हैं, वहां पूजा कर दिया जाता है। बेटियों के प्रति सोच में बदलाव जरूरी है। सनातन धर्म मैं हमेशा से ही नारियों की पूजा होती है।

धनबाद प्रखंड में जन्म के समय बेटियों की संख्या काफी घट रही है। यह चिंता का विषय है, इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग से चर्चा हो रही है। धनबाद प्रखंड की संख्या सबसे खराब है। - डॉ. अमित तिवारी, मेडिकल अफसर, डब्ल्यूएचओ, धनबाद

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