पूर्णिमा को कांग्रेस कोटे से मंत्री बनाने की मांग तेज, 52 साल बाद झरिया में पार्टी को दिलायी जीत Dhanbad News
बैंक मोड़ चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष सह कांग्रेस नेता प्रभात सुरोलिया ने झरिया विधायक पूर्णिमा सिंह को मंत्री बनाने की मांग की। कहा कि 52 वर्षों के बाद पार्टी को यहां जीत मिली है।
By Sagar SinghEdited By: Updated: Wed, 25 Dec 2019 10:50 PM (IST)
धनबाद, जेएनएन। शहर के बैंक मोड़ चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष सह कांग्रेस नेता प्रभात सुरोलिया ने झरिया विधायक पूर्णिमा सिंह को मंत्री बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि 52 वर्षों के बाद झरिया विधानसभा सीट पर पूर्णिमा नीरज सिंह ने कांग्रेस को जीत दिलायी है। इसलिए उन्हें कांग्रेस के कोटे से मंत्री बनाया जाना चाहिए।
सुरोलिया ने अपनी मांग के लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, सांसद राहुल गांधी, आरपीएन सिंह, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रामेश्वर उरांव को पत्र देकर अपनी मांग रखी है। इसके अलावा मेल और ट्वीट से भी संदेश दिया है। उन्होंने कहा कि पूर्णिमा सिंह ने झरिया सीट जीतकर पूरे धनबाद जिला में कांग्रेस का परचम लहराने का काम किया है। इसके साथ ही अब उनपर पूरे धनबाद लोकसभा में पार्टी को मजबूत करने की भी जिम्मेवारी है।भाजपा को उसके गढ़ में दीं मात : पूर्णिमा नीरज सिंह ने 52 वर्षों बाद भाजपा के गढ़ झरिया सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर जीत दर्ज की। उन्होंने अपनी ही देवरानी व भाजपा उम्मीदवार रागिनी सिंह को 12,054 मतों से हराया। रागिनी भाजपा के पूर्व विधायक संजीव सिंह की पत्नी हैं। संजीव ने 2014 के चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े अपने चचेरे भाई नीरज सिंह को हराया था। साल मार्च 2017 में धनबाद के उपमेयर नीरज की हत्या कर दी गई थी, जिसके आरोप में संजीव सिंह जेल में हैं।
प्रभावशाली मजदूर नेता की विरासत संभाल रही पूर्णिमा : साल 1977 के बाद से ही झरिया सीट पर यहां के प्रतिष्ठित सियासी घराने 'सिंह मैंशन' का दबदबा रहा है। हालांकि पूर्णिमा भी उसी घराने की बहू हैं, लेकिन परिवार में बिखराव व खूनी रंजिश के बाद परिवार बिखर गया और अब वह रघुकुल का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। रघुकुल झरिया के प्रभावशाली मजदूर नेता सूर्यदेव सिंह के छोटे भाई राजन सिंह ने बनवाया था। वहीं, सूर्यदेव सिंह ने सिंह मैशन की नीव रखी थी, जो 1977, 1980, 1985 और 1990 में झरिया के विधायक रहे। वे अपने भाईयों (राजन सिंह, बच्चा सिंह और रामाधीर सिंह) के साथ सिंह मैशन में ही रहते थे।
परिवार में बिखराव के बाद बना रघुकुल : सूर्यदेव सिंह का 1991 में निधन हो गया। इसके बाद उनकी सियासी विरासत को उनके छोटे भाई बच्चा सिंह ने संभाला। वे 2000 में यहां से विधायक चुने गए व मंत्री भी बने। इसके बाद धिरे-धिरे परिवार में दरार पड़ा शुरू हुआ और सभी भाई सिंह मैंशन ने निकल करने लगे। इसी दौरान सूर्यदेव के छोटे भाई राजन सिंह ने अलग से रघुकुल बनाया व बच्चा सिंह ने सूर्योदय। इधर, सूर्यदेव की पत्नी कुंती सिंह 2005 और 2009 में झरिया से विधायक चुनी गईं।
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