Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

कैसी थी सुनंदा पुष्कर, जीवन के पन्नों को खोल रही 'सेज'

सुनंदा पुष्कर के बारे में आप सभी जानते हैं कि 2014 में दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में उनकी रहस्यमयी मौत हो गयी थी। सांसद शशि थरूर की तीसरी पत्नी होने के अलावा भी सुनंदा की अपनी एक शख़्सियत थी जिसे आप सेज के जरिए बखूबी जान सकेंगे।

By MritunjayEdited By: Updated: Fri, 11 Feb 2022 11:33 AM (IST)
Hero Image
किताब सेज का मुख्य पृष्ठ ( फोटो सौजन्य)।

जागरण संवाददाता, धनबाद। लेखक जोड़ी हीरेन्द्र झा और निमिषा दीक्षित इन दिनों मिलकर कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं। इन दिनों लेखक जोड़ी की एक किताब सेज : सुनंदा पुष्कर की कहानी चर्चा में है। यह किताब अभी किंडल एडिशन यानी ई-बुक के रूप में अमेज़न पर पाठकों के लिए उपलब्ध है। सेज : सुनंदा पुष्कर की कहानी नाम से ही स्पष्ट है कि यह किसकी कहानी है। सुनंदा के बारे में आप सभी जानते हैं कि 2014 में दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में उनकी रहस्यमयी मौत हो गयी थी। शशि थरूर की तीसरी पत्नी होने के अलावा भी सुनंदा की अपनी एक शख़्सियत थी, जिसे आप इस पुस्तक के जरिए बखूबी जान सकेंगे।

वैलेंटाइन डे पर किताब का प्रकाशन

किंडल एडिशन के बाद जल्द ही किताब का पेपरबैक एडिशन भी पाठकों तक इसी वैलेंटाइन डे पर पहुंच जाएगा। माय बुक्स सेलेक्ट ने अपने नायाब सीरीज़ के तहत इस पुस्तक का प्रकाशन किया है। यहां बता दें कि 'सेज' धनबाद में जन्मे और पले-बढ़े हीरेन्द्र झा की तीसरी किताब है। उनकी पहली किताब 'मीडिया के दिग्गज' और कविता संग्रह 'एक ख़्वाब' भी काफी चर्चित रही। जबकि निमिषा दीक्षित की यह डेब्यू बुक है। हीरेन्द्र और निमिषा कई वर्षों से साथ मिलकर सरकारी-गैरसरकारी कई क्लाइंट्स के लिए शॉर्ट फ़िल्म, डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म, एड, जिंगल, कहानी और गीत लिख रहे हैं। दोनों मिलकर अब फ़िल्म, टीवी सीरियल और वेब सीरियल भी लिख रहे हैं।

हीरेंद्र और निमिषा का परिचय

मूल रूप से बिहार और उत्तरप्रदेश से ताल्लुक रखने वाली यह जोड़ी इन दिनों मुंबई में कई तरह के क्रिएटिव कामों में जुटी है। निमिषा एक लेखक के अलावा एक रेडियो जॉकी और वॉयस एक्टर भी हैं। आवाज़ की दुनिया में भी एक अलग पहचान रखती हैं। हीरेन्द्र 12 साल पत्रकारिता करने के बाद अब फ़िल्म और टीवी सीरियल लेखन में सक्रिय हैं। इस बीच हीरेन्द्र और निमिषा जोड़ी में काम कर रहे हैं। सेज पर यह जोड़ी लगभग तीन साल से काम कर रही थी और अब जाकर यह किताब पूरी हुई है। यह किताब मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है और पाठकों के लिए इसमें बहुत कुछ ख़ास है। सुनंदा पुष्कर की कहानी के जरिए बीते दशक की राजनीतिक, सामाजिक और समसामयिक भारत की भी एक झलक आपको इस किताब माध्यम पढ़ने-जानने को मिलेगी।