Jharkhand News: धनबाद में कोयले का काला कारोबार, 1600 करोड़ का माल बेच चंपत हुई 45 कंपनियां; जांच में खुलासा
धनबाद में कोयले का काला कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। इसमें कई शेल कंपनियां भी शामिल हैं। इस बात का खुलासा वाणिज्य कर विभाग की जांच के बाद हुआ। बताया जा रहा है कि इन कंपनियों ने करीब 1600 करोड़ का कोयला बेचा और इसका रिटर्न फाइल नहीं किया। वहीं जांच के दौरान इन कंपनियों के पते पर तलाशी करवाई तो ये सभी कंपनियां गायब मिले।
बलवंत कुमार, झरिया (धनबाद)। कोयला के अवैध धंधे में शेल कंपनियां शामिल हैं। ये जीएसटी भी चुराती हैं। वाणिज्य कर विभाग की सक्रियता से मामले का खुलासा हुआ है। इन कंपनियों ने करीब 1600 करोड़ का कोयला बेचा, लेकिन इसका रिटर्न फाइल नहीं किया।
जांच के बाद 45 शेल कंपनियों के नाम सामने आए। विभागीय अधिकारियों ने इनके पते पर खोजबीन करवाई तो सभी कंपनियां गायब मिले।
कई महीनों से चल रही थी जांच
जानकारी के मुताबिक, ऐसे व्यावसायिक प्रतिष्ठानों का भौतिक सत्यापन अप्रैल 2023 से विभाग कर रहा है। पांच माह से तलाश भी कर रही है। इन पर टैक्स करीब 150 करोड़ रुपये बकाया है।
दरअसल, इन कंपनियों ने करीब डेढ़ साल साल में कोयले का जमकर अवैध कारोबार किया। इस दौरान जीएसटी के माध्यम से 80 हजार से ज्यादा ई-वे बिल बनाए गए और इसी बिल के आधार पर करोड़ों का कोयला बेचा।
जितने की टैक्स चोरी की गई है, उसमें पांच प्रतिशत जीएसटी और 400 रुपये प्रति टन की दर से सेस की राशि है। जीएसटी प्रविधान के अनुसार, इन कंपनियों पर तीन गुना जुर्माना लगाया जाना है। बता दें कि अवैध कोयला का ई-वे बिल के जरिए वैध बनाया जाता है ताकि जांच के दौरान पुलिस और विभागीय अधिकारी ट्रकों को पकड़ न सकें।
खरीदारों से वसूली जाएगी राशि
टैक्स चोरी में सूचीबद्ध 45 कंपनियों का पता नहीं मिलने पर इनके लिंक को खोजने का प्रयास जारी है। अब इन कंपनियों से कोयला खरीदने वालों से टैक्स वसूला जाएगा। अब तक चार कंपनियों का लिंक मिला है।
इनका जीएसटी नंबर रद्द किया जा चुका है। विभागीय सूत्रों की मानें तो कुछ ही कंपनियों के लिंक मिले हैं। अधिकतर खरीदारों का भी पता नहीं चल पा रहा है। विभाग का मानना है कि उन्होंने कोयला की खरीद-बिक्री नगद देकर की है।
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जीएसटी चोरी रोकने को लेकर अब आधार ओटीपी
जीएसटी काउंसिल टैक्स चोरी रोकने के लिए नियमों में बदलाव कर रहा है। पहले फर्जी पहचान पत्रों के आधार पर किसी शेल कंपनी का निर्माण करना आसान था, लेकिन अब ऐसा नहीं हो पाएगा।
अब निबंधन के लिए आवेदन देने पर अधिकारी कार्यालय का भौतिक निरीक्षण करते हैं और जियो मैपिंग की जाती है। आधार ओटीपी सेवा भी शुरू की जा रही है। जीएसटी बिल बनाने के दौरान हर बार आधार कार्ड से जुड़ा ओटीपी मोबाइल पर मिलेगा।
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