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सरकारी स्कूल के बच्चे भी करेंगे माडर्न तरीके से पढ़ाई, धनबाद के तीन स्कूल तैयार

माडल विद्यालयों में नामांकन के लिए शिक्षकों को पांचवीं कक्षा के पांच से दस बच्चों का चयन कर उनकी विशेष तैयारी करानी है। बच्चों का चयन नेतरहाट आवासीय स्कूल और इंदिरा गांधी बालिका विद्यालय की तर्ज पर होगा।

By MritunjayEdited By: Updated: Sun, 13 Feb 2022 02:35 PM (IST)
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सीबीएसई पाठ्यक्रम पर आधारित पढ़ाई ( प्रतीकात्मक फोटो)।
शशिभूषण, धनबाद। जिले के तीन सरकारी स्कूलों में बहुत जल्द केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई पैटर्न पर आधारित पढ़ाई होगी। जिला स्कूल, एसएसएलएनटी बालिका प्लस टू उच्च विद्यालय और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय निरसा को स्कूल आफ एक्सीलेंस स्कूल की सूची में शामिल किया गया है। समग्र शिक्षा अभियान का यह प्रथम पड़ाव है। इसे प्रथम चरण में इन स्कूलों को सीबीएसई की संबद्धता मिल गई है।

चयनित तीनों स्कूलों का तीन दशक का इतिहास

झारखंड में 80 स्कूल ऐसे हैं, जिन्हें एक्सीलेंस से सीबीएसई बनाया जाएगा। इन तीनों स्कूलों में सीबीएसई की सभी सुविधाओं से लैस भवन का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए जिला स्कूल में मिट्टी की सैंपलिंग भी की गई। भवन निर्माण के लिए यह जरूरी है। संभावना जताई जा रही है सरकार के एक वर्ष पूरे होने पर 29 दिसंबर को इसकी विधिवत घोषणा हो सकती है। धनबाद के लिए अच्छी खबर है। राज्य मु यालय ने इस संबंध में जिला शिक्षा विभाग को पत्र भेज दिया है। डीईओ प्रबला खेस ने इन स्कूलों को माडल स्कूल बनाने समेत अन्य प्रक्रिया पूरी करने के लिए दो नवनियुक्त क्षेत्र शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को जि मेवारी सौंपी है। प्रबला खेस ने दोनों नवनियुक्त क्षेत्र शिक्षा प्रसार पदाधिकारी के साथ बैठक कर आवश्यक निर्देश जारी किया है। यहां बता दें कि चयनित तीनों स्कूलों का तीन दशक से अधिक का इतिहास रहा है। जिला स्कूल तो 50 वर्ष से भी पुराना है।

एक स्कूल पर 10 करोड़ खर्च की तैयारी

इनमें तीन स्कूल का आर्किटेक की ओर से स्कूलों की डीपीआर तैयार कर राज्य सरकार को सौंपने के बाद अब भवन निर्माण का काम भी शुरू हो गया है। एक स्कूल को माडल स्कूल के रूप में विकसित करने में लगभग 10 करोड़ रुपये खर्च करने की संभावना है। इनमें छह करोड़ रुपए आधारभूत सुविधाओं पर खर्च होंगे। इन स्कूलों में पहली से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई होगी। यह भी कहा जा रहा है कि इन स्कूलों में प्रवेश परीक्षा के आधार पर नामांकन मिलेगा। स्कूल में न्यूनतम एक हजार तो अधिकतम 1200 छात्रों की पढ़ाई की व्यवस्था होगी। बच्चों की अंग्रेजी बेहतर करने के लिए लैंग्वेज लैब की स्थापना के साथ ही स्पोकेन इंग्लिश पर भी फोकस रहेगा। राज्य मुख्यालय ने इस संबंध में जिला शिक्षा विभाग को पत्र भेज दिया है। डीईओ प्रबला खेस ने इन स्कूलों को माडल स्कूल बनाने समेत अन्य प्रक्रिया पूरी करने के लिए दो नवनियुक्त क्षेत्र शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को जि मेवारी सौंपी है। प्रबला खेस ने दोनों नवनियुक्त क्षेत्र शिक्षा प्रसार पदाधिकारी के साथ बैठक की। उसके बाद आवश्यक निर्देश जारी किया।

क्या-क्या मिलेंगी सुविधाएं

फिजिक्स, केमिस्ट्री, गणित, बायो, कंप्यूटर, लैंग्वेज समेत सात तरह के लैब, वोकेशनल कोर्स, इंडोर व आउटडोर गेम, चाइल्ड फ्रेंडली शौचालय, बालिका व बालक के लिए अलग-अलग, स्पोर्ट्स एंड फिजिककल एजुकेशन, लाइब्रेरी, ऑडिटोरियम, डिजिटल एजुकेशन समेत अन्य सुविधाएं मिलेंगी।

पांचवीं कक्षा से बच्चों का करना है चयन

माडल विद्यालयों में नामांकन के लिए शिक्षकों को पांचवीं कक्षा के पांच से दस बच्चों का चयन कर उनकी विशेष तैयारी करानी है। बच्चों का चयन नेतरहाट आवासीय स्कूल और इंदिरा गांधी बालिका विद्यालय की तर्ज पर होगा। जिला शिक्षा पदाधिकारी प्रबला खेस ने कहा कि निदेशक से मिले निर्देश के बारे में सभी बीईईओ और प्राचार्यों को अवगत करा दिया गया है। शिक्षकों को अपने स्कूल के बच्चों के बारे में जानकारी होती है। वे अपनी कक्षा के बेहतर बच्चों को चुनकर माडल स्कूल की प्रवेश परीक्षा के लिए तैयार करेंगे। शिक्षक उन्हें प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए भी तैयारी कराएंगे।

वरीय शिक्षक को मिलेगा प्रशासनिक प्रभार

जिले के माडल विद्यालयों के प्रशासनिक कार्य का प्रभार विद्यालय के वरीय शिक्षक को दिया जाएगा। माडल विद्यालयों में कंप्यूटर आपरेटर, लिपिक, आदेशपाल एवं चौकीदार की व्यवस्था आउटसोर्सिग माध्यम से नियम मानदेय पर की जाएगी। माडल विद्यालयों में पूर्व से कार्यरत घंटी आधारित शिक्षकों को माडल विद्यालय हेतु शिक्षकों की स्थाई नियुक्ति के समय 50 प्रतिशत आरक्षण एवं आयुसीमा में उतने वर्ष की छूट दी जाएगी। जितने वर्ष उन्होंने माडल विद्यालय कार्य किया है।

लैंग्वेज लैब किया जाएगा स्थापित अंग्रेजी पर होगा विशेष फोकस

जिले में माडल विद्यालयों का निर्माण शुरू हो गया है। माडल विद्यालयों बनाने में लगभग 10 करोड़ रुपये खर्च करने की संभावना है। इनमें छह करोड़ रुपये आधारभूत सुविधाओं पर खर्च होंगे। स्कूल में न्यूनतम एक हजार तो अधिकतम 12 सौ छात्रों की पढ़ाई की व्यवस्था होगी। बच्चों की अंग्रेजी बेहतर करने के लिए लैंग्वेज लैब की स्थापना के साथ ही अन्य स्पोकेन इंग्लिश पर विशेष फोकस रहेगा।

डायनिंग हाल में बैठकर मध्याह्न भोजन करेंगे बच्चे

सरकारी स्कूलों में पढऩेवाले बच्चे डायनिंग हाल में बैठकर मध्याह्न भोजन करेंगे। इसकी शुरुआत लीडर स्कूलों से होने जा रही है। लीडर स्कूल के लिए चयनित स्कूलों में बच्चों के लिए डायनिंग हाल का भी निर्माण कराया जाएगा, ताकि बच्चे उसमें बैठकर खाना खा सकें। अभी बच्चे बरामदे पर नीचे या बोरा पर बैठ कर खाना खाते हैं।

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