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Jharkhand: इस बार धान की खेती में हुए नुकसान की, ऐसे करें भरपाई... हो जाएंगे मालामाल, होगा दोगुना लाभ

जिले में मक्का की खेती के लिए ग्रामीण इलाका जैसे बलियापुर सिंदरी प्रधानखंता धोखरा राजगंज तोपचांची क्षेत्रों में करीबन दस हजार हैक्टेयर से अधिक भुमि पर मक्के की खेती की जाती है। यहां की मिट्टी मक्के की खेती के लिए बेहतर है।

By Atul SinghEdited By: Updated: Wed, 14 Sep 2022 06:24 PM (IST)
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यहां हल्की बारिश में बेहतर मक्के की उपज की जा सकती है।
राकेश कुमार महतो, धनबादः इस साल बेहद कम बारिश होने के कारण धान की खेती जिले में पांच प्रतिशत भी नहीं हो पाई है। ज्यादातर किसानों के बिचड़े खेतों में ही सूख गए हैं। कृषि विभाग के अनुसार जिले में 42 हजार हेक्टेयर पर धान की खेती होती है, लेकिन इस बार बारिश नहीं होने के कारण किसानों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है। कई किसान जैसे-तैसे नहर, तालाब आदि के पानी से खेती की है, लेकिन बेहतर धान की उपज के लिए बारिश का पानी बेहद जरूरी है, पर्याप्त मात्रा में धान की खेती के लिए नहीं हुई है। ऐसे में कृषि विभाग किसानों को मक्का की खेती के साथ कई प्रकार की सब्जियां रोपने की सलाह दे रहा है।

धान के वैकल्पिक रूप में मक्का की खेती

जिले में धान की रोपनी कम होने से किसानों को काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में कृषि विभाग जिन खेतों में धान की रोपाई नहीं की गई है, वहां मक्का की फसल उगाने के लिए प्रेरित कर रहा है। विभाग का कहना है कि धान की अपेक्षा मक्का में पानी की खपत कम होती है, इसलिए इस वक्त अगर मक्के की खेती की जाए तो बेहतर होगा। इसके साथ ही भिंडी, बरबटी, नेनुआ आदि की सब्जियां उगाई जा सकती हैं। वहीं किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए सुखड़ा की रिपोर्ट रांची को भेजी गई है। सरकार के निर्देश आने के बाद आगे का कार्य किया जाएगा।

बेबी कार्न का उत्पादन में दोहरा फायदा

मक्के की खेती में किसानों को कई तरह से लाभान्वित हो सकते हैं। बेबी कार्न मक्के की प्रारंभिक अवस्था को कहां गया है। इसमें पौष्टिकता होने से बाजार में इसकी काफी डिमांड है। इसके अलावा पापकार्न, स्वीट कार्न आदि की भी डिमांड है। अगर किसान अधिक रकम कमाना चाहे तो मक्के की खेती कर लाभान्वित हो सकते हैं। इसके अलावा मक्के की खेती साल में चार बार कर सकते हैं।

हाइब्रिड मक्का लगाने पर होगी अधिक उपज

जिले में मक्का की खेती के लिए ग्रामीण इलाका जैसे बलियापुर, सिंदरी, प्रधानखंता, धोखरा, राजगंज, तोपचांची क्षेत्रों में करीबन दस हजार हैक्टेयर से अधिक भुमि पर मक्के की खेती की जाती है। यहां की मिट्टी मक्के की खेती के लिए बेहतर है। यहां हल्की बारिश में बेहतर मक्के की उपज की जा सकती है। बिरसा मक्का-2, सुआन, पीएमएच-3, गंगा, प्रकाश, शक्तिमान हाइब्रिड मक्के के बीज है। इसकी रोपाई कर अधिक उपज की जा सकती है। हालांकि, खाने में ग्रामीण क्षेत्र के मक्के अधिक स्वादिष्ट होते हैं।

वर्जन

सुखड़ा की स्थिति को देखते हुए जिले में मक्का वैकल्पिक खेती के रूप बेहतर साबित हो सकता है। इसमें पानी की खपत भी कम है। इसके अलावा सब्जियां भी उगाई जा सकती है।

-शिव कुमार राम, जिला कृषि पदाधिकारी

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