यहां मरीज को नहीं, एंबुलेंस को है इलाज की जरूरत; बीच रास्ते प्रसूता की मौत के बाद अब टूटी है स्वास्थ्य विभाग की नींद
Dhanbad News धनबाद स्वास्थ्य विभाग के पास 37 एंबुलेंस है। इनमें से 25 एंबुलेंस किसी काम के नहीं है। ऐसे में जरा सोचिए इमरजेंसी की स्थिति में मरीजों की क्या हालत होती होगी। बीते 15 सितंबर को गिरिडीह की एक प्रसूता की जान इसी वजह से चली गई। महिला को अस्पताल ले जाने के रास्ते ही एंबुलेंस खराब हो गई।
जागरण संवाददाता, धनबाद। मरीज को इलाज करने वाला स्वास्थ्य विभाग खुद बीमार है। ऐसे में पहले स्वास्थ्य विभाग को ही मरहम पट्टी की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग के पास 25 एंबुलेंस खराब पड़े हैं। मामला चर्चा में आने के बाद अब जाकर स्वास्थ्य विभाग की नींद टूटी है। विभाग ने 25 एम्बुलेंस की मरम्मत के लिए टेंडर निकला है।
किसी काम के नहीं है 37 में से 25 एंबुलेंस
धनबाद स्वास्थ्य विभाग के पास 37 एंबुलेंस है। इनमें से 25 एंबुलेंस किसी काम के नहीं है। एंबुलेंस के लिए अलग से भी कोई जिला में सेंटर नहीं बनाया गया है। इस वजह से सदर अस्पताल परिसर में ही जगह-जगह एंबुलेंस खड़े रहते हैं। कई एंबुलेंस पर जंग लग रहे हैं।
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एंबुलेंस खराब होने के कारण रास्ते में चली गई थी प्रसूता की जान
15 सितंबर को गिरिडीह के एक प्रसूता की जान एंबुलेंस खराब होने के कारण चली गई थी। 20 वर्षीय शांति देवी को प्रसव पीड़ा होने के बाद उनके घर गिरिडीह से शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल धनबाद लाया गया।
यहां स्थिति गंभीर देखते हुए 108 एंबुलेंस से रिम्स रांची रेफर किया गया, लेकिन शांति देवी को पता नहीं था कि जीवन देने वाला एंबुलेंस बीच रास्ते में ही खराब हो जाएगा। महुदा के पास एंबुलेंस खराब हो गया।
लगभग 2 घंटे तक एंबुलेंस खराब पड़ा रहा, दूसरी ओर शांति देवी जिंदगी-मौत से जूझते हुए चल बसी। इसके बाद मामले ने काफी तूल पकड़ा। स्वास्थ्य विभाग इन खटारा 108 एंबुलेंस से ही मरीज को अस्पताल ले जाता था।
जिले में 25 एम्बुलेंस के मरम्मत के लिए टेंडर निकाला गया है। जल्द मरम्मत करके मरीजों की सेवा के लिए इसे लगाया जाएगा। फिलहाल हमारे पास और नये एंबुलेंस है जिससे सेवा मिलती रहेगी- डा चंद्रभानु प्रतापन, सिविल सर्जन, धनबाद।
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