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Dhanbad Fire Accident: हाजरा अस्‍पताल में अगलगी की घटना पर तैयार स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की रिपोर्ट, नहीं मिला कोई चश्‍मदीद

Dhanbad News 28 जनवरी 2023 को हाजरा अस्पताल में अगलगी की घटना से धनबाद दहल उठा था। हादसे में शहर के नामी डॉ. समीर हाजरा और डॉ. प्रेमा हाजरा समेत पांच लोगों की मौत हो गई थी। घटना के कई महीने बाद स्‍वास्‍थ्‍य विभाग ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है। लेकिन डाॅक्टर दंपती समेत पांच लोगों की मौत जलकर हुई या धुएं से दम घुटकर इसकी जानकारी नहीं है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Fri, 13 Oct 2023 10:52 AM (IST)
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डॉ. समीर हाजरा और डॉ. प्रेमा हाजरा की फाइल फोटो।
जागरण संवाददाता, धनबाद। 28 जनवरी, 2023 को हाजरा अस्पताल में अगलगी की घटना पर स्वास्थ्य विभाग ने आठ महीने बाद रिपोर्ट तैयार की है, लेकिन विभाग की तैयार की गई रिपोर्ट में खुद क्लीनिक एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का पालन कराने वाले स्वास्थ्य अधिकारी और कर्मचारी ही घेरे में आ गए हैं।

डॉ. दंपती समेत पांच की जलकर हुई थी मौत

हाजरा अस्पताल में डाॅक्टर दंपती समेत पांच लोगों की मौत जलकर हुई या धुएं से दम घुटकर, इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी नहीं जुटा पाए हैं।

आश्चर्य की बात तो यह है कि विभाग को हाजरा अस्पताल में अगलगी की घटना के बाद एक भी प्रत्यक्षदर्शी नहीं मिला, जो घटना के बारे में पूरी जानकारी दे सके। साथ ही अस्पताल में क्लीनिक एस्टेब्लिशमेंट एक्ट का पालन नहीं हो रहा था, अधिकारी भी निरीक्षण नहीं करते थे।

दरअसल, हाजरा अस्पताल में हुई अगलगी की घटना पर 16 अक्टूबर को रांची में एक उच्चस्तरीय बैठक होने वाली है। इसे लेकर मुख्यालय ने धनबाद स्वास्थ्य विभाग से तत्काल रिपोर्ट मांगी है।

पांच लोगों की मौत कैसे हुई विभाग को पता नहीं

स्वास्थ्य विभाग की ओर से घटना के बाद एक टीम बनाई गई थी। इसमें तत्कालीन सिविल सर्जन आदि ने जांच की थी, लेकिन रिपोर्ट में इसका उल्लेख नहीं हो पाया है कि पांच लोगों की मौत कैसे हुई है।

रिपोर्ट में बताया गया है अस्पताल प्रबंधन का कहना है डा. समीर हाजरा, उनकी पत्नी प्रेमा हाजरा व तीन अन्य की मौत दम घुटने से हुई, लेकिन जब अस्पताल प्रबंधन से अग्निशमन, बिजली के कागजात की मांग की गई, तब बताया गया कि यह सभी कागज आग में जल गए।

मुख्‍यालय के निर्देश का आगे होगा पालन

जब अन्य कर्मचारियों (प्रत्यक्षदर्शियों) के बारे में पूछा गया, तब बताया गया कि पुराने सभी कर्मचारी नौकरी छोड़कर चले गए हैं। घटना के बारे में स्वास्थ्य विभाग को एक भी प्रत्यक्षदर्शी नहीं मिल पाया है।

वहीं इस मामले में सिविल सर्जन डा. सीबी प्रतापन ने कहा कि मुख्यालय ने हाजरा अस्‍पताल में अगलगी की घटना की रिपोर्ट मांगी है, रिपोर्ट मुख्यालय भेजी जा रही है। आगे इस मामले में मुख्यालय का जो दिशा-निर्देश मिलेगा, उसका पालन किया जाएगा।

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इनके खिलाफ होने वाली है विभागीय कार्रवाई

तत्कालीन सीएस एवं डीडीएम पर पहले से चल रही कार्रवाई मामले पर तत्कालीन सिविल सर्जन डा. आलोक विश्वकर्मा, जिला डाटा मैनेडर (डीडीएम) एवं लीनिक स्टैब्लिशमेंट एक्ट का काम देख रही सीमा कुमारी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई होने वाली है।

दरअसल, अधिवक्ता कुंदन कुमार सिन्हा के आवेदन पर कार्मिक अवर सचिव सुनील कुमार ने स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरूण कुमार सिंह को कार्रवाई करने की निर्देश दिया है। दोनों के खिलाफ अनिवार्य सेवानिवृत्ति की मांग कुंदन सिन्हा ने की है।

अस्‍पताल में नहीं थी अग्निशमन की कोई व्यवस्था

आरोप है कि क्लीनिक स्टैब्लिशमेंट एक्ट के लाइसेंस से पहले अग्निशमन विभाग से एनओसी लेना अनिवार्य है, लेकिन हाजरा अस्पताल में अग्निशमन की कोई व्यवस्था नहीं थी। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कभी इसकी जांच नहीं करते थे। नियमों को ताक पर रख कर स्टैब्लिशमेंट एक्ट का लाइसेंस दे दिया था।

एक्ट के तहत लाइसेंस का रिन्युअल प्रत्येक वर्ष होता है, लाइसेंस इश्यू करने से पहले अस्पताल का भौतिक निरीक्षण अनिवार्य है, लेकिन इसे नहीं किया गया। जांच में यह बात भी सामने आई कि अस्पताल का फायर एनओसी नहीं है। बावजूद पदाधिकारियों ने अस्पताल का लाइसेंस रद क्यों नहीं किया।

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