अब डायरिया से बचाएंगी पांच गुलाबी बूंदें... रोटावायरस के टीकाकरण में बदलाव, अब बच्चों को ऐसे दी जाएगी दवा
चिकित्सा जगत ने टीकाकरण की जटिलता को पोलियोरोधी खुराक की तरह सरल बना दिया है। अब शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को रोटावायरस की पांच गुलाबी बूंदें इस से दूर रखेगी। इसके टीकाकरण में बदलाव किया गया है। अब सिरिंज के माध्यम से बच्चों को बूंदें पिलाई जाएंगी। धनबाद में रोटा वायरस टीकाकरण में इस नई विधि को शामिल किया गया है।
मोहन गोप, धनबाद। बच्चों को डायरिया से मुक्ति दिलाने की प्रक्रिया अब आसान हो गई है। चिकित्सा जगत ने टीकाकरण की जटिलता को पोलियोरोधी खुराक की तरह सरल बना दिया है। अब शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को रोटावायरस की पांच गुलाबी बूंदें इस से दूर रखेगी। इसके टीकाकरण में बदलाव किया गया है।
अब सिरिंज के माध्यम से बच्चों को बूंदें पिलाई जाएंगी। पहले बड़े और चपटे आकार की किट से खुराक दी जाती है। इससे काफी मात्रा में दवा बर्बाद हो जाती थी। उसका रंग सफेद था।
धनबाद में रोटा वायरस टीकाकरण में इस नई विधि को शामिल किया गया है। इसकी शुरुआत टीकाकरण केंद्रों में हो चुकी है। प्रतिवर्ष 70 हजार बच्चों को ड्राप देने का लक्ष्य रखा गया है।
जिला टीकाकरण पदाधिकारी डॉ. रोहित गौतम की मानें तो हर वर्ष देश में डायरिया से डेढ़ लाख बच्चों की मौत हो जाती है। इसे को देखते हुए रोटावायरस को टीकाकरण में शामिल कर डायरिया से होने वाली मृत्यु दर में अधिकतम कमी लाई जाएगी।
छोटे बच्चों में आसानी से फैलता है डायरिया
धनबाद में भी डायरिया के मामले अक्सर सामने आते हैं। बता दें कि रोटावायरस शिशुओं और छोटे बच्चों में आसानी से फैलता है। यह वायरस पानी वाले दस्त, उल्टी, बुखार और पेट दर्द का कारण बन सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन धनबाद के मेडिकल अफसर डॉ. अमित तिवारी बताते हैं कि धनबाद में प्रतिवर्ष 70 हजार बच्चों का जन्म हो रहा है। हर साल इन सभी को खुराक पिलाने का लक्ष्य रखा गया है।
धनबाद में प्रत्येक वर्ष 84 हजार माताएं गर्भवती होती हैं, लेकिन सुरक्षित प्रसव वर्तमान में मात्र 70 हजार ही हो पा रहा है। सभी सरकार अस्पताल-स्वास्थ्य केंद्रों और आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को यह दवा देनी है।
टीकाकरण से आठ गंभीर बीमारियों से रक्षा
बच्चों को आठ गंभीर बीमारियों से सुरक्षा के लिए नियमित टीकाकरण किया जा रहा है। जन्म होने के बाद पोलियो की ड्राप के साथ बीसीजी एवं हेपेटाइटिस बी का टीका लगाया जाता है। डेढ़ माह, ढाई माह, साढ़े तीन माह पर बच्चे को पोलियोरोधी खुराक समेत पांच बीमारियों की रोकथाम के टीके लगते हैं।
इनमें गलघोंटू, काली खांसी, टेटनेस, निमोनिया, पीलिया शामिल है। नौवें माह में खसरा का टीका लगाया जा रहा है। इस तरह राष्ट्रीय टीकाकरण शेड्यूल में बीमारी कवर होती हैं। अब नौंवी वैक्सीन रोटा वायरस के रूप में डेढ़, ढाई और साढ़े तीन महीने के अंतराल पर देना है।
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