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Indian National Flag Day 2021: आज मनाया जा रहा राष्ट्रीय ध्वज दिवस, जानिए इसकी रोचक कहानी

Indian National Flag Day 2021 धनबाद के कर्नल जेके सिंह ने इस तिरंगे का बखान करते हुए हमें इससे रूबरू करवाया है। या यूं कह लें कर्नल आज तिरंगे की आवाज बनकर देश के 88 जगह पर इसकी शान में कसीदे पढ़ रहे हैं।

By MritunjayEdited By: Updated: Thu, 22 Jul 2021 09:18 AM (IST)
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देश की आन, बान और शान तिरंगा ( फाइल फोटो)।
आशीष सिंह, धनबाद। हम 15 अगस्त और 26 जनवरी को बड़े शान से तिरंगा लहराते हैं। सैल्यूट करते हुए इसके नीचे खड़े होकर राष्ट्रगान गुनगुनाते हैं। क्या आपको पता है आज हमारे आन, बान और शान के प्रतीक इस तिरंगे जन्मदिन है। 99 फीसद लोगों को पता नहीं होगा कि आज के दिन तिरंगे को उसकी पहचान मिली थी। देश के आजाद होने के बाद संविधान सभा में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 22 जुलाई 1947 को तिरंगे झंडे को राष्ट्रीय ध्वज घोषित किया था।ह मारे देश की शान है तिरंगा झंडा। स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक तिरंगे की कहानी में कई रोचक मोड़ आए। पहले उसका स्वरूप कुछ और था, आज कुछ और है।

देश के 88 जगहों पर शान से लहरा रहा 205 फीट का तिरंगा

धनबाद के कर्नल जेके सिंह ने इस तिरंगे का बखान करते हुए हमें इससे रूबरू करवाया है। या यूं कह लें कर्नल आज तिरंगे की आवाज बनकर देश के 88 जगह पर इसकी शान में कसीदे पढ़ रहे हैं। देश के 88 जगह पर 205 फीट का तिरंगा मेरी शान से लहरा रहा है। हर जगह कुछ मिनट की धुन सुनाई देती है, जिसमें कर्नल जेके सिंह का वॉइस ओवर का इस्तेमाल किया गया है। हिंदी और अंग्रेजी में कर्नल बड़े शान से बताते हैं कि हमारे तिरंगे का जन्म कब हुआ और इसके पीछे की कहानी क्या है। कर्नल जेके सिंह पिछले दो दशक से तिरंगे के सम्मान में कार्य कर रहे हैं।

1 मिनट 59 सेकंड के वॉइस ओवर में तिरंगे की पूरी कहानी

शुरुआत होती है 99 फीसद भारतीय नहीं जानते होंगे कि 22 जुलाई हमारे लिए एक महत्वपूर्ण दिन क्यों है। इसके बाद तिरंगे की जन्म की पूरी कहानी बयां होती है। भारत में राष्ट्रीय ध्वज रखने की आवश्यकता जब तक बंगाल विभाजन की घोषणा नहीं हुई, तब तक वास्तव में महसूस नहीं हुई। 1950 में बंगाल का विभाजन हुआ। कलकत्ता का ध्वज भारत के पहले अनौपचारिक दोनों में से एक था। 7 अगस्त 1906 को सचिंद्र प्रसाद बोस ने इसका प्रारूप तैयार किया। विभाजन रद होने के बाद लोग राष्ट्रीय ध्वज के बारे में भूल गए। 22 अगस्त 1907 में भीकाजी कामा ने पहली बार जर्मनी में अंग्रेजो के खिलाफ पहली बार राजनीतिक लड़ाई में बर्लिन समिति का ध्वज फहराया। बाद में 1917 में होमरूल आंदोलन के दौरान बाल गंगाधर तिलक और एनी बेसेंट ने एक और राष्ट्रीय ध्वज का प्रारूप तैयार किया।

1921 में गांधी जी ने किया स्वीकार

1921 में गांधी जी ने पिंगली वेंकैय्या द्वारा डिजाइन किया गया ध्वज स्वीकार किया। जिसे स्वराज ध्वज, गांधी ध्वज और चरखा ध्वज के नाम से भी जाना गया। फिर 1931 में सात सदस्य समिति एक और राष्ट्रीय ध्वज के साथ आयी। भारत के लिए बड़ा दिन तब आया जब लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत को स्वतंत्र करने के निर्णय की घोषणा कर दी। राष्ट्रीय ध्वज की रूपरेखा तैयार करने के लिए डा राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में तदर्थ समिति बनाई गई। पिंगली वेंकैया के ध्वज को संशोधित करने का निर्णय लिया गया। ध्वज के सभी रंगों में सभी संप्रदाय के लिए समान गौरव और श्रेष्ठ महत्व था। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे स्वतंत्र भारत राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया। हर भारतीय को वर्तमान स्वरूप में तिरंगा पाने का गौरव प्राप्त हुआ।

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