Ekal Abhiyan Gau Gram Yojana: झारखंड के 100 गांव बनेंगे गौ ग्राम, ग्रामीण कहलाएंगे गौ सेवक
Ekal Abhiyan Gau Gram Yojana झारखंड के 100 गांवों में गाएं बांटी जाएंगी। प्रत्येक गांव को 50 गाएं उपलब्ध काराई जाएंगी। जिन किसानों को गाएं उपलब्ध कराई जाएंगी उन्हें छह महीने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। गाै पालकों को एक साल तक मानदेय भी मिलेगा।
By MritunjayEdited By: Updated: Sun, 22 Nov 2020 09:07 AM (IST)
धनबाद, जेएनएन। Ekal Abhiyan Gau Gram Yojana राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विचार परिवार का संगठन एकल अभियान दूध न देनेवाली गायाें व बैलों के संरक्षण को पूरे देश में अभियान शुरू करने जा रहा है। गाे ग्राम याेजना के तहत देश के आठ हजार गांवाें काे गाे ग्राम बनाना है। इनमें झारखंड के भी 100 ग्राम शामिल हैं। इन गांवों को चिह्नित करने व यहां के किसानों का निबंधन का काम रविवार से शुरू किया जाएगा। निबंधित किसानों को ही गाय व बैल दिए जाएंगे। उन्हें इनके गाेबर व गोमूत्र से गैस व अन्य सामग्री तैयार कर लाभ कमाने तथा गाय-बैल के सही तरीके से पालन करने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
झारखंड के 100 गांवाें में बंटेंगी 5000 गाएंयाेजना के तहत झारखंड के 100 गांवों में गाएं बांटी जाएंगी। प्रत्येक गांव को 50 गाएं उपलब्ध काराई जाएंगी। जिन किसानों को गाएं उपलब्ध कराई जाएंगी उन्हें छह महीने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। किसानों को एक वर्ष तक गायाें की सेवा सुश्रुषा करने व उनसे होने वाले व्यवसाय काे लाभकारी बनाने के लिए एक वर्ष तक मानदेय दिया जाएगा। वर्ष भर में उन्हें कुल 25,000 रुपये का भुगतान किया जाएगा। ऐसे किसानाें के घर में बायाे गैस प्लांट भी समिति के द्वारा ही निर्मित किया जाएगा।
हरि सत्संग समिति की है याेजनाहरि सत्संग समिति की ओर से आयोजित इस अभियान को वन बंधु परिषद व एकल अभियान के द्वारा संचालित किया जाएगा। अभियान के तहत गांवाें में मार्च से गायाें का वितरण शुरू कर दिया जाएगा। इनके लालन-पालन काे गांवाें में गाे सेवक परिवार बनाए जाएंगे। उन्हें प्रत्येक गाय दिए जाने वाले 25000 रुपये की राशि शहरी क्षेत्र के गाे पालक परिवाराें से संग्रहित किया जाएगा। ये गाे पालक परिवार प्रति गाय 25000 रुपये हरि सत्संग समिति काे सुपुर्द करेंगे।
गो-शालाओं का बाेझ घटाना उद्देश्यएकल अभियान के भाग (धनबाद, बोकारो, गिरिडीह व जामताड़ा) प्रमुख नितिन हड़ोदिया के मुताबिक इस अभियान का उद्देश्य गो शालाओं का बोझ घटाना है। समिति ने देश भर की गोशालाओं का खर्च 1500 करोड़ रुपये कम करना है। इन गोशालाओं में गायाें की संख्य बढ़ने से उन्हें रखने की भी जगह नहीं बची है। बिना दूध देने वाली गाय व बैलों के बढ़ने से भी उनकी अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है। इसके अलावा पुलिस द्वारा गायों के अवैध व्यापार रोकने के अभियान में बरामद की गई गायाें का भी वितरण गाे सेवक परिवारों के बीच किया जाएगा। अभी तक इन्हें गोशालाओं के ही हवाले कर देने से भी गोशालाओं की स्थिति बिगड़ गई है।
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