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Weekly News Roundup Dhanbad: लो कर लो बात ! इन्हें भी चाहिए गर्भवती महिलाओं की तरह 'वर्क फ्रॉम होम' की इजाजत

Weekly News Roundup Dhanbad इंजीनियर बाबुओं को रोज-रोज काम पर जाना पसंद नहीं। इसलिए ज्यादातर घर पर ही रहते हैं। काम की जिम्मेदारी भी अपने पसंदीदा कर्मचारियों के कंधे पर डाल रखा है। यहां तक कि दूसरे कर्मचारियों को हांकने का अधिकार भी दे दिया है।

By MritunjayEdited By: Updated: Sun, 30 May 2021 08:58 AM (IST)
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धनबाद रेलवे स्टेशन पर यात्री ( फाइल फोटो)।

धनबाद [ तापस बनर्जी ]। रेलवे ने अपने दिव्यांग कर्मचारी और गर्भवती महिलाओं को घर से काम करने की छूट दी है। पर इंजीनियर चाहते हैं उन्हें भी यह खास सुविधा मिले। जब रेलवे ने नहीं दिया तो खुद ही वर्क फ्रॉम होम हो गये। मामला धनबाद रेल मंडल के कतरासगढ़ रेलवे स्टेशन से जुड़ा है। इस स्टेशन पर दो सीनियर सेक्शन इंजीनियर वर्क्स हैं। उनके अधीन 19 कर्मचारी काम करते हैं। इंजीनियर बाबुओं को रोज-रोज काम पर जाना पसंद नहीं। इसलिए ज्यादातर घर पर ही रहते हैं। काम की जिम्मेदारी भी अपने पसंदीदा कर्मचारियों के कंधे पर डाल रखा है। यहां तक कि दूसरे कर्मचारियों को हांकने का अधिकार भी दे दिया है। मामले की पोल तब खुली जब उनमें से एक कर्मचारी बगावत पर उतर गया। उस बागी कर्मचारी ने मामला डीआरएम तक पहुंचा दिया है। अब अगर मामला सही रहा तो दोनों इंजीनियर बाबुओं को लंबे समय तक वर्क फ्रॉम होम के तहत आराम करने की इजाजत मिल जाएगी। दोनों डरे हुए हैं।

रेलवे मनमाैजी, का करे फौजी

रेलवे की मनमौजी के आगे आम यात्रियों की छोड़िए देश की सुरक्षा में लगे जवानों की भी नहीं चल रही है। सुनने में थोड़ा अजीब लग रहा पर है सोलह आने सच। सेना के जवान संजीव ने पठानकोट से बरकाकाना तक के लिए अपना सामान बुक कराया था। जम्मूतवी-संबलपुर स्पेशल ट्रेन से उसका सामान आना था। ट्रेन बरकाकाना पहुंची पर उसका सामान उतारा नहीं गया और ट्रेन खुल गई। बाद में जानकारी लेने पर जवान के घर वालों को पता चला कि पार्सल क्लर्क के छुट्टी पर रहने की वजह से सामान नहीं उतारा गया। काफी ढूंढने के बाद जवान ने धनबाद डीआरएम को ट्वीट कर मामले की शिकायत की। डीआरएम ने पहले पार्सल रिसिप्ट मांगा। बाद में खेद जताते हुए उन्हें बताया गया कि उनका सामान ओवर कैरी होकर संबलपुर चला गया है। मामले की सूचना संबलपुर डीआरएम को दे दी गई है।

बालू वाला ठेकेदार बड़ा चालू

रेलवे में ठेके पर कर्मचारियों को रखने और उन्हें पगार देने में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की जा रही है। सबकुछ सेटिंग पर चल रहा है और ठेकेदार बाबू बेफिक्र आपदा को अवसर बनाने में लगे हैं। पगार तय कुछ होने और भुगतान कुछ और होने जैसे मामले तो हैं ही। अब नया मामला कई महीने काम कराकर एक महीने का वेतन देने से जुड़ा है। ठेका कर्मी भाग न जाएं इसलिए ठेकेदार ने इस नुस्खे को हथियार बना लिया है। गोमो के लोको शेड में इंजनों में बालू भरने के लिए ठेका कर्मचारी रखे गए हैं। उन्हें तीन महीने पर तनख्वाह नहीं दिया गया है। इसी पैसे से उनके परिवार की गाड़ी दौड़ती है। नतीजा पैसे के लिए रेल दफ्तर का चक्कर लगा रहे हैं। यही हाल बरवाडीह के ठेका कर्मचारियों का है। उन्हें छह महीने से पगार नहीं मिला है। बेचारे मुसीबत के मारे।

फिर शुरू क्वार्टर का खेल

रेलवे में एक्सट्रा इन्कम वाली ट्रेन फिर दौड़ने लगी है। इसके लिए कोई मेहनत की जरूरत नहीं। बस खाली क्वार्टर की लिस्ट तैयार रखना है। कमाई हाेती रहेगी। जी हां, इंजीनियरिंग विभाग में रेल आवासों को किराए पर देने का खेल फिर शुरू हो चुका है। पिछले साल धनबाद और आसपास ऐसे मामलों में बड़ी कार्रवाई हुई थी और सैंकड़ों कर्मचारी निलंबित किए गए थे। मामला ठंडा पड़ते ही रेल आवास सिंडिकेट फिर सक्रिय हो गया है। इस बार मुख्यालय से दूर वाली रेल कॉलोनियों को चुना गया है। इससे कारोबार चलता रहेगा और धनबाद में बैठे अफसरों को खबर भी नहीं लगेगी। मगर रेलवे के ट्रैकमैन ने ही इसका भंडाफोड़ कर दिया है। डीआरएम से न सिर्फ शिकायत की है बल्कि साफ तौर पर बताया कि बरवाडीह ट्रैक्शन कॉलोनी के रेल आवास संख्या 298-ए को टीआरडी कर्मी ने किराए पर दे दिया है।