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धनबाद में अब भी बन रहा फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस

धनबाद : जिले में अब भी धड़ल्ले से बन रहा है फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस। इस बात का खुलासा तब हुअ

By JagranEdited By: Updated: Thu, 13 Sep 2018 08:05 AM (IST)
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धनबाद में अब भी बन रहा फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस

धनबाद : जिले में अब भी धड़ल्ले से बन रहा है फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस। इस बात का खुलासा तब हुआ, जब बुधवार को एक शख्स परिवहन विभाग अपने ड्राइविंग लाइसेंस की जांच कराने पहुंचा। विभाग के कर्मचारी ने जब अपने कंप्यूटर में लाइसेंस का नंबर डाला, तो पता चला कि इस नंबर का कोई लाइसेंस ही नहीं बना है। उसके बाद विभाग ने रजिस्टर को उलटना शुरू कर दिया, पर वहां भी कोई रिकॉर्ड था ही नहीं। होता भी कैसे ड्राइविंग लाइसेंस जो फर्जी था।

हालांकि फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस का बनना जिले के लिए कोई नई बात नहीं है। यहां तो एलटीटीई प्रमुख प्रभाकरण का लाइसेंस भी बना दिया गया था। परिवहन विभाग की ओर से भले ही फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस पर लगाम के लिए लाख प्रयास किए जा रहे हैं, पर दलालों का नेटवर्क लगातार मजबूत होता जा रहा है। परिवहन विभाग में सत्यापन को आने वाली अधिकांश ड्राइविंग लाइसेंस फर्जी निकल रहे हैं।

आखिर कैसे पकड़ में आया मामला

बाघमारा निवासी चंद्रमा कुमार रविदास बुधवार को अपना स्मार्ट ड्राइविंग लाइसेंस जिसका नंबर जेएच 10/2018/0018688 है की जांच कराने परिवहन विभाग पहुंचा। विभाग ने जब उसके लाइसेंस को देखा, तो प्रथम दृष्टया गलत बताया। बावजूद इसके विभाग ने ऑनलाइन लाइसेंस की जांच की जहां उक्त लाइसेंस का कोई रिकार्ड नहीं मिला। उसके बाद भी परिवहन विभाग में मैनुअली सर्च किया गया, पर वहां भी इस लाइसेंस का कोई अता पता नहीं चला। सबसे बड़ी बात है कि इस लाइसेंस पर जिला परिवहन अधिकारी का हूबहू हस्ताक्षर भी अंकित है। विभाग ने पूछताछ शुरू की तो रविदास ने बताया कि किसी अधिवक्ता ने उसका लाइसेंस बनवाया है। विभाग ने डीएल को जब्त कर उसकी जांच शुरू कर दी है।

स्मार्ट कार्ड की तर्ज पर बनाया जा रहा ड्राइविंग लाइसेंस

जिले में स्मार्ट कार्ड की तर्ज पर इसे बनाया जा रहा है, जिसमें लगे व्यक्ति के बारे में जानकारी अपलोड रहती है। विडंबना यह है कि अब तक न तो परिवहन विभाग को चिपयुक्त ड्राइविंग लाइसेंस की जांच करने के लिए मशीन मिली है और न ही पुलिस को। दोनों विभाग की परेशानी बढ़ गई। लोग च्वाइस सेंटरों में जाकर फर्जी लाइसेंस बनाकर इसका फायदा उठा रहे हैं। ट्रैफिक पुलिस भी इन्हें रोकने में बहुत बार असफल हो जाती है। परिवहन विभाग को मशीन न मिलने की वजह से ये पता लगाना मुश्किल होता है कौन सा लाइसेंस असली है, कौन सा नकली जिसके तहत कई वाहन चालक फर्जी लाइसेंस दिखा कर ट्रैफिक पुलिस की चंगुल से छूट कर भाग जाते हैं।

महज पांच सौ देकर बच जाते हैं फर्जी चालक

वाहन चेकिंग अभियान के दौरान यदि फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस के साथ पकड़ा जाता है तो जुर्माना के रूप में महज पांच सौ रूपये ही रखे गए हैं। चालक पांच सौ रुपये जुर्माना देकर छूट जाता है। नियम के तहत फर्जी लाइसेंस मामले में विभाग जुर्माना से अधिक कुछ नहीं कर पाता है जिसका फायदा फर्जी लाइसेंस बनाने वाले जमकर उठा रहे हैं।

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वाहन चेकिंग अभियान के दौरान अब तक 28 से भी अधिक फर्जी लाइसेंस पकड़े जा चुके हैं। विभाग अब इस बात का पता लगाने में जुट गई है कि आखिर कौन बना रहा है। हालांकि कई लोग संदेह के घेरे में आ गए हैं, बस पुख्ता सबूत का इंतजार किया जा रहा है। उसके मिलते ही उन्हें दबोच लिया जाएगा।

- पंकज साव, जिला परिवहन अधिकारी, धनबाद

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