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छोठी सी पोठिया मछली को ले आमने-सामने हुए झारखंड और बंगाल के मछुआरे

झारखंड और बंगाल एक छोठी सी पोठीया मछली के लिए आमने-सामने हो गए हैं। पिछले एक माह से भी अधिक समय से दोनों राज्यों के मछुआरों के बीच तनाव की स्थिति है। इस तनाव का कारण दोनों राज्यों को अलग करने वाली दामोदर नदी है। इसी नदी में छोटी पोठीया मछली मारने को लेकर विवाद है।

By JagranEdited By: Updated: Sun, 21 Mar 2021 05:33 PM (IST)
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छोठी सी पोठिया मछली को ले आमने-सामने हुए झारखंड और बंगाल के मछुआरे

जागरण संवाददाता, धनबाद : झारखंड और बंगाल एक छोठी सी पोठीया मछली के लिए आमने-सामने हो गए हैं। पिछले एक माह से भी अधिक समय से दोनों राज्यों के मछुआरों के बीच तनाव की स्थिति है। इस तनाव का कारण दोनों राज्यों को अलग करने वाली दामोदर नदी है। इसी नदी में छोटी पोठीया मछली मारने को लेकर विवाद है। बंगाल के मुछआरे शूट जाल से मछली मारने की पैरवी कर रहे हैं तो वहीं झारखंड के मछुआरे चाहते हैं कि चट, कोचाल और मच्छरदानी जाल से ही मछली पकड़ी जाए। काफी लंबा समय बीत जाने के बाद भी इस विवाद का हल नहीं निकल सका है। ऐसे में इस विवाद का असर कारोबार पर भी देखा जा रहा है।

यह है मामला : पंचेत मत्स्य जीवी संघर्ष समिति से झारखंड और पश्चिम बंगाल के मछुआरे जुड़े हुए हैं। नदी में दोनों तरफ से जाल लगाकर मछली पकड़ी जाती है। बंगाल के मछुआरों का कहना है कि छोटी जाल से मछली पकड़ने से नदी में बड़ी मछलियां नहीं मिलती। इसलिए शूट जाल का ही उपयोग किया जाए। जबकि नदी के आसपास रहने वाले काफी लोग छोटी मछलियों को पकड़ कर ही अपना रोजी रोजगार चलाते हैं। यहीं कारण है कि ये लोग मछली पकड़ने के लिए चट जाल, कोचाल जाल या मच्छरदानी जाल का प्रयोग करते हैं। इस जाल में पोठीया मछली आ जाती है। जिसे बाजार में बेचा जाता है।

झामुमो-मासस आमने सामने : इस विवाद में एक तरफ सत्तारुढ़ पार्टी झामुमो तो दूसरी ओर मासस आ खड़ी हुई है। मासस नेता और निरसा से पूर्व विधायक अरूप चटर्जी ने मच्छरदानी जाल वालों का समर्थन किया है तो वहीं झामुमो दूसरे पक्ष के साथ खड़ी है। ऐसे में इस विवाद का हल नहीं निकल पाया है। वहीं प्रखंड स्तर पर भी कोई अधिकारी इस मामले में हाथ नहीं डाल रहा है।

40 गांव के 20 हजार लोगों का चलता रोजगार : दामोदर नदी के करगली घाट से लेकर पंचेत डैम तक ऐसे 40 गांव हैं, जहां के लोगों का मुख्य पेशा मछली पकड़ना और उसे बाजार में बेचना है। एक अनुमान के मुताबिक करीब 20 हजार लोगों के रोजी रोजगार का साधन दामोदर नदी की मछलियां हैं। स्थानीय सुसनीलेवा घाट के अलावा कई अन्य जगहों पर प्रतिदिन बाजार लगाकर मछली की खरीद बिक्री होती है। इस विवाद के कारण यह कारोबार प्रभावित है।

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