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Jharia, Jharkhand Coal Mine Fire News: झरिया एक आग का दरिया है, इसी में डूब कर जीना है

Jharia Jharkhand coal mine fire News धनबाद के झरिया को आग का दरिया कह सकते हैं। यहां धरती के नीचे कोयले में साै साल से अधिक समय से आग धधक रही है। यह किसी एक स्थान पर नहीं है। चारों तरफ दूर-दूर तक फैली हुई है।

By MritunjayEdited By: Updated: Thu, 02 Sep 2021 06:30 AM (IST)
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झरिया कोयलांचल के 595 स्थानों भूमिगत आग से जन-जीवन परेशान ( सांकेतिक फोटो)।
आशीष अंबष्ठ, धनबाद। बारिश का दौर है, झरिया के लिलौरी पथरा निवासी राजीव पांडेय बेहद परेशान हैं। हों भी क्‍यों नहीं। आग प्रभावित इस बस्‍ती में हर ओर गैस रिसाव हो रहा है। कई घरों के अंदर भी। आखिर कहां जाएं। हर पल मौत का साया मंडराता है। पता नहीं कब घर जमींदोज हो जाए। अपना दर्द बताते हुए राजीव की आंखें छलक उठीं। बोले कहां जाएं, सिर पर यही एक छत है। भूमिगत आग के बीच रह रहे हैं। जान हथेली पर लेकर। मगर कोई देखने सुनने वाला नहीं। आज तक पुनर्वास नहीं हुआ। दरअसल, झरिया पुनर्वास योजना के तहत अगस्‍त 2021 तक एक लाख परिवारों काे सुरक्षित जगह ले जाना था। मगर ढाई हजार को ही बेलगढि़या पुनर्वास कालोनी भेजा जा सका। इधर पीएमओ भी झरि‍या पुनर्वास योजना पर गंभीर है। हाईपावर कमेटी बना दी है। उसे दो महीने में रिपोर्ट देनी है।

साै साल से धधक रही आग

झरिया की आग सौ साल से दहक रही है। मगर अब तक न तो आग पर काबू हुआ न आग पर बसे लोगों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया गया। 595 क्षेत्र अग्नि प्रभावित हैं, यहां आए दिन भूधंसान हो जाता है। लोगों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करने के लिए 11 अगस्त 2009 को झरिया मास्टर प्लान लागू हुआ। मगर काम बहुत सुस्त है। हालांकि कोयला कंपनी भारत कोकिंग कोल लिमिटेड खुली खदानें खोल कर कोयला उत्पादन करते हुए अपने कर्मियों को जरूर सुरक्षित स्थान पर भेज रही है। गैर कर्मियों मसलन अतिक्रमणकारी व रैयत को शिफ्ट करने में कोताही हो रही है।

रैयतों के पुनर्वास की नीति तक तय नहीं

मास्टर प्लान के तहत एक लाख चार हजार परिवारों को खतरनाक क्षेत्रों से हटाकर सुरक्षित स्थान पर बसाना है। इनमें 32064 परिवार रैयत हैं। 12 साल बाद भी रैयतों के पुनर्वास की नीति तय नहीं हुई है। क्या मुआवजा और सुविधा मिलेगी इसका फैसला नहीं हुआ है। इसलिए एक भी रैयत का पुनर्वास नहीं हुआ। कितनी सरकारें आईं और गईं, अग्नि प्रभावित क्षेत्र के लोगों की दशा जस की तस है। प्रधानमंत्री कार्यालय के गंभीर होने पर उम्मीद जगी है कि झरिया मास्टर प्लान को रफ्तार मिल सकती है। झरिया मास्टर प्लान के तहत 72882 अवैध कब्जाधारियों और 32064 रैयत परिवारों का पुनर्वास करना है।

2655 गैर रैयत परिवारों को मिला आवास

झरिया मास्टर प्लान के तहत अभी तक 6352 आवासों का निर्माण हुआ है। आवास का आकार छोटा होने के कारण एक परिवार को दो आवास देकर बसाया जा रहा है। 72882 गैर रैयत यानी अतिक्रमणकारियों में से 2655 लोगों को आवास दिया जा सका। अभी बेलगढि़या में 12 हजार आवास का और निर्माण हो रहा है। जो सितंबर 2022 में बनकर तैयार होने की उम्‍मीद है। काम पूरा करने के लिए कोयला मंत्रालय ने फि‍लहाल एक साल की अवधि और दी है।

एक भी रैयत को सुरक्षित जगह शिफ्ट नहीं किया जा सका है। उनके लिए अभी तक मुआवजा नीति तय नहीं हो पाई है। नई कमेटी बनी है। इस बिंदु पर अब निर्णय जल्‍द लिया जाएगा।

-चंचल गोस्वामी, तकनीकी निदेशक(संचालन), बीसीसीएल।

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