Dhanbad में खौफ का दूसरा नाम गैंगस्टर अमन सिंह, जेल में बैठकर रंगदारी के अलावा करवाता है सुपारी किलिंग
जेल में बैठकर अमन सिंह रंगदारी के अलावा सुपारी किलिंग भी करवाता है। इतना ही नहीं पैसे का लालच देकर कम उम्र के लड़कों को अमन के गैंग में शामिल किया जा रहा है। चासनाला में कोयला व्यापारी की हत्या में उसका नाम आया है।
जासं, धनबाद। धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह हत्याकांड में यूपी एसटीएफ ने मिर्जापुर जेल के बाहर से मई, 2021 में अमन सिंह को गिरफ्तार कर धनबाद पुलिस को सुपुर्द किया था। मगर पुलिस शायद यह नहीं जानती थी कि यही अमन सिंह आने वाले समय में धनबाद में आतंक का पर्याय बन जाएगा।
हाल ही में धनबाद पुलिस ने अमन गैंग की प्रेमिका सहित दस कुख्यात अपराधियों को जेल भेजा है। बावजूद इसके चासनाला में हुए कोयला व्यापारी की हत्या में अमन सिंह का नाम सामने आया है। अमन गैंग सिर्फ धनबाद व बोकारो के व्यापारियों से रंगदारी ही नहीं वसूल रहा है, बल्कि सुपारी लेकर लोगों की हत्याएं भी कर रहा है।
शैलेश पटेल व राजू झा की हत्या में अमन का हाथ
अमन सिंह गैंग ने गुजरात वालसाड के बीजेपी नेता शैलेश पटेल की हत्या भी करवाई थी। सुपारी लेकर उसके गैंग के आजमगढ़ निवासी वैभव यादव व अयोध्या निवासी आशीष उर्फ सत्यम ने दो और शूटरों के साथ मिल कर शैलेश पटेल को छलनी कर दिया था।
वहीं, आसनसोल के बीजेपी नेता राजू झा की हत्या भी अमन गैंग ने ही करवाई थी। दोनों मामले में अमन गैंग ने सुपारी किलिंग की। इसके अलावा, बरवाअड्डा कुर्मीडीह निवासी राजकुमार साव की हत्या भी एक सुपारी किलिंग थी।
नए युवकों को शामिल करने के लिए यूपी में रखा है गुर्गा
अमन का गुर्गा आशीष उर्फ सत्यम ने पुलिस को बताया था कि अमन सिंह यूपी में कम उम्र के लड़कों को अपराध में जोड़ने के लिए गुर्गे रखे हैं। इसमें सबसे खास संदीप तिवारी और संदीप मिश्रा है। ये लोग जेल जाने वाले कम उम्र के लड़कों पर ध्यान रखते हैंं। जेल में ही उन्हें अमन सिंह के बारे में बताया जाता है। बाहर आने के बाद उन्हें पैसे व दूसरे चीजों का लालच देकर गैंग में शामिल किया जाता है।
गैंग के दो कुख्यात चल रहे हैं फरार
अमन सिंह गैंग के वैभव यादव सहित पुलिस ने दस अपराधियों को पकड़ कर जेल भेजा है। मगर जेसी मल्लिक निवासी आशीष रंजन उर्फ छोटू अभी तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। छोटू को पकड़ने की पुलिस ने लाख कोशिश की मगर वह गिरफ्तार नहीं हो पाया।
आशीष रंजन पिछले दो वर्षों से लगातार फरार चल रहा है। उसके साथी अमर रवानी ने सरेंडर कर दिया था मगर आशीष का पता नहीं बताया। पुलिस के लिए आशीष की गिरफ्तारी चुनौती बन गई है।