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पारसनाथ में जमीन कब्जाने के आरोपों की होगी जांच, श्वेतांबर समेत 8 संस्थाओं को भेजा गया नोटिस

पारसनाथ में जैन धर्म की संस्थाओं के खिलाफ हेमंत सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं। इसके बाद गिरिडीह जिला प्रशासन ने श्वेतांबर समेत आठ संस्थाओं को नोटिस भेज जवाब मांगा

By Sagar SinghEdited By: Updated: Fri, 21 Aug 2020 01:33 PM (IST)
पारसनाथ में जमीन कब्जाने के आरोपों की होगी जांच, श्वेतांबर समेत 8 संस्थाओं को भेजा गया नोटिस
गिरिडीह, [दिलीप सिन्ह]। पारसनाथ में जैन धर्म की संस्थाओं के खिलाफ हेमंत सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं। सरकार का आदेश मिलने के बाद गिरिडीह जिला प्रशासन ने श्वेतांबर समेत आठ संस्थाओं को नोटिस भेज जवाब मांगा है। गिरिडीह के झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने राजस्व एवं भूमि सुधार सचिव से शिकायत की थी कि पारसनाथ में जैन धर्म की अलग-अलग संस्थाओं ने धर्मशाला और कोठी बनाने और बनी हुई कोठी का विस्तार करने के लिए सीएनटी एक्ट के दायरे में आने वाली जमीन पर कब्जा किया है। सरकारी जमीनों को भी जैन संस्थाओं ने नहीं छोड़ा है। पहाड़ी नाला की जमीन पर भी कब्जा किया गया है।

बता दें कि पारसनाथ पहाड़ की तलहटी पर मधुबन बसा हुआ है। मधुबन में अधिकतर राज्यों की जैन धर्म की संस्थाओं ने धर्मशाला या कोठी बनाई है ताकि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को समुचित सुविधा मिल सके। झामुमो विधायक सुदिव्य कुमार सोनू की शिकायत के बाद राजस्व विभाग के संयुक्त सचिव अवध नारायण प्रसाद के नेतृत्व में एक जांच कमेटी बनाई गई है। अवध नारायण प्रसाद एवं हजारीबाग के प्रमंडलीय आयुक्त के सचिव के के ङ्क्षसह ने प्रारंभिक जांच की है। प्रारंभिक जांच के बाद आठ संस्थाओं को नोटिस निर्गत हुई है।

जमीन के दस्तावेजों की जांच करेंगे अंचल अधिकारी : पीरटांड़ के अंचलाधिकारी विजय प्रकाश तिग्गा को जैन संस्थाओं के कब्जे की जमीन की जांच करने को कहा गया है। तीन संस्थाओं ने उन्हें जमीन के दस्तावेज दिए हैं। बाकी संस्थाओं ने नोटिस पर जवाब दिया है कि अभी दस्तावेज यहां नहीं है। संस्था के मुख्यालय से मंगाना होगा।

इन संस्थाओं को नोटिस : सीधायतन, बीसपंथी, गुणायतन, तेरहपंथी, कुंद-कुंद कहान नगर, तलेटी तीर्थ, श्वेतांबर एवं दिगंबर।

मधुबन में जमीन का महाघोटाला किया गया : विधायक सुदिव्य कुमार सोनू का आरोप है कि मधुबन में जमीन का महाघोटाला किया गया है। कोठियों को और विशाल बनाने के लिए सरकारी जमीन के साथ आम ग्र्रामीणों की जमीन पर कब्जा किया गया है। पारसनाथ पहाड़ से निकलने वाले नाला पर महल खड़ा कर दिया गया है। दलितों और आदिवासियों की जमीन को नाजायज तरीके से लिया गया है। स्थानीय लोगों को उनकी जमीन वापस करनी होगी। जमीन वापसी के मसले पर मधुबन में सार्वजनिक जन सुनवाई कराई जाएगी। सार्वजनिक सुनवाई में जैन संस्था के लोग नहीं भी आते हैं तो स्थानीय लोगों को जमीन के कागजात के साथ बुलाया जाएगा। कागजात के आधार पर जमीन की नापी होगी।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मुख्यालय से सीधे जांच की जा रही है। प्रारंभिक जांच हो चुकी है। राज्य स्तर से मिलने वाले दिशा निर्देश के अनुरूप कार्रवाई की जाएगी। -राहुल कुमार सिन्हा, उपायुक्त, गिरिडीह।

20 तीर्थंकर की पाश्र्वनाथ में हुई मोक्ष की प्राप्ति : जैन धर्म में 24 तीर्थंकर है। इनमें 20 तीर्थंकर को पाश्र्वनाथ में मोक्ष की प्राप्ति हुई है। 23वें तीर्थंकर के नाम पर पारसनाथ पर्वत का नामकरण पाश्र्वनाथ किया गया है। यहां देश के तमाम राज्यों के अलावा विदेशों से भी जैन धर्मावलंबी आते हैं।

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