Move to Jagran APP

Holi 2021: बाबाधाम में देवता भी खेलने आते होली, जानिए हरि और हर मिलन की अनूठी परंपरा

Holi 2021 देवघर दुनियां का एकमात्र स्थल है जहां हरि और हर का मिलन हुआ है। तीर्थपुरोहित दुलर्भ मिश्र कहते हैं कि यह एक संयोग ही है कि फाल्गुन पूर्णिमा और चैत्र प्रतिपदा के संधिकाल के समय ही लंकापति रावण के हाथ से भगवान विष्णु ने बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग लिया था।

By MritunjayEdited By: Updated: Tue, 23 Mar 2021 05:45 AM (IST)
Hero Image
बाबा बैद्यनाथ मंदिर देवघर में 28 मार्च को होगा भगवान विष्णु और शिव का मिलन ( फाइल फोटो)।
देवघर [ आरसी सिन्हा ]। द्वादश ज्योतिर्लिंग में एकमात्र देवघर है जहां फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन के पहले गुलाल उड़ाया जाता है। अगले दिन रंग खेला जाता है। देश के अन्य भागों में देखें तो होलिका दहन के बाद पहले रंग खेला जाता है, उसके बाद अबीर खेलने की परंपरा। देवघर में इस परंपरा की मान्यता है कि होलिका दहन के दिन ही विष्णु (हरि) व शिव (हर) का मिलन हुआ था। 29 मार्च को होली है। इससे एक दिन पहले 28 मार्च को इस साल अनूठी ऐतिहासिक परंपरा का निवर्हन होगा। देवघर मंदिर से जुड़ी एक और मान्यता है कि यहां फाल्गुन पूर्णिमा  के ही दिन भगवान शंकर को शक्ति यानि माता पार्वती के हृदय स्थल पर स्थापित किया गया था। ऐसी मान्यता है कि इस खास माैके पर यहां देवता लोग भी होली खेलने आते हैं। इसलिए ऐतिहासिक महत्ता के मुताबिक यहां के लोग इस दिन को बैद्यनाथ के आगमन दिवस को मानते हुए खुशी से गुलाल उड़ाते हैं।एक दूसरे से गले मिलकर खुशियां बांटते हैं। 

वह क्षण होता है अद्भुत

हरि और हर का मिलन 28 मार्च को होगा। यह अदभुत क्षण होता है। आदिकाल से चली आ रही परंपरा के मुताबिक होलिका दहन की शाम राधा और कृष्ण की मूर्ति डोली पर मंदिर प्रांगण से निकाली जाएगी। यहां से आजाद चौक स्थित झूला स्थान पर ले जाया जाएगा। दो घंटा यहां झूला झुलाया जाएगा। निर्धारित समय पर झूला से उतारकर हरि को पुन: डोल पर बिठाकर बाबा मंदिर गर्भगृह स्थित ज्योतिर्लिंग पर रखा जाता है। पुरोहित द्वारा मंत्रोच्चारण के बीच अबीर गुलाल चढ़ाकर बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग पर हरि का मिलन कराया जाता है।  श्रीकृष्ण को विष्णु का रूप माना जाता है। मिलन हो जाने के बाद आमजन को गुलाल चढ़ाने दिया जाता है। देवघरवासी यह परंपरा इसलिए निभाते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि भगवान विष्णु की कृपा से ही बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना यहां हुई है। इस क्षण के गवाह बनने के लिए भक्तों की काफी भीड़ होती है।

हरि और हर का मिलन

देश के किसी भी तीर्थस्थल में यह परंपरा नहीं है। देवघर दुनियां का एकमात्र स्थल है जहां हरि और हर का मिलन हुआ है। तीर्थपुरोहित दुलर्भ मिश्र कहते हैं कि यह एक संयोग ही है कि फाल्गुन पूर्णिमा और चैत्र प्रतिपदा के संधिकाल के समय ही लंकापति रावण के हाथ से भगवान विष्णु ने बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग लिया था। यही  हरि और हर का मिलन समय है। शक्ति के हृदय पर बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग की स्थापना हुई। इसलिए यह दिन देवघर के लोगों के लिए खुशियों का दिन होता है। अबीर गुलाल खेला जाता है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।