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हावड़ा-नई दिल्ली रेल मार्ग पर एकाएक सांप जैसी टेढ़ी-मेढ़ी हो गई रेल पटरी, पलटने से बची कोशी एक्सप्रेस

ट्रैक के सांप जैसे आकार ले लेने से हटिया से पूर्णिया कोर्ट जा रही कोशी एक्सप्रेस दुर्घटनाग्रस्त होने से बच गई। कई दूसरी ट्रेनों को रोका गया। रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारी इसे रेल बक्लिंग कह रहे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Tue, 25 Apr 2023 04:07 PM (IST)
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धनबाद -गया के बीच दिलवा से नाथगंज रेलखंड पर कई मीटर रेलवे ट्रैक जिग-जिग हो गया।
जागरण संवाददाता, धनबाद। हावड़ा-नई दिल्ली रेल मार्ग पर धनबाद से गया के बीच रेलवे ट्रैक एकाएक सांप की तरह टेढ़ी-मेढ़ी हो गई। दिलवा से नाथगंज के बीच हुई इस घटना के कारण तेज गति से चल रही हटिया-पूर्णिया कोर्ट कोशी एक्सप्रेस को रोकना पड़ा। सरपट भाग रही ट्रेन उसी पटरी से गुजरने वाली थी। चंद मिनटों की और देर हो गई होती तो यात्रियों से भरी पूरी ट्रेन पलट सकती थी।

थोड़ी देर में सेवा होगी बहाल

दिन के तकरीबन 10:30 पर हुई घटना के बाद से हावड़ा से नई दिल्ली रेल मार्ग पर रेलसेवा रोक दी गई है। यात्री ट्रेन और मालगाड़ी को अलग-अलग स्टेशन पर रोक कर राहत कार्य शुरू किया गया है। थोड़ी देर में अप लाइन से रेल सेवा बहाल हो जाने की बात कही गई है।    

कौन-कौन सी ट्रेनें फंसी

  •  रेलवे ट्रैक के सर्पीली हो जाने से हटिया से पूर्णिया कोर्ट जा रही 18626 कोशी एक्सप्रेस को दिलवा के पास रोक दिया गया।
  •  13553 आसनसोल-वाराणसी मेमू एक्सप्रेस गझंडी में रोकी गई।
  •  12801 पुरी -नई दिल्ली पुरुषोत्तम एक्सप्रेस कोडरमा में रुकी।
  •  गोमो से दिलवा के बीच अलग-अलग स्टेशनों पर 13 मालगाड़ियों को रोका गया।

घटना को अधिकारी बता रहे रेल बक्लिंग

रेलवे ट्रैक के जिग-जैग या सांप जैसे हो जाने की घटना को रेलवे के इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारी रेल बक्लिंग कह रहे हैं। उनका कहना है कि वर्तमान में एक साथ टुकड़ों के बजाय लंबी रेल लाइन बिछाई जाती है। उनका तापमान अत्यधिक होने से टेढ़ी-मेढ़ी होने की संभावना रहती है।

अमूमन ऐसा तब होता है जब उसका तापमान 63 से 65 डिग्री तक पहुंच जाए। मंगलवार को दिलवा-नाथगंज में भी तापमान बढ़ने की वजह से रेलवे ट्रैक का बड़ा हिस्सा टेढ़ा हो गया। 

इंजीनियरिंग विभाग की अनदेखी, नहीं कराया ट्रैक का सर्वे

गर्मी के दौरान समर पेट्रोलिंग कराई जाती है। तापमान बढ़ने पर समय-समय पर रेल पटरी का सर्वे करवाया जाता है। रेल पटरी का तनाव निकालने के लिए डिस्ट्रेसिंग की जाती है। तापमान कहीं का भी अधिक हो सकता है, जिससे ट्रैक टेढ़ा होने का खतरा बना रहता है। प्रारंभिक जांच में घटनास्थल वाले ट्रैक का सर्वे नहीं होने की बात सामने आई है।   

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