एक साल में सबसे अधिक 434 पीएचडी डिग्री देने वाला देश का दूसरा संस्थान बना IIT ISM, जानें कौन है पहले नंबर पर
आइआइटी आइएसएम एक साल में अपने 434 विद्यार्थियों को पीएचडी की डिग्री देने वाले दूसरा संस्थान बन गया है। यह एक बड़ी उपलब्धि है क्योंकि देश में अभी लगभग 10 हजार इंजीनियरिंग डाक्टरेट की आवश्यकता है और शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रमुख मील का पत्थर है।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Tue, 03 Jan 2023 09:27 AM (IST)
आशीष सिंह, धनबाद। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (भारतीय खनि विद्यापीठ) यानी आइआइटी आइएसएम (IIT ISM) एक वर्ष में 434 पीएचडी डिग्री देने वाला देश का दूसरा संस्थान बन गया है। आइआइटी आइएसएम के लिए 2022 काफी मुफीद रहा। नया वर्ष शुरू होते ही आइएसएम के नाम एक बड़ी उपलब्धि दर्ज हुई है। 2022 में आइएसएम ने रिकार्ड 434 पीएचडी डिग्री बांटी।
400 से अधिक पीएचडी शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर
आइएसएम के इतिहास में यह अभी तक का सबसे अधिक आंकड़ा है। पीएचडी डिग्री देने वाले संस्थान में आइआइटी बॉम्बे पहले और आइआइटी आइएसएम देश में दूसरे स्थान पर रहा। किसी भारतीय शैक्षणिक संस्थान ने एक वर्ष में 400 से अधिक पीएचडी कराई है। शिक्षा के लिए यह एक प्रमुख मील का पत्थर है। आइआइटी आइएसएम इंजीनियरिंग शोध को प्रोत्साहित करने के लिए कई ठोस कदम उठा रहा है। इसके साथ पीएचडी के दौरान मिलने वाले स्टाइपेंड ने भी छात्रों का रुझान बढ़ाया।
एक साल पहले 351 को मिली थी पीएचडी की डिग्री
इंजीनियरिंग के क्षेत्र में शोधार्थियों की कम होती संख्या को देखते हुए संस्थान ने विशेष प्रयास किया। पिछले वर्ष दिसंबर में आयोजित 42वें दीक्षांत समारोह में संस्थान ने एक साथ 351 डिग्री दी। इससे पहले अगस्त में आयोजित दीक्षांत समारोह में भी बड़ी संख्या में पीएचडी डिग्री बांटी थी। संस्थान के निदेशक प्रो.राजीव शेखर ने इस उपलब्धि पर हर्ष जताया है। उन्होंने कहा कि संस्थान के कर्मचारी और छात्र दोनों इंजीनियरिंग तकनीक में शोध की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। कई तरह के डिजाइन तैयार कर रहे हैं। शोध करने वाले छात्रों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी की वजह शोध के लिए दी जा रही बेहतर सुविधाएं हैं। इसके तहत शोधार्थियों को उचित पारिश्रमिक और इनाम दिया जाना भी आकर्षण की मुख्य वजह है।
संस्थान का लक्ष्य शोधार्थियों की संख्या को बढ़ाना
उन्होंने आगे कहा कि संस्थान का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में शोधार्थियों की संख्या को बढ़ाना है। संख्या में यह बढ़ोतरी देश में हो रही तकनीकी विकास के मद्देनजर आवश्यक भी है। निदेशक ने कहा कि शोध के संपन्न होने के बाद इन शोधार्थियों को इन बड़ी कंपनियों में नौकरी भी देने में संस्थान मदद करेगा। देश में अभी लगभग 10 हजार इंजीनियरिंग डाक्टरेट की आवश्यकता है।
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