IIT ISM ने मिलाया हिंदुस्तान कापर लिमिटेड के साथ हाथ, देश में तांबे के अधिक उत्पादन में देगा तकनीकी सहयोग
देश के प्रतिष्ठित माइनिंग संस्थानों में से एक आइआइटी आइएसएम और देश के सबसे बड़े तांबा खनिक हिंदुस्तान कापर लिमिटेड ने विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं के लिए कोलकाता में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके तहत तांबे के उत्पादन को आगे बढ़ाया जाएगा।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Thu, 05 Jan 2023 09:46 AM (IST)
आशीष सिंह, धनबाद। हिंदुस्तान कापर लिमिटेड और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आइएसएम (IIT ISM) के बीच कोलकाता में विभिन्न अनुसंधान परियोजनाओं के लिए समझौता हुआ। यह समझौता एचसीएल के सीएमडी अरुण कुमार शुक्ला और आइआइटी आइएसएम के निदेशक प्रो. राजीव शेखर की उपस्थिति में हुआ। धनबाद के आइआइटी आइएसएम के साथ किया गया यह समझौता अपनी तरह का पहला तकनीकी सहयोग है। यह एचसीएल के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है।
हिंदुस्तान कापर लिमिटेड भारत का एकमात्र ऐसा तांबा खनिक है, जिसके पास देश में तांबा अयस्क के सभी परिचालन खनन पट्टे हैं। वर्तमान में अधिकांश अयस्क उत्पादन भूमिगत मोड के माध्यम से ही होता है और राष्ट्रीय अयस्क उत्पादन का स्तर लगभग चालीस लाख टन प्रति वर्ष है।
अयस्क उत्पादन में आने वाली तकनीकी समस्याओं से मिलेगी निजात
अयस्क उत्पादन की प्रक्रिया के दौरान तकनीकी एवं परिचालन संबंधी समस्याओं के साथ-साथ विभिन्न भू-तकनीकी एवं भूजल संबंधी मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है। सुरक्षा मानकों को बनाए रखने और खनन में स्थिरता के उभरते हुए मुद्दों से निपटना भी समय की आवश्यकता है। इसमें आइएसएम का तकनीकी पक्ष कारगर साबित होगा। आइआइटी आइएसएम विशेष रूप से खनिजों के खनन और इसकी लाभकारी गतिविधियों तथा पृथ्वी विज्ञान के क्षेत्र में राष्ट्रीय ख्याति का संस्थान होने के नाते देश में उभरते हुए भूवैज्ञानिक, तकनीकी, पर्यावरण, टिकाऊ और एचसीएल के विस्तार कार्यक्रम के साथ ही अन्य अयस्क लाभकारी मुद्दों को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
वर्तमान समझौते से होगी तांबे के उत्पादन में वृद्धि
वर्तमान समझौता अत्याधुनिक तकनीकों के उपयोग के साथ खनन विधियों को संशोधित करके तांबा अयस्क उत्पादन बढ़ाने के लिए आइआइटी आइएसएम से तकनीकी सहायता उपलब्ध कराएगा। मार्गदर्शन और परामर्श से संबंधित एचसीएल की आवश्यकताओं को पूरा करेगा। इसके अलावा तांबा अयस्क की गहन खोज के लिए खानों में उत्पादकता और सुरक्षा में सुधार, पर्यावरणीय मंजूरी के मुद्दे, विभिन्न हाइड्रोलाजिकल तथा हाइड्रो-जियोलाजिकल अध्ययन एवं अपरंपरागत अन्वेषण विधियों मसलन भूभौतिकीय अन्वेषण, रिमोट सेंसिंग आदि के क्षेत्रों में ध्यान केंद्रित किया जाएगा।ये भी पढ़ें- एक साल में सबसे अधिक 434 पीएचडी डिग्री देने वाला देश का दूसरा संस्थान बना IIT ISM, जानें कौन है पहले नंबर परIIT ISM के स्टूडेंट्स की खास पहल, बच्चों में जगाएंगे पढ़ने व आगे बढ़ने की 'उम्मीद', जल्द होगा FFI का आयोजन
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