Indian Railways : रेलवे मांग रही मोबाइल पिन कोड व पता इसलिए यात्री हो रहे 'लापता'
स्टेशन गए टिकट खरीदा और बेधड़क अंदर चले गए। जगह मिल गई तो ठीक वरना कहीं भी एडजस्ट कर लिया। पर कोराेना ने पूरी व्यवस्था बदल डाली है। एक तो महंगा किराया उस पर पता लिखते-लिखते उंगलियां दुख रही हैं।
धनबाद, जेएनएन : स्टेशन गए टिकट खरीदा और बेधड़क अंदर चले गए। जगह मिल गई तो ठीक वरना कहीं भी एडजस्ट कर लिया। पर कोराेना ने पूरी व्यवस्था बदल डाली है। एक तो महंगा किराया उस पर पता लिखते-लिखते उंगलियां दुख रही हैं। पता लिख भी दिया तो पिन कोड पसीने छुड़ा रहा है। पहले जहां रहते हैं वहां का पता दीजिए। फिर जहां जाने वाले हैं,वहां का पता लिखिए। पता लिख दिया तो थाना, पोस्ट ऑफिस और पिन कोड भी लिख डालिए...। रेलवे ने इतना सबकुछ पूछना शुरू कर दिया कि अब धीरे-धीरे यात्री ही 'लापता' होने लगे। जी हां, दिसंबर-जनवरी रेलवे का पिक सीजन है। इस दाैरान ट्रेनों में जगह मिलना मुश्किल होता है। पर बिहार जाने और लौटने वाली ट्रेनें लगातार खाली चल रही हैं। धनबाद से पटना जानेवाली गंगा-दामोदर एक्सप्रेस को बमुश्किल 50 फीसद यात्री ही मिल रहे हैं। हटिया-पटना जनशताब्दी, पूर्णिया कोर्ट-हटिया, इस्लामपुर-हटिया, बरकाकाना-पटना पलामू एक्सप्रेस की भी स्थिति लगभग यही है।
यात्रियों का कहना है कि गंगा-दामोदर एक्सप्रेस का किराया पहले से अधिक है। इस वजह से यात्रियों की संख्या थोड़ी कम है। जहां तक सेकेंड सीटिंग की ज्यादातर सीटों के खाली रहने का सवाल है तो सेकेंड सीटिंग में कामगार और कम आमदनी वाले यात्री रहते हैं। पहले जनरल टिकट लेकर ट्रेन पर सवार हो जाते थे। अब उन्हें भी आरक्षण कराकर सफर करना होगा। वर्तमान के साथ जहां जाएंगे वहां का पता और पिन कोड भी बताना होगा। यही वजह है कि ऐसे ज्यादातर यात्री जनरल काउंटर का चक्कर लगाकर लौट रहे हैं और सेकेंड सीटिंग की सीटें खाली रह जा रही हैं। गंगा-दामोदर एक्सप्रेस की सेकेंड की अधिकतर सीटें तो पूरे महीने खाली हैं।
गंगा-दामोदर एक्सप्रेस में सेकेंड सीटिंग की खाली सीटों की स्थिति
25 दिसंबर - 240
26 दिसंबर - 321
27 दिसंबर - 479
28 दिसंबर - 538
29 दिसंबर - 538
30 दिसंबर - 490
31 दिसंबर - 547