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मिलिए जामताड़ा के किसान मार्शल से, नाम की ही तरह काम भी हरफनमौला

Farmers Day 2021 आठवीं पास मार्शल तीन साल पहले तक दिहाड़ी मजदूरी करते थे। इनके काम आया इनके हाथों का हुनर। मार्शल कहते हैं तीन साल पहले अपनी पत्नी की जमा पूंजी 4000 रुपये से उन्होंने शुरुआत में सरसों और सब्जी की खेती में हाथ आजमाया।

By MritunjayEdited By: Updated: Thu, 23 Dec 2021 01:29 PM (IST)
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मार्शल के बेड़े में पलते बतख ( फोटो जागरण)।

कौशल सिंह, जामताड़ा। ये नाम की ही तरह ये हरफनमौला हैं और इनकी करनी से मिली सफलता की कहानी भी निराली है। जामताड़ा से तकरीबन 15 किमी दूर करमाटांड़ ब्लाक के मुर्गाबनी गांव में रहने वाले मार्शल हेम्ब्रम ने अपनी पत्नी धनमुनी मरांडी से 4000 रुपये लेकर पहले खेती-किसानी में हाथ आजमाया। थोड़े दिनों बाद कुछ जमा पूंजी इकट्ठा बतख पालन, सुअर पालन और मुर्गी पालन के जरिए अपनी आमद बढ़ाई और खुद का बिजनेस खड़ा कर लिया। अब इन्हीं के जरिए मार्शल सालाना 5 लाख तक की कमाई आसानी कर लेते हैं।

हाथों के हुनर ने दिखाई सफलता की राह

आठवीं पास मार्शल तीन साल पहले तक एक सामान्य जीवन जीने को मजबूर थे और दिहाड़ी मजदूरी तक करनी पड़ती थी। लेकिन इनके काम आया इनके हाथों का हुनर। मार्शल कहते हैं, तीन साल पहले अपनी पत्नी की जमा पूंजी 4000 रुपये से उन्होंने शुरुआत में सरसों और सब्जी की खेती में हाथ आजमाया। थोड़े पैसे इकट्ठे हुए तो 200 बतख और 40 मुर्गियां रख लीं और इनसे होने वाले अंडों को उसने शहर के व्यापारियों को बेचना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे यह तरीका जब कामयाब रहा तो उसने एक पुरानी धान कूटने वाली खराब मशीन खरीदी और खुद ही इसे ठीक भी कर लिया। पूंजी बढ़ती गई और यहीं अपने घर में ही किराने की दुकान खोलकर पत्नी के जिम्मे लगा दिया। दोनों पति-पत्नी की मेहनत कुछ ही दिनों में रंग लाई और अब सालाना इनकी कमाई तकरीबन पांच लाख रुपये तक हो गई।

150 बतख, 40 मुर्गियां और दर्जनाें सुअर हैं इनके बेड़े में

आज की तारीख में मार्शल के घर में 150 बतख, 40 मुर्गियां और दर्जनाें सुअर हैं। इनसे रोजाना और वार्षिक कमाई के रूप में इन्हें मोटी आमदनी हो जाती है। अंडे के व्यवसाय से ही इन्हें ठंड के मौसम में राेजाना ही 700 से 800 रुपये की आमदनी हो जाती है। जबकि, सुअर के व्यवसाय से सालाना एक लाख तक की इनकम होती है। कुछ अरसे पहले तक तंगहाली में जीवन बिताने को मजबूर इस दंपती के पास आज खुद की सेंट्रो कार, ऑटो और बाइक मौजूद है। कम पढ़े लिखे आदिवासी समुदाय के युवाओं के लिए मार्शल और उनकी पत्नी धनमुनि आज पूरे क्षेत्र के लिए एक प्रेरणा स्रोत की तरह हैं। जिनकी देखा-देखी कई आदिवासी समुदाय के युवा खेती और पशुपालन को अपने स्वावलंबन का जरिया बनाने में जुट हैं।

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