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Jharia Fire Area: भूमिगत आग को मुद्दा बनाकर झरिया शहर खाली कराने की तैयारी... पढ़‍िए पूरी खबर

आउटसोर्सिंग कंपनियों से मिलकर झरिया शहर के नीचे से कोयला निकालने के लिए बीसीसीएल दहशत फैला रही है। यह तमाशा बंद करे कंपनी नहीं तो मुश्किल होगी। जब तक मैं हूं झरिया खाली नहीं होगा। किसी नोटिस से झरिया के लोग डरने वाले नहीं हैं।

By Atul SinghEdited By: Updated: Sat, 10 Sep 2022 08:05 PM (IST)
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जब तक मैं हूं, झरिया खाली नहीं होगा। किसी नोटिस से झरिया के लोग डरने वाले नहीं हैं।

दिलीप सिन्हा, धनबाद: झरिया में पहली बार 1916 में आग की बात सामने आई थी। उसके बाद यह बढ़ती गई। झरिया शहर को छोड़कर उसके चारों ओर के इलाके को पहले ही खतरनाक क्षेत्र घोषित किया जा चुका है। यहां की आबादी को दूसरी जगह बसाने की दिशा में बीसीसीएल काम कर रही है। आरएसपी कालेज झरिया को खाली कराया जा चुका है। हालात ये हैं कि झरिया शहर की स्थिति टापू जैसी हो गई है। बीसीसीएल प्रबंधन एक कदम और आगे बढ़कर झरिया शहर को भी खाली कराने की कोशिश में है। बावजूद झरिया शहर की करीब पांच लाख की आबादी जिसमें रैयत भी हैं, का पुनर्वास एवं मुआवजा का कोई रोड मैप भी कंपनी ने तैयार नहीं किया है।

डीजीएमएस रिपोर्ट का हवाला देकर बीसीसीएल ने पूरे झरिया शहर को असुरक्षित घोषित करते हुए खाली करने का नोटिस दिया है। बीसीसीएल के इस नोटिस से वहां रह रहे लोगों में खलबली है। बीसीसीएल की योजना सफल रही तो पांच लाख से अधिक आबादी प्रभावित होगी। यह सही है कि झरिया में भूमिगत आग और भूधसान का खतरा है। इधर, बीसीसीएल के इस कदम का चौतरफा विरोध शुरू हो गया है। आरोप है कि झरिया शहर के नीचे जो कोयला है, उसे निकालने के लिए बीसीसीएल लोगों को हटाने पर जोर दे रही है। इसके लिए नोटिस देकर दहशत पैदा की जा रही है।

मुद्दे पर जनप्रत‍िन‍िध‍ियों की राय

आउटसोर्सिंग कंपनियों से मिलकर झरिया शहर के नीचे से कोयला निकालने के लिए बीसीसीएल दहशत फैला रही है। यह तमाशा बंद करे कंपनी नहीं तो मुश्किल होगी। जब तक मैं हूं, झरिया खाली नहीं होगा। किसी नोटिस से झरिया के लोग डरने वाले नहीं हैं। आरएसपी कालेज को रातोंरात उजाड़ दिया गया। क्या हुआ वहां, कौन सा खतरा था। एक साथ पांच लाख की आबादी को उजाड़कर कहां बसाएगी कंपनी। पुनर्वास और रोजगार का क्या प्रबंध है। यह सीएमडी स्पष्ट करें।

पूर्णिमा नीरज सिंह, विधायक झरिया

बरसात के मौसम में आग और भू-धंसान का खतरा अधिक रहता है। इसे देखते हुए बीसीसीएल बचने के लिए इस तरह की नोटिस बीच-बीच में देती रहती है। झरिया के लोग चाहते हैं कि आग बुझाई जाए जबकि सरकार के पास इसकी कोई तकनीक

नहीं है। झरिया के लोग यदि पुनर्वास चाहते हैं तो वह आगे आएं, फिर हमलोग उनकी आवाज बनेंगे।

पशुपतिनाथ सिंह, सांसद धनबाद

यह है झरिया की समस्या

निजीकरण के दौर में झरिया कोयलांचल में अवैज्ञानिक तरीके से कोयला खनन किया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि झरिया के नीचे 25 से 30 तल्ला तक खनन किया गया है। खनन के बाद खाली जगह पर बालू नहीं भरा गया। बालू भरने का काम राष्ट्रीयकरण के बाद भी नहीं हुआ। इसका नतीजा हुआ कि ऊपर शहर बसा है और नीचे जमीन खोखली हो चुकी है। खनन के कारण जो जमीन खाली हुई, वहां बालू नहीं भरने के कारण पानी भर गया। इस कारण, झरिया शहर खंभों पर टिका हुआ है। यह कितने मजबूत है, इसका आकलन विशेषज्ञों ने भी नहीं किया है। इसकी जांच की कोई तकनीक भी नहीं है।

पुनर्वास में यह है अड़चन

झरिया कोयलांचल के 595 क्षेत्रों को अग्नि प्रभावित घोषित किया गया था। यहां के लोगों को हटाकर दूसरे जगहों पर बसाने के लिए 2009 में झरिया मास्टर प्लान बनाया गया था। यह काम 2021 तक पूरा होना था। मास्टर प्लान की अवधि पूरी हो गई और काम नहीं हो सका। एक लाख चार हजार से अधिक परिवार का सर्वे किया गया था, जिनको बसाना था। आज तक मात्र छह हजार से अधिक परिवारों को ही शिफ्ट कराया जा सका है। जिन्हें शिफ्ट कराया गया है, सभी अवैध कब्जाधारी हैं। अब यदि झरिया शहर को उजाड़ा जाता है तो यहां रह रहे लोगों के पुनर्वास के लिए कंपनी की कोई तैयारी नहीं है। झरिया मास्टर प्लान की भी अवधि समाप्त हो चुकी है।

वर्जन

विस्थापित होने वाले बीसीसीएल कर्मियों को कंपनी के क्वार्टरों में शिफ्ट कराया जाएगा। अवैध तरीके से रहने वाले लोगों को झरिया पुनर्वास के तहत जो कालोनियां बनी है, वहां बसाया जाएगा। जहां तक रैयतों का सवाल है तो उन्हें झरिया पुनर्वास के तहत मुआवजा दिया जाएगा।

संजय कुमार सिंह, निदेशक तकनीकी संचालन बीसीसीएल