झरिया का एक लाख करोड़ रुपये का मास्टर प्लान फेल, केंद्र सरकार गंभीर नहीं: मुरारी
झरिया के अग्नि व भू धंसान प्रभावित क्षेत्र से लगभग एक लाख लोगों को बेलगढ़िया और अन्य जगहों पर बसाने को लेकर केंद्र सरकार गंभीर है। लेकिन जेआरडीए में सक्षम पदाधिकारियों और कर्मचारियों के नहीं रहने से बाधा आ रही है।
By Atul SinghEdited By: Updated: Tue, 14 Dec 2021 05:27 PM (IST)
जागरण संवाददाता, झरिया: झरिया के अग्नि व भू धंसान प्रभावित क्षेत्र से लगभग एक लाख लोगों को बेलगढ़िया और अन्य जगहों पर बसाने को लेकर केंद्र सरकार गंभीर है। लेकिन जेआरडीए में सक्षम पदाधिकारियों और कर्मचारियों के नहीं रहने से बाधा आ रही है। डेढ़ दशक बाद भी झरिया मास्टर प्लान सफल नहीं हो सका है। काफी धीमी गति से झरिया के लोगों का पुनर्वास हो रहा है। झरिया कोलफील्ड बचाओ समिति के अध्यक्ष मुरारी प्रसाद शर्मा ने इस बाबत केंद्र सरकार को प्लान की सफलता के लिए कई सुझाव भेजे हैं। पहला सुझाव झरिया मास्टर प्लान का रिवीजन करते हुए जेआरडीए में पूर्णकालिक कर्मठ और सक्षम अधिकारी कर्मचारियों की नियुक्ति की मांग की है। मुरारी ने पत्र में कहा है कि झरिया मास्टर प्लान में दो खंड हैं। पहला एलटीएच यानी रैयत और दूसरा नन एलटीएच यानी अतिक्रमणकारी। कहा कि दोनों का सर्वे और एलएआरआर-2013 के अनुसार जमीन, मकान, फ्री प्लाट का मूल्यांकण व अन्य प्रावधान देखकर बैंक से भुगतान कर सकते हैं। इससे फ्लैट बनाना, जमीन तलाशना आदि सभी झंझट से मुक्त हो जाएंगे।
कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर कोरिडोर वाराणसी के केस में भी यही फार्मूला अपनाया गया है। सर्वे करके आपसी सहमति से नकद भुगतान बैंक से किया गया। सभी लोग खुश हैं। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अच्छी पहल कर रास्ता दिखाया है। इसकी लोग तारीफ लोग कर रहे हैं। झरिया पुनर्वास में भी ऐसा हो सकता है। कहा कि झरिया के अतिक्रणकारियों को बेलगढ़िया में बसाने के लिए फ्लैट का निर्माण किया जा रहा है। इसकी लागत लगभग 11 लाख रुपये प्रति फ्लैट आ रहा है। ऐसे में अगर अतिक्रमणकारियों को 10 लाख का नन एफडी बना कर दे दें और एक लाख रूपये बैंक से भुगतान कर दें तो इससे जीविका का सवाल भी समाप्त हो जाएगा। बैंक से ब्याज के रूप में मासिक ब्याज से इनका घर खर्च और जीविका का जुगाड़ हो जाएगा। बिजली, पानी आदि खर्चा लोग स्वयं उठाएंगे। इसके लिए सबसे पहले यहां का सटीक सर्वे होना बहुत जरूरी है जो 17 वर्षों में भी नहीं हो सका है।
झरिया के बारे में सरकार अपनी मंशा नहीं कर रही है स्पष्ट झरिया कोलफील्ड बचाओ समिति के अध्यक्ष मुरारी शर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार ने भी 2004 से 2021 तक काले हीरे की नगरी झरिया के बारे में अपनी मंशा कभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं की है। इस कारण भी समस्या उत्पन्न हो रही है। कभी केंद्रीय मंत्री कहते हैं कि झरिया खाली नहीं होगा। कभी कहते हैं कि 2022 तक स्मार्ट सिटी बना कर यहां के लोगों को दिया जाएगा। हाल में कोयला सचिव ने कहा कि हम झरिया में भूमिगत कोयला खदान को बढ़ावा देंगे। वहीं जेआरडीए के अधिकारी ने रैयतों के साथ कोई सार्थक वार्ता अब तक नहीं की है। यही कारण है की लगभग एक लाख करोड़ रुपये का झरिया मास्टर प्लान सफल नहीं हो पा रहा है। सरकार को यहां के लोगों को पुनर्वास के साथ जीविका के लिए भी सभी को आर्थिक सहयोग के साथ कौशल विकास प्रशिक्षण देना बहुत जरुरी है जो इस झरिया मास्टर प्लान में भी है।
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