Jharia Master Plan: ऐसे तो 20 साल में भी नहीं होगा फायर एरिया का पुनर्वास
बीसीसीएल को 25000 घर और झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकरण जेआरडीए को 54149 घर बनाना है। हालांकि बीसीसीएल का बाद में संशोधन कर 15852 आवास निर्माण की स्वीकृति दी गई है।
By mritunjayEdited By: Updated: Mon, 01 Jul 2019 11:14 AM (IST)
धनबाद, आशीष अंबष्ट। झरिया पुनर्वास व विकास प्राधिकार द्वारा किए जा रहे कार्यों की गति ऐसी है कि 20 साल में भी सभी अग्नि प्रभावितों का पुनर्वास संभव नहीं है। झरिया के लिए मास्टर प्लान की स्वीकृति 2009 में सरकार ने दी। अग्नि प्रभावित बीसीसीएल कोल कर्मियों व गैर कोल कर्मियों को बसाने की डेडलाइन 2021 तय है। इसमें मात्र दो वर्ष बचे हैं और अभी तक 10 फीसद लोगों का भी पुनर्वास नहीं कराया जा सका है। सरकार ने पुनर्वास के लिए 7112 करोड़ के बजट को मंजूरी दे रखी है। इस मद में अब तक करीब नौ फीसद राशि ही खर्च हो पाई है। इस मद से तीन हजार गैर बीसीसीएल कर्मी व करीब 3200 बीसीसीएल कर्मियों का पुनर्वास हुआ है।
15,852 आवास बनाएगी बीसीसीएल : बीसीसीएल को 25,000 घर और झरिया पुनर्वास एवं विकास प्राधिकरण जेआरडीए को 54149 घर बनाना है। हालांकि बीसीसीएल का बाद में संशोधन कर 15852 आवास निर्माण की स्वीकृति दी गई है। झरिया मास्टर प्लान को केंद्रीय कैबिनेट ने 12 अगस्त 2009 को मंजूरी दी थी। बीसीसीएल अपने 15,852 परिवारों को विभिन्न गैर कोयला क्षेत्र में पुनर्वासित करने की ओर अग्रसर है। अब तक करीब 5576 विस्थापित परिवारों को अग्नि प्रभावित क्षेत्र से हटाया गया है। फिलहाल 10276 घरों का निर्माण चल रहा है।
1916 से ही दहक रही आग : झरिया क्षेत्र में पहली बार साल 1916 में कोलियरी में आग लगने की घटना सामने आई थी। तब निजी उद्योगपति कोयला खनन करते थे। कोल इंडिया गठन के बाद ही कोलियरी से आग बुझाने के गंभीर प्रयास शुरू हुए। फिलहाल गैर बीसीसीएल कर्मियों को पुनर्वासित करने का जिम्मा जेआरडीए का है। इसके लिए 8604 घर बन चुका है।
यहां किया गया जमीन अधिग्रहण
- लीपनिया -- 120 एकड़
- बेलगडिय़ा 378 एकड़
- सापता 154 एकड़- गोलमारा 296 एकड़
अब तक 10 फीसदी ही राशि हुआ खर्च : झरिया मास्टर प्लान के तहत कुल 7112 करोड़ का बजट पास किया गया है। दिसंबर 2018 के अंत तक 507.06 करोड़ राशि खर्च हुआ है। जो कि कुल राशि का करीब 8.75 के आसपास है। बीसीसीएल से इस मद में अब तक झरिया पुनर्वास को 699.47 करोड़ राशि प्राप्त हुआ है। इस मद में अभी करीब 192 करोड़ राशि बची हुई है।कितना आवास बनना है : झरिया मास्टर प्लान के तहत झरिया अग्नि प्रभावित क्षेत्र से लोगों को शिफ्ट करने के लिए कुल 79,159 आवासों का निर्माण होना है। इसमें जरेडा को 54,159 है। बीसीसीएल को 15852 आवास बनाना है।
संयुक्त रूप से खर्च करेगा बीसीसीएल-जेआरडीएः आवास निर्माण के मद में झरिया पुनर्वास व बीसीसीएल को संयुक्त रूप से 4780.60 करोड़ राशि खर्च करना है।दो तरह का तैयार हो रहा आवास :प्रभावित लोगों को आवास देने के लिए दो तरह का निर्माण किया गया है। एक जी प्लस टू तो दूसरा जी प्लस थ्री। नए जितने भी आवास बनाए जा रहे वह जी थ्री प्लस है।
23 से 72 हजार हुई अतिक्रमणकारियों की संख्या : मास्टर प्लान में नॉन टाइटल होल्डर की संख्या 23,828 थी। यह संख्या सर्वे के बाद बढ़कर 72 हजार के पार कर गई है। आग प्रभावित 595 साइट चिह्नित हैं। टाइटल होल्डर की संख्या करीब 27 हजार है। नॉन टाइटल होल्डर की संख्या बढऩे से उनके पुनर्वास को लेकर चिंता बढ़ रही है।इन इलाकों में नहीं हो सका सर्वे
- बरोरा एरिया के सिजुआ व पथराकुल्ही गांव।- गोविंदपुर एरिया के टूडू व बेहराडीह गांव के पांच क्षेत्र।- कतरास एरिया के कतरास बाजार, रानी बाजार के पांच इलाके।- कुसुंडा एरिया की बलदार बस्ती।- पुटकी बलिहारी एरिया की अरलगडिय़ा, केंदुआडीह, पासी धौड़ा बस्ती। - वेस्टर्न झरिया एरिया की मुनीडीह, कोरीडीह, संतालडीह बस्ती।- लोदना एरिया की मोदीभीटा बस्ती।- पूर्वी झरिया एरिया की कुमारपट्टी।- चांच विक्टोरिया एरिया का बराकर बाजार, बलतोडिय़ा, बराकर टाउन, हसला लॉक पिट।बीसीसीएल की अपील से भड़के लोग, जरेडा के औचित्य पर प्रश्नचिह्न :बीसीसीएल की अपील ने झरिया की भूमिगत आग में घी काम किया है। झरिया के लोग आंदोलित हो गए हैं। उनका मानना है कि बीसीसीएल उनसे झरिया खाली करने की अपील कर खेल कर रहा है। एक तरफ उसने बीच शहर के इलाकों का नाम भी सूची में डाल दिया है जो अग्नि प्रभावित नहीं हैं। दूसरी तरफ वे खाली कर जाएं कहां यह भी तय नहीं है। बीसीसीएल के इस अपील ने झरिया पुनर्वास व विकास प्राधिकार के अस्तित्व पर ही प्रश्न चिह्न खड़ा कर दिया है। प्राधिकार का गठन ही इसलिए हुआ है कि वह अग्नि प्रभावित क्षेत्र के लोगों को वहां से हटाकर अन्यत्र बसाए। प्राधिकार ने जो अब तक सर्वे कराया है उसमें भी अग्नि प्रभावितों की संख्या तकरीबन एक लाख है। जबकि पुनर्वास मात्र पांच हजार के करीब लोगों का कराया जा सका है। फिलहाल बीसीसीएल 10 हजार और भवन बना रहा है। शेष लोगों के लिए भवन बनाने को अभी तक नए भूखंडों का अधिग्रहण प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई है। ऐसे में बीसीसीएल किस बिना पर लोगों को झरिया खाली करने को कह रहा है। झरिया के लोग ऐसे ही झरिया खाली कर देंगे तो प्राधिकार का गठन ही क्यों किया गया? प्राधिकार का गठन किया गया है तो वह लोगों से इलाका खाली करने की अपील क्यों नहीं कर रहा? बीसीसीएल की आखिर मंशा क्या है?
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