Jhariya: काले हीरे पर ही नहीं गरीबों के निवाले पर भी तस्करों की नजर, सरकारी अनाज पर डाका डाल रहे अवैध कारोबारी
काला हीरा ही नहीं सरकारी चावलों का भी अवैध कारोबार झरिया में बड़े पैमाने में हो रहा है। सरकार द्वारा गरीबों को कम मूल्य पर मिलने वाले चावल पर अवैध कारोबारियों डाका मार रहे हैं। अनाज गरीबों को मिले या ना मिले लेकिन अवैध कारोबारियों को जरूर मिल जाता है।
By Govind Nath SharmaEdited By: Mohit TripathiUpdated: Mon, 20 Feb 2023 05:28 PM (IST)
सुमित राज अरोड़ा, झरिया: काला हीरा ही नहीं सरकारी चावलों का भी खुलेआम अवैध कारोबार झरिया में बड़े पैमाने में हो रहा है। सरकार द्वारा गरीबों को कम मूल्य पर मिलने वाले चावल पर अवैध कारोबारियों डाका मार रहे हैं।
गरीबों को अनाज मिले या न मिले तस्करों को जरूर मिल जाता है
अनाज गरीबों को मिले या ना मिले लेकिन अवैध कारोबारियों को जरूर मिल जाता है। सूत्रों की मानें तो अवैध तस्कर झरिया सहित अन्य पीडीएस दुकानदारों को अधिक मूल्य देकर चावल का बोरा उठा लेते है। वहीं जब गरीब अपने हिस्से का चावल लेने दुकान पहुंचते है तो उन्हें चावल नहीं मिल पाता है।
खाकी हो या खादी सभी को उनके हिसाब का मेवा पहुंच जाता है। जिसके कारण ये अवैध कारोबारी दिन के उजाले मेंं भी खुलेआम चावल की तस्करी करते है। अवैध कारोबारी स्कूटी के माध्यम से चावल को एक स्थान से दूसरे स्थान आसानी ले जाते हैं।
हर क्षेत्र का भाव होता है अलग
नाम ना छापने की शर्त पर एक चावल तस्कर ने बताया कि झरिया में विभिन्न स्थानों पर चावल का अवैध कारोबारियों का अलग-अलग रेट है। झरिया बाजार दस रुपये, लोदना का आठ रुपये, भगतडीह का नौ रुपये, भागा का ग्यारह रुपये प्रति किलो की दस से चावल तस्कर चावल खरीदते हैं। जिसके बाद उसे बंगाल में पॉलिश कर अधिक दाम में बेच देते है।
पीडीएस दुकान से भी गायब होता है चावल का बोरा
झरिया के एक पीडीएस संचालक ने नाम ना छापने के शर्त पर बताया कि इन अवैध तस्करों की वजह से दुकान से चावल को आराम से अधिक मूल्य पर बेच पाते हैं।कई लोगों ने राशन कार्ड तो बना लिया है लेकिन वे राशन लेने नहीं आते, जिसे अधिक मूल्य में उक्त चावल तस्करों को बेच देते हैं। इसके बाद उन ग्राहकों के पास जाकर मशीन में अंगूठा लगा लेते हैं। इससे दुकान को स्टॉक मिल जाता है।
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