Jharkhand-DVC electricity bill dispute: डीवीसी का बकाया भुगतान की चेतावनी से केंद्र व झारखंड में बढ़ेगा टकराव, भुगतेगी कोयलांचल की जनता
Jharkhand-DVC electricity bill disputeकेंद्र सरकार ने झारखंड को 15 दिनों के अंदर दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) का बिजली मद में 5608.32 करोड़ रुपये बकाया चुकाने का नोटिस दिया है।
By MritunjayEdited By: Updated: Sun, 20 Sep 2020 01:51 PM (IST)
धनबाद/ रांची, जेएनएन। Jharkhand-DVC electricity bill dispute झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) और दामोदर घाटी निगम (DVC) के बीच बिजली का बकाया बिल को लेकर आने वाले दिनों में केंद्र सरकार और झारखंड सरकार के बीच टकराव बढ़ने के आसार हैं। इस मामले का निपटरा ने होने पर धनबाद समेत झारखंड के आधा दर्जन से ज्यादा जिलों में बिजली उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इन जिलों में डीवीसी से बिजली लेकर जेबीवीएनएल उपभोक्ताओं को आपूर्ति करती है।
केंद्र सरकार ने झारखंड को 15 दिनों के अंदर दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) का बिजली मद में 5608.32 करोड़ रुपये बकाया चुकाने का नोटिस दिया है। ऊर्जा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यदि झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) ने इस अवधि में डीवीसी का बकाया भुगतान नहीं किया, तो 2017 में हुए त्रिपक्षीय समझौते की शर्तों के मुताबिक राज्य सरकार के आरबीआइ खाते से बकाया 1417.50 करोड़ की चार किस्तों में वसूल किया जाएगा। इसकी पहली किस्त अक्तूबर में वसूली जाएगी। इस मद में वसूली गई राशि केंद्र सरकार के खाते में जमा कर दी जाएगी। डीवीसी ने बकाया वसूली के लिए यह कदम बार-बार रिमाइंडर देने के बाद उठाया है।
डीवीसी राज्य के धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, कोडरमा, हजारीबाग और रामगढ़ जिलों में बिजली की आपूर्ति करता है। पूर्व में डीवीसी झारखंड के अपने कमांड एरिया की बिजली आपूर्ति बाधित करने सरीखा कड़ा कदम उठा चुका है। डीवीसी की बिजली कटाैती से उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस बार का मामला थोड़ा अलग है। पहले डीवीसी चेतावनी देता था। अबकी चेतावनी उर्जा मंत्रालय की तरफ है। सीधे आरबीआइ के खाते में जमा राशि से बिल का बकाया काटने की बात है। ऐसा होने पर टकराव तय है। क्योंकि केंद्र और राज्य में अलग-अलग पार्टियों की सरकार है। केंद्र में भाजपा है तो झारखंड में झामुमो गठबंधन की सरकार।
झारखंड और डीवीसी के बीच का विवाद कोई नया नहीं है। यह झारखंड बनने से पहले बिहार के जमाने से विवाद चला रहा है। झारखंड बनने को बीस साल हो चुके हैं इसके बावजूद इस समस्या का निपटारा नहीं हुआ। तब भी नहीं हुआ जब केंद्र और राज्य में एक ही पार्टी की सरकार रही।
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