Jharkhand के इन सरकारी स्कूलों में रविवार के बदले शुक्रवार को मिलता साप्ताहिक अवकाश... विभाग मौन
जिले में ऐसे स्कूलों की सख्या लगातार बढ़ती जा रही है जहां की मुस्लिम आबादी बढ़ते ही साप्ताहिक अवकाश रविवार से बदलकर धीरे-धीरे शुक्रवार को जुमा अवकाश बन गया। जी हां बात हो रही जामताड़ा जिले की। शुक्रवार को अपनी सुविधा के अनुसार साप्ताहिक अवकाश शुक्रवार को मना रहे।
By Atul SinghEdited By: Updated: Fri, 08 Jul 2022 07:25 PM (IST)
कौशल सिंह, जामताड़ा: जिले में ऐसे स्कूलों की सख्या लगातार बढ़ती जा रही है जहां की मुस्लिम आबादी बढ़ते ही साप्ताहिक अवकाश रविवार से बदलकर धीरे-धीरे शुक्रवार को जुमा अवकाश बन गया। जी हां, बात हो रही जामताड़ा जिले की। यहां वर्तमान में ही 100 से ज्यादा सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जो मुस्लिम बहुल होने के कारण शुक्रवार (जुमा) को बंद रहने लगे हैं। ऐसे स्कूलों में मुस्लिम बच्चों की आबादी 70 फीसदी से ज्यादा है। ये स्कूल न तो उर्दू विद्यालय हैं और ना ही विभागीय स्तर पर इन्हें शुक्रवार को बंद रखे जाने के निर्देश हैं। लेकिन बावजूद इसके स्थानीय लोगों और स्कूल प्रबंध कमेटी के दबाव में इन सरकारी स्कूलों का अवकाश अब स्थाई तौर पर शुक्रवार (जुमा) किया जा चुका है। जबकि सामान्य तौर पर विभाग की ओर से यह दर्शाया जा रहा है कि जिले के 1084 सरकारी स्कूलों में से मात्र 15 उर्द स्कूल हैं। जिनमें वहां के शिक्षक शुक्रवार को अपनी सुविधा के अनुसार साप्ताहिक अवकाश शुक्रवार को मना रहे।
एक दो स्कूलों से हुई शुरुआत, फिर बन गया इनका अपना अलग नियम
इनमें से कई स्कूलों के शिक्षक ऐसे हैं, जो नाम ना छापने की शर्त पर बताते हैं कि शुरुआती दौर में कुछ बच्चों के अभिभावकों ने शुक्रवार को जुमा रहने का हवाला देकर स्कूल में अवकाश देने का दबाव बनाया। फिर बाद में स्कूल प्रबंध कमेटी ने बैठक कर शुक्रवार को अवकाश और इसके बदले रविवार को स्कूल खोले जाने का फरमान जारी करवा दिया। धीरे-धीरे यह अघोषित तौर पर शिक्षा विभाग का विभागीय निर्देश मान लिया गया और अब पिछले कई वर्षों से यही नियम जारी है। वहीं, एक अन्य स्कूल के शिक्षक के अनुसार सन 2001 में उन्होंने मध्य विद्यालय में योगदान किया। यहां मुस्लिम बच्चों की आबादी 70 फीसदी के करीब है। बाद में उन्हें पता चला कि यहां रजिस्टर में शुक्रवार को अवकाश और रविवार को आन ड्यूटी दर्शाना है। लेकिन विभागीय स्तर पर आज तक ना तो ऐसे निर्देश मिले और ना ही ऐसा कोई प्रावधान ही है। इतना ही नहीं, उन्हें अपनी महीनेभर की अब्सेंटी बनाने के दौरान भी आन रिकार्ड खुद को रविवार के दिन ही अवकाश दिखाना पड़ता है। क्योंकि विभागीय स्तरी पर रविवार को ही अवकाश मान्य है।
आबादी ज्यादा, इसलिए खुद ही घोषित कर दिया उर्द विद्यालयइतना ही नहीं, जिले के कई मुस्लिम बहुल गांवों के स्कूल ऐसे हैं जहां ना तो उर्द की पढ़ाई होती है और ना ही उर्द के शिक्षक ही मौजूद हैं। लेकिन मुस्लिम बच्चों की आबादी 70 फीसदी से ज्यादा है, इसलिए स्कूल प्रबंध कमेटी ने अपनी मर्जी से इन स्कूलों को उर्दू स्कूल घोषित कर दिया है। साथ ही इन स्कूलों का साप्ताहिक अवकाश भी रविवार की जगह खुद ही से शुक्रवार तय कर दिया है। करमाटांड़ प्रखंड का उपरभीठा गांव इनमें से ही एक है।
जिले के इन स्कूलों में अपनी मर्जी से जुृमा अवकाश उत्क्रमित मध्य विद्यालय चंपापुर उर्दू, पोखरिया, टोंगोडीह, राजाभीठा, नारोडीह, भगवानपुर, मंझलाडीह, उत्क्रमित उच्च विद्यालय गोखुला, उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय हरिहरपुर, चीरूडीह, बाबूडीह, जगदीशपुर, मिर्जापुर, आशाडीह, पहाड़पुर, डाभाकेंद, कोल्हरिया, बंदरचुवा, लखनूडीह, जेरुवा, टोपाटांड़, लकड़गढ़ा, आमजोरा, लंगड़ाटांड़ छिट, धपको, हरिहरपुर, उत्क्रमित मध्य विद्यालय बारादाहा, नवीन प्राथमिक विद्यालय हीरापुर, उर्दू उत्क्रमित मध्य विद्यालय नावाडीह, उर्दू उत्क्रमित मध्य विद्यालय अलगचुआ, उर्दू उत्क्रमित मध्य विद्यालय करमाटांड़, उत्क्रमित मध्य कुरुवा, प्राथमिक विद्यालय उपरभीठरा, प्राथमिक विद्यालय खूंटाबांध समेत जिले के 100 कई अन्य विद्यालय।
वर्जनयह सरासर नियम के विरूद्ध् काम हो रहा है। लोकतंत्र में ऐसा कोई प्रविधान नहीं है कि संख्या बल के आधार पर लोग मनमाने तरीके से खुद अपनी मर्जी से अवकाश निर्धारित कर लें। यदि ऐसी बात है तो मुझे ऐसे स्कूलों की सूची उपलब्ध करवाएं। मैं मामले को संसद में उठाऊंगा। समानता मूलक समाज में ऐसे मनमर्जी के नियम कैसे चल रहे हैं। यह पूरे देश व समाज के लिए चिंतनीय विषय है। पूरे प्रकरण की विभागीय स्तर पर तत्काल जांच होनी चाहिए।
सुनील सोरेन, सांसद, दुमकाजिले के अन्य किसी भी मुस्लिम बहुल इलाकों के सरकारी स्कूल बंद होनें की सूचना नहीं है। शिक्षक और वहां की शिक्षा समिति यदि ऐसा कर रही है तो यह मामला अति संवेदनशील है। ऐसे लोगों और शिक्षकों पर निश्चित तौर पर कार्रवाई की जाएगी। विभागीय निर्देशों के आधार पर किसी भी सराकरी स्कूल को शुक्रवार को बंद रखने का प्रावधान नहीं है। मामले की जांच कर संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अभय शंकर, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जामताड़ाउत्क्रमित उच्च विद्यालय बिराजपुर में शुक्रवार को विद्यालय बंद करने को लेकर ग्रामीणों ने आठ महीने पहले हंगामा किया था। मामला काफी बिगड़ गया। ग्रामीण मुस्लिम आबादी अधिक होने का हवाला देकर स्कूल शुक्रवार को बंद करने पर अड़े थे। इस मामले को लेकर विभागीय पदाधिकारियों को भी कई बार पत्राचार किया गया। लेकिन विभागीय स्तर पर इस मामले को लेकर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई। नतीजा यह है कि ग्रामीणों के दबाव में यहां शुक्रवार को ही जबरिया साप्ताहिक अवकाश करना पड़ रहा है।
दीप नारायण मंडल, विद्यालय के सचिव
इलाके के कई स्कूलों में शुक्रवार को ही अवकाश किया जा रहा है। क्षेत्र में यह व्यवस्था काफी अरसे से जारी है। यदि सरकारी स्तर पर ऐसा प्रविधान नहीं है तो यह सरासर गलत है। मैं संबंधित स्कूलों के प्राधानाध्यापकों से बात कर इस मामले की पड़ताल करूंगा। संवैधानिक प्राविधानों व सरकारी निर्देशों के आधार पर ही स्कूलों में साप्ताहिक अवकाश की व्यवस्था होनी चाहिए।
सज्जाद अंसारी, नवाडीह पंचायत के मुखिया पति
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