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Ashirwad apartment के अग्निकांड में हाइकोर्ट ने लिया स्‍वत: संज्ञान, 10 दिन में 4 बड़े हादसों से दहला धनबाद

धनबाद के आशीर्वाद अपार्टमेंट में बीते मंगलवार की शाम को हुई आग की घटना में झारखंड हाइकोर्ट ने स्‍वत संज्ञान लिया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने यह कदम उठाया है। इससे तीन दिन पहले सीसी हाजरा अस्‍पताल में अगलगी हुई थी।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Wed, 01 Feb 2023 12:29 PM (IST)
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धनबाद के आशीर्वाद टावर में हुए अग्निकांड मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया है
जासं, धनबाद। धनबाद के जोड़ाफाटक शक्ति मंदिर रोड स्थित आशीर्वाद अपार्टमेंट में मंगलवार की शाम करीब 6:30 बजे आग लग जाने की घटना से लोग डरे हुए हैं। इस अपार्टमेंट में रहने वाले सुबोध लाल की बेटी की शादी थी। उनके घर में हजारीबाग और बोकारो से रिश्तेदार आए हुए थे। आग में जलने और दम घुटने से 14 लोगों की जान चली गई। वहीं 36 लोग जख्मी हुए हैं। कुछ का पाटलीपुत्र नर्सिंग होम व कुछ का एसएनएमएमसीएच में इलाज चल रहा हैं। सभी खतरे से बाहर हैं। दस महिलाएं, दो बच्चियां, एक बच्चा और एक बुजुर्ग की मौत हुई है। गौरतलब है कि दूसरी मंजिल के एक फ्लैट में दीया गिरने से भड़की आग ने कहर बरपाया है।

धनबाद में तीन दिन में आग लगने की दूसरी बड़ी घटना

मरनेवालों में बोकारो के पिंटू सिंह की पत्नी 30 साल की सविता देवी, पांच साल का पुत्र अमन कुमार, रामगढ़ के गिद्दी की 52 वर्षीय सुशीला देवी, चार वर्षीय तन्नू कुमारी के अलावा सात अन्य हैं। स्वाति को सिर्फ यही बताया गया था कि उसकी मां घायल हैं। देर रात वैवाहिक रस्में शुरू हुईं। इस दौरान डीजे वगैरह पर रोक लगी हुई थी। सन्नाटे के बीच देर रात शादी संपन्न हुई। आशीर्वाद अपार्टमेंट में आवासीय के साथ-साथ व्यावसायिक केंद्र भी हैं। इसमें करीब 70 से 80 फ्लैट हैं। मालूम हो कि कुछ ही दूर पर स्थित हाजरा अस्पताल में तीन दिन पूर्व आग लगने से डाक्टर दंपत्ति समेत पांच लोगों की दम घुटने से मौत हुई है। अब यह हादसा हो गया।

हाईकोर्ट ने मामले में लिया स्‍वत: संज्ञान

मामले की गंभीरता को देखते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने इसमें स्वत संज्ञान लिया है। इस मामले में अदालत ने गुरुवार को सुनवाई निर्धारित करते हुए महाधिवक्ता को कोर्ट में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है। एक्टिंग चीफ जस्टिस अपरेश कुमार सिंह व जस्टिस दीपक रोशन की अदालत ने इस मामले में स्वत संज्ञान लिया है।

शहर में 10 दिन में 4 भयावह अग्निकांड

शहर में महज 10 दिन में चार अग्निकांड और 20 जिंदगी मौत के मुंह में समा गई। जनता के साथ तंत्र की भी लापरवाही का ये परिणाम था। आग लगने के बाद कानून के पालन की औपचारिकताएं होती हैं, बाद में सब सो जाते हैं। परिणाम ये कि हादसे पर हादसे होते रहते हैं।

धनबाद में 22 जनवरी से आग का सिलसिला शुरू हुआ जो पहले एक, फिर पांच और अब 14 इंसानों को निगल गया। मंगलवार की घटना 25 अक्टूबर, 1992 के झरिया पटाखाकांड के बाद आग की दूसरी सबसे बड़ी त्रासदी बन गई। पटाखाकांड में 29 लोगों की मौत हो गई थी, लेकिन न तंत्र जागा, न जनता। आखिर ऐसा कब तक चलेगा?

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