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झारखंड विधानसभा चुनाव-2019 का यह भी एक बड़ा संदेश, दलित राजनीति के पैरोकारों को पढ़ना चाहिए

झारखंड विधानसभा चुनाव में दलितों ने दिल-खोलकर भाजपा का समर्थन किया। इसका फायदा भाजपा को मिला। एससी की नाै में छह सीटें भाजपा के खाते में गईं।

By MritunjayEdited By: Updated: Sat, 04 Jan 2020 01:50 PM (IST)
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झारखंड विधानसभा चुनाव-2019 का यह भी एक बड़ा संदेश, दलित राजनीति के पैरोकारों को पढ़ना चाहिए
धनबाद [ मृत्युंजय पाठक ]। झारखंड विधानसभा चुनाव- 2019 में भाजपा की हार पर देश भर में समूचा विपक्ष जश्न मना रहा है। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को झारखंड का मुख्यमंत्री बनाकर महागठबंधन यह कहते नहीं थक रहा है कि भाजपा को अब सत्ता से बेदखल करना नामुमकिन नहीं है। लगे हाथ यह प्रचारित करने का भी माैका मिल गया है कि भाजपा को आदिवासी मतदाताओं ने खारिज कर दिया है। क्योंकि झारखंड में अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आरक्षित 28 सीटों में भाजपा के खाते केवल दो गईं। लेकिन, झारखंड विधानसभा चुनाव परिणाम ने एक बड़ा संदेश दलित राजनीति के संदर्भ में भी दिया है। इस संदेश की कहीं चर्चा नहीं हो रही है। इस संदेश को सभी राजनीतिक दल और दलितों के पैरोकारों को जरूर पढ़ना चाहिए। 

झामुमो महागठबंधन की जीत में एसटी सीटों की बड़ी भूमिका

झारखंड विधानसभा चुनाव- 2019 में हार का बावजूद भाजपा का 2 प्रतिशत वोट बढ़ा है। लेकिन, इसका कोई मतलब नहीं है क्योंकि विधानसभा में तो संख्या बल के आधार पर ही सरकार बनती हैं। इस कसाैटी पर भाजपा सत्ता से बेदखल हो गई। 81 सदस्यीय विधानसभा में 30 सीट हासिल कर झारखंड मुक्ति मोर्चा सबसे बड़ा दल बना। उसने अपनी सहयोगी पार्टी कांग्रेस को मिली 16 सीटों के साथ मिलकर सरकार बना ली। भाजपा 25 सीटें हासिल कर विपक्ष की कुर्सी पर आ गई है। इसी के साथ झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार चल पड़ी है।

आरक्षित सीटों पर दो फीसद ज्यादा वोट हासिल करके भी पिछड़ गई भाजपा 

झारखंड विधानसभा चुनाव में झामुमो गठबंधन को सत्ता तक ले जाने में आदिवासियों के लिए आरक्षित 28 सीटों का बड़ा योगदान रहा है। महागठबंधन के खाते में 26 सीटें गईं। जबकि भाजपा को दो से ही संतोष करना पड़ा। हालांकि 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिले वोटों के मुकाबले एसटी सीटों पर 2 प्रतिशत ज्यादा मत मिले हैं। यह भी एक सच्चाई है कि चुनाव परिणाम के बाद जैसा विपक्ष प्रचारित कर रहा है जमीनी स्थिति वैसी नहीं है। महागठबंधन के कारण भाजपा विरोधी वोटों का धुव्रीकरण हुआ। इसका महागठबंधन को सबसे ज्यादा फायदा एसटी सीटों पर हुआ। 

अनुसूचित जाति के मतदाताओं ने किया भाजपा का दिल खोलकर समर्थन 

झारखंड विधानसभा में अनुसूचित जाति (ST) के लिए नाै सीटें आरक्षित हैं-देवघर, जमुआ, चंदनकियारी, सिमरिया, चतरा, छतरपुर, लातेहार, कांके और जुगसलाई। इन अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित नाै सीटों में भाजपा ने 6 पर जीत दर्ज की। देवघर, जमुआ, चंदनकियारी, सिमरिया, छतरपुर और कांके भाजपा की झोली में गई। झामुमो ने लातेहार और जुगसलाई सीट पर जीत दर्ज की। जबकि राजद के खाते में चतरा गया। जाहिर है झारखंड विधानसभा चुनाव में दलितों ने दिल-खोलकर भाजपा का समर्थन किया। इसका फायदा भाजपा को मिला। एससी की नाै में छह सीटें भाजपा के खाते में गईं। 

भाजपा के खिलाफ अनर्गल प्रलाप करने वालों को संदेश 

झारखंड में भाजपा के दलित चेहरे अमर बाउरी ने चंदनकियारी से जीत दर्ज की है। वे रघुवर सरकार में राजस्व मंत्री थे। बाउरी कहते हैं-केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार अनुसूचित जाति के लिए जितना किया है और कर रही है, पूर्व की सरकारों ने नहीं किया। झारखंड में रघुवर सरकार ने भी अनुसूचित जाति को मुख्यधारा में लाने के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं चलाई। नतीजा सामने है। महागठबंधन के सामने एससी की नाै में छह सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की। आए दिन भाजपा के खिलाफ अनर्दगल प्रलाप करने वाले दलित राजनीति के पैरोकारों को बाउरी झारखंड विधानसभा चुनाव परिणाम का संदेश पढ़ने की नसीहत देते हैं। 

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